करनाल: केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महान विभूतियों के पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2022) की घोषणा कर दी है. इनमें हरियाणा की पांच हस्तियों को खेल, समाज सेवा, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, लिटरेचर और एजुकेशन क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. इन पदम पुरस्कार विजेताओं में करनाल के वरिष्ठ पशुधन वैज्ञानिक सेवानिवृत डॉक्टर मोती लाल मदान (Padma Shri Moti Lal Madan) का नाम भी शामिल है. उन्हें साइंस एंड इंजीनियरिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.
डॉ. मोतीलाल मदान करनाल में रहते हैं और उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान गोल्ड मेडल, पीएचडी और विदेश में अनेक डिग्रियां हासिल की हैं. वह राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. मोतीलाल मदान को पशु विज्ञान के क्षेत्र में विश्व के पहले आईवीएफ बफेलो काफ 'प्रथम' के निर्माण के लिए भी जाना जाता है. पद्म पुरस्कार मिलने पर आज उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा.
प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज भी उन्हें बधाई देने उनके निवास पर पहुंचे. अनिल विज ने डॉ. मदान की पशुधन के क्षेत्र में उपलब्धियों को महान बताते हुए कहा कि इन्होंने इस क्षेत्र में बहुत बड़ा काम किया है. इनकी रिसर्च की बदौलत देश पशुपालन में बहुत तरक्की कर रहा है. आज इनके काम को सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार केवल इन्हें ही नहीं बल्कि सभी उपलब्धि प्राप्त करने वाली विभूतियों को सम्मानित करने का काम कर रही है.
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पद्मश्री मिलने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉक्टर मदान ने कहा कि मेरा अवार्ड सभी रिसर्च वालों के लिए है और मैं सरकार का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मेरी रिसर्च को सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर कृषि और पशुधन रोजगार का एक बड़ा साधन है. आज के दौर में तकनीक और वैज्ञानिक रिसर्च के द्वारा पशुधन क्षेत्र में जो उन्नति हुई है उसके कारण पशुपालन क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं. डॉक्टर मदान ने कहा कि पशुपालन में कृषि से भी ज्यादा विकास की संभावनाएं मौजूद हैं.
डॉ. मदन ने 12 से अधिक हार्मोन के लिए मवेशियों और भैंसों में सूक्षम मात्रा निर्धारण प्रतिरक्षा तकनीक विकसित की. जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है. उन्होंने भारत में अनुसंधान के क्षेत्र में पशु शरीरक्रिया विज्ञान, अंतःस्त्राविका, पर्यावरण शरीरक्रिया विज्ञान और पुनरुत्पादन जैव-प्रौद्योगिकी में भी विशेष योगदान दिया है. उनके नाम से अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में ढाई सौ से अधिक प्रकाशन हैं. पशुओं की प्रजनन क्षमता, स्वास्थ्य रक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर भी उन्होंने उल्लेखनीय अनुसंधान किया है, जिस पर आज एनडीआरआई सहित देश के सभी प्रमुख पशु अनुसंधान संस्थानों में कार्य किया जा रहा है.
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