करनाल: एक तरफ जहां खेती को घाटे का सौदा माना जा रहा है, वहीं हरियाणा के किसान आधुनिक तकनीकों को इस्तेमाल करके इसी खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. हमारे देश में ज्यादातर किसान अपने पूर्वजों के समय से ही परंपरागत खेती(farming haryana) करते आ रहे हैं. हालांकि खेती करने के तरीके में जरूर आधुनिकरण आया है. पहले जो काम हाथ या बैलों से किए जाते थे अब वह मशीनों से किए जाते हैं, लेकिन हमारी फसल उगाने का तरीका वही परंपरागत है. मात्र कुछ प्रतिशत किसान ही आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं.
आज हम आपको मिलवा रहे हैं करनाल के किसान नरेंद्र सिंह चौहान(farmer narendra singh karnal) से, जिन्होंने खेती के क्षेत्र में कई बड़े काम किए हैं. उनमें से एक है ठंडे पहाड़ों में उगने वाला बादाम अब नरेंद्र की कड़ी मेहनत से करनाल की धरती पर उगने लगा है. किसान नरेंद्र ने हमें बताया कि आखिर कैसे ठंडे इलाके में उगने वाला बादाम करनाल जैसे गर्म इलाके में पैदा हो रहा है. उन्होंने बताया कि साल 1995 में वे अखनूर (जम्मू-कश्मीर) घूमने के लिए गए थे, जहां पर 46 डिग्री तापमान था. वहां पर बादाम लगे हुए थे, तब उनके दिमाग में आइडिया आया कि जब 46 डिग्री तापमान में यहां पर बादाम हो सकते हैं तो उनके करनाल की धरती पर क्यों नहीं हो सकते.
नरेंद्र 1995 में ही उस पेड़ की कटिंग को लेकर करनाल आए. इसके बाद दिसंबर के महीने में ग्राफ्ट करके पेड़ लगा दिया गया. ये सिर्फ एक पेड़ लगाया गया था और देखा गया था कि ये बादाम यहां पर होता है या नहीं. पेड़ धीरे-धीरे बड़ा होने लगा और दूसरे साल में ही उसके ऊपर कुछ बादाम(almond farming) आने शुरू हो गए. लगभग 4 से 5 साल के बाद पेड़ ने पूरे तरीके से बादाम देना शुरू कर दिया. इसके बाद नरेंद्र ने आधा एकड़ जमीन पर बादाम के और पेड़ लगा दिए, जो 15 बाई 15 के अंतर पर लगाए गए. कुछ साल बाद इन पेड़ों पर हुए बादाम से उन्होंने अच्छा खासा मुनाफा कमाया और ये काम बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया.
उन्होंने बताया कि बादाम की ये गुरबंदी किस्म है जो 50 डिग्री तक तापमान सह सकती है. अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है तो 5 लेयर बागवानी अपने खेत में लगाए. 1 एकड़ में बादाम के लगभग 160 पौधे लगते हैं, जो 15 बाई 15 के अंतराल पर लगाए जाते हैं. इसमें सिंचाई ड्रिप इरिगेशन के द्वारा की जाती है ताकि पानी की बचत हो सके. नरेंद्र अब बादाम के पौधे अपनी नर्सरी में तैयार करते हैं, जो 150 रुपये प्रति पौधा के हिसाब से किसानों को दिया जाता है. किसान इसकी बुकिंग एडवांस में करते हैं जबकि पौधे लगाने का समय दिसंबर और जनवरी के महीने में होता है. 4 से 5 साल में ये पेड़ पूरी प्रोडक्शन देना शुरू हो जाता है. जिससे किसान 1 एकड़ से लाखों रुपये कमा सकते हैं.
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उन्होंने बताया कि एक पेड़ पर 40 से 45 किलो हरा कच्चा बादाम मिल रहा है. जो 80 से 160 रुपये किलो तक सब्जी मंडी में बेचा जाता है. कच्चे बादाम को सूखाकर सूखा बादाम 18 से 20 किलो एक पेड़ से निकलता है. अगर बादाम गिरी की बात की जाए तो एक पेड़ से 8 से 9 किलो गिरी मिल जाती है, जो 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक बिकती है. नरेंद्र ने बताया कि वह हरा कच्चा बादाम ही बेचते हैं और उससे उनको अच्छा मुनाफा होता है. उनको आधा एकड़ में लगाए गए पेड़ों से दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा होता है. साथ में वे इन पेड़ों के बीच में इंटर क्रॉप में सब्जियों की फसल और कुछ दाल उगाकर दोगुनी कमाई कर रहे हैं.
नरेंद्र ने बताया कि इस फसल में कोई खास बीमारी नहीं आती. इसमें सिर्फ एक मरोड़ीया बीमारी आती है जो फंगीसाइड स्प्रे करने से खत्म हो जाती है और इस पर कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं आता. नरेंद्र लगातार बागवानी में नए-नए प्रयास करते रहते हैं और उन प्रयासों को सफल करके किसानों को देते रहते हैं. वे चाहते हैं कि किसान परंपरागत तरीके से खेती को छोड़कर आधुनिक खेती अपनाएं जिससे किसानों को खेती में बचत हो सके. क्योंकि परंपरागत तरीके से खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है. इसलिए आधुनिक तरीके से खेती करना अब किसान की मजबूरी भी है और वक्त की मांग भी है, तभी किसान अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे.
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