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कोरोना ने तोड़ी प्राइवेट शिक्षकों की कमर, दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी हुआ मुश्किल

कोरोना महामारी की मार झेल रहे प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद है और ऐसे में उन्हें सैलरी नहीं मिल रही है जिससे उनका गुजारा नहीं हो रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है और इस समस्या का जल्द से जल्द कुछ समाधान करने की अपील की है.

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प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों पर कोरोना की मार, सैलरी नहीं मिलने से गुजारा चलाना हुआ मुश्किल
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Published : Jun 6, 2021, 8:37 PM IST

करनाल: कोरोना महामारी ने जनता की रोजी-रोटी पर ऐसा डाका जाला है कि आज हर वर्ग अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना कर रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में आम जनता के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. बात हरियाणा में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की करें तो वो भी इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

इस मुश्किल भरे दौर में निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपना गुजारा कैसे चला रहे हैं, ये जानने के लिए हमने करनाल जिले के कूछ निजी स्कूलों के शिक्षकों से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले 1 साल से कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद है, शुरूआत में कुछ महीनों तक तो उन्हें तनख्वाह मिलती रही लेकिन बाद में उन्हें तनख्वाह मिलनी बंद हो गई और इसका मुख्य कारण बच्चों के अभिभावक है जो फीस नहीं दे रहे हैं.

प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों पर कोरोना की मार, सैलरी नहीं मिलने से गुजारा चलाना हुआ मुश्किल

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में बदहाल हुए कुली! दो वक्त की रोटी का भी नहीं हो रहा जुगाड़

शिक्षकों को उम्मीद थी कि कोरोना वायरस के मामले कम होने के बाद फिर से स्कूल खुलेंगे और वो नौकरी पर जाना शुरू करेंगे लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और अब वो एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो रहे हैं. वहीं इन शिक्षकों को महज 10 से 12 हजार तनख्वाह मिलती है और वो भी कोरोना काल में मिलना बंद हो गई है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनके पास कमाई का कोई और साधन नहीं है और पहले 50 प्रतिशत तनख्वाह दी जाती थी लेकिन अब वो भी बंद हो गई है. उन्होंने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब ये भी हमें सैलरी देना नहीं चाहते हैं. ऐसे में उन्हें इधर-उधर काम करके अपना गुजारा चलाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन की मार ने लोहारों का जीना किया मुहाल, दो वक्त की रोजी-रोटी का संकट और रोजगार भी हुआ चौपट

ये सिर्फ करनाल जिले की तस्वीरें हैं लेकिन पूरे हरियाणा में ऐसे बहुत से प्राइवेट शिक्षक हैं जो इस मुश्किल के दौर में अपना गुजर बसर बड़ी तकलीफों के साथ कर रहे हैं. अब ये शिक्षक प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं और चाहते हैं कि इस संकट की घड़ी में सरकार की तरफ से थोड़ी राहत दी जाए.

करनाल: कोरोना महामारी ने जनता की रोजी-रोटी पर ऐसा डाका जाला है कि आज हर वर्ग अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना कर रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में आम जनता के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. बात हरियाणा में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की करें तो वो भी इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

इस मुश्किल भरे दौर में निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपना गुजारा कैसे चला रहे हैं, ये जानने के लिए हमने करनाल जिले के कूछ निजी स्कूलों के शिक्षकों से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले 1 साल से कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद है, शुरूआत में कुछ महीनों तक तो उन्हें तनख्वाह मिलती रही लेकिन बाद में उन्हें तनख्वाह मिलनी बंद हो गई और इसका मुख्य कारण बच्चों के अभिभावक है जो फीस नहीं दे रहे हैं.

प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों पर कोरोना की मार, सैलरी नहीं मिलने से गुजारा चलाना हुआ मुश्किल

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शिक्षकों को उम्मीद थी कि कोरोना वायरस के मामले कम होने के बाद फिर से स्कूल खुलेंगे और वो नौकरी पर जाना शुरू करेंगे लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और अब वो एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो रहे हैं. वहीं इन शिक्षकों को महज 10 से 12 हजार तनख्वाह मिलती है और वो भी कोरोना काल में मिलना बंद हो गई है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनके पास कमाई का कोई और साधन नहीं है और पहले 50 प्रतिशत तनख्वाह दी जाती थी लेकिन अब वो भी बंद हो गई है. उन्होंने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब ये भी हमें सैलरी देना नहीं चाहते हैं. ऐसे में उन्हें इधर-उधर काम करके अपना गुजारा चलाना पड़ता है.

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ये सिर्फ करनाल जिले की तस्वीरें हैं लेकिन पूरे हरियाणा में ऐसे बहुत से प्राइवेट शिक्षक हैं जो इस मुश्किल के दौर में अपना गुजर बसर बड़ी तकलीफों के साथ कर रहे हैं. अब ये शिक्षक प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं और चाहते हैं कि इस संकट की घड़ी में सरकार की तरफ से थोड़ी राहत दी जाए.

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