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मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना बनी जी का जंजाल, पहले रजिस्ट्रेशन की समस्या..उसके बाद मैसेज का महीनों इंतजार

सरकार ने किसानों की फसल खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मेरी फसल, मेरा ब्यौरा योजना शुरू की थी, लेकिन ये योजना किसानों को नहीं भा रही है, किसानों का कहना है कि सरकार ने बेशक ये योजना उनके लिए बनाई, लेकिन पंजीकरण की प्रक्रिया काफी जटिल बना दी है.

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मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना बनी जी का जंजाल
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Published : Feb 12, 2021, 8:13 PM IST

Updated : Feb 12, 2021, 11:00 PM IST

करनाल: हरियाणा सरकार ने साल 2019 में एक योजना शुरू की, मेरी फसल मेरा ब्यौरा. इस योजना का मकसद था कि प्रदेश में खेती योग्य जमीन और किस इलाके में कौन सी फसल लगाई गई है. इसका पता लगाना जिसके जरिए किसानों की फसल आसानी से खरीदने और उन्हें सहूलियत देने का दावा किया गया, लेकिन प्रदेश में अब यही योजना किसानों के जी का जंजाल बन गई है. कभी लंबी लाइन तो कभी सर्वर डाउन हो जाता है. कई बार तो सरकारी लिस्ट में उनके गांवों का नाम भी नहीं होता.

फसल बेचने के लिए काटने पड़ते हैं चक्कर

इस योजना के बारे में दूसरे किसान संजीव का कहना है उन्हें अपनी फसल को बेचने के लिए मंडियों के चक्कर काटने पड़ते हैं. पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें मंडी के मैसेज का इंताजर करना पड़ता है. उसके बाद मैसेज आता है कि उन्हें कितनी फसल खरीदी जाएगी जबकि उनकी पैदावार ज्यादा होती है. इसके बाद अगर फसल बिक भी जाए तो महीनों पेमेंट का इंतजार करना पड़ता है.

मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना बनी जी का जंजाल

ये पढ़ें- गेहूं की भूरा रतुआ बीमारी का इलाज करेगा LR-80 जीन, 20 साल की मेहनत के बाद कृषि वैज्ञानिकों को मिली सफलता

सरकार ने पंजीकरण प्रक्रिया पहले से ज्यादा मुश्किल की

इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने बात की करनाल कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप से. उनका कहना है कि ने इस बार पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए कुछ बदलाव किया गया है. पिछले सीजन में किसानों को अपना आधार कार्ड, बैंक खाता और मोबाइल नंबर देने की जरूरत होती थी. इस बार परिवार पहचान पत्र भी देना होगा. यानी पहले से परेशान किसान को एक और औपचारिता से जोड़ दिया गया.

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योजना के बारे में जानें

ये पढ़ें- मुश्किल घड़ी में नूंह के किसानों का सहारा बनी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, हजारों ने उठाया लाभ

योजना बनी किसानों के लिए जी का जंजाल!

सरकारी योजनाओं का लाभ देने के मकसद से शुरू की गई ये योजना फिलहाल बहुत से किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. पहले रजिस्ट्रेशन फिर महीनों फसल बेचने का इंतजार और किसी तरह फसल बिक जाए तो कई महीने तक पेमेंट की समस्या. एक बार फिर रबी की फसल खरीद का सीजन आ रहा है, लेकिन किसानों की समस्या जस की तस बरकरार है.

ये पढ़ें- इन बातों को ध्यान में रखकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं किसान, इस बार मौसम भी महरबान

करनाल: हरियाणा सरकार ने साल 2019 में एक योजना शुरू की, मेरी फसल मेरा ब्यौरा. इस योजना का मकसद था कि प्रदेश में खेती योग्य जमीन और किस इलाके में कौन सी फसल लगाई गई है. इसका पता लगाना जिसके जरिए किसानों की फसल आसानी से खरीदने और उन्हें सहूलियत देने का दावा किया गया, लेकिन प्रदेश में अब यही योजना किसानों के जी का जंजाल बन गई है. कभी लंबी लाइन तो कभी सर्वर डाउन हो जाता है. कई बार तो सरकारी लिस्ट में उनके गांवों का नाम भी नहीं होता.

फसल बेचने के लिए काटने पड़ते हैं चक्कर

इस योजना के बारे में दूसरे किसान संजीव का कहना है उन्हें अपनी फसल को बेचने के लिए मंडियों के चक्कर काटने पड़ते हैं. पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें मंडी के मैसेज का इंताजर करना पड़ता है. उसके बाद मैसेज आता है कि उन्हें कितनी फसल खरीदी जाएगी जबकि उनकी पैदावार ज्यादा होती है. इसके बाद अगर फसल बिक भी जाए तो महीनों पेमेंट का इंतजार करना पड़ता है.

मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना बनी जी का जंजाल

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सरकार ने पंजीकरण प्रक्रिया पहले से ज्यादा मुश्किल की

इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने बात की करनाल कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप से. उनका कहना है कि ने इस बार पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए कुछ बदलाव किया गया है. पिछले सीजन में किसानों को अपना आधार कार्ड, बैंक खाता और मोबाइल नंबर देने की जरूरत होती थी. इस बार परिवार पहचान पत्र भी देना होगा. यानी पहले से परेशान किसान को एक और औपचारिता से जोड़ दिया गया.

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सरकारी योजनाओं का लाभ देने के मकसद से शुरू की गई ये योजना फिलहाल बहुत से किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. पहले रजिस्ट्रेशन फिर महीनों फसल बेचने का इंतजार और किसी तरह फसल बिक जाए तो कई महीने तक पेमेंट की समस्या. एक बार फिर रबी की फसल खरीद का सीजन आ रहा है, लेकिन किसानों की समस्या जस की तस बरकरार है.

ये पढ़ें- इन बातों को ध्यान में रखकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं किसान, इस बार मौसम भी महरबान

Last Updated : Feb 12, 2021, 11:00 PM IST
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