करनालः किसान धान और गेहूं की खेती के अलावा अन्य फसलों की खेती में कम रूचि लेते हैं. धान की खेती के चलते दिनों दिन भूजलस्तर गिरता जा रहा है जिससे कई जिले डार्क जोन में चले गए हैं. कुछ सालों में पानी की समस्या और भयंकर हो सकती है. इसलिए हरियाणा सरकार किसानों को बागवानी करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है और इस मोहत्सव में किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने एक बड़ी योजना शुरू की है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी देने का ऐलान किया है.
बागवानी योजना क्या है- हरियाणा सरकार ने फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए बाग लगाने के लिए चार श्रेणियां बनाई हैं. योजना के अंतर्गत किसानों को तीन सालों में तीन बार अनुदान मिल सकेगा और 10 एकड़ तक बाग लगाने वाले किसान इसका लाभ उठा सकेंगे. जिला बागवानी अधिकारी सत्यनारायण ने बताया कि किसानों को इसका लाभ लेने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल (Meri fasal mera byora) पर पंजीकरण करवाना होगा. चीकू की खेती के लिए प्रति एकड़ 9080 रुपए, आम के लिए 5100 रुपए, अमरूद के लिए 11,500 रुपए़़, नींबू के लिए 12 हजार रुपए और आंवला के लिए 15 हजार रुपए की अनुदान राशि सरकार देगी.
ऐसे उठाएं योजना का लाभ- जो किसान बागवानी ( Horticulture in Haryana) करना चाहते हैं उनको सबसे पहले अपना पंजीकरण करवाना होगा. जो किसान पंजीकरण नहीं करवा सकते हैं वो जमीन की फरद, बैंक खाते की कॉपी व आधार कार्ड लेकर अपने जिला बागवानी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. सरकार ने उन किसानों को भी इस योजना में शामिल किया है जिन किसानों ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अनुसार वित्त वर्ष 2021 में अमरूद, आंवला व नींबू के बाग लगाए थे. ऐसे किसान भी अनुदान के लिए आवेदन कर सकते हैं.
कृषि विभाग ने प्राकृतिक आपदाओं से बागवानी के नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना भी चलाई है. योजना के तहत सब्जियों व मसालों की फसलों के नुकसान पर 30 हजार प्रति एकड़ और फलों के नुकसान पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का मुवावजा मिलेगा. सब्जी और मसाला फसलों के लिए बीमा प्रीमियम 750 रुपए एवं फल वाली फसलों के लिए 1000 रुपए प्रति एकड़ की रखा गया है. बीमा से किसानों का बागवानी करने में नुकसान का जोखिम कम हो जाएगा. ये योजना किसानों को बागवानी करने के लिए प्रोत्साहन तो देगी ही साथ ही किसान धान या अन्य पारंपरिक फसलों की खेती के जंजाल से निकल पाऐंगे. बागवानी अगर बढ़ेगी तो पानी की लागत कम होगी और पेड़ों की संख्या बढ़ने से पर्यावरण भी स्वच्छ होगा.