करनाल: सीएम सिटी करनाल में किसानों ने गन्ने की फसल का रेट बढ़ाने को लेकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के साथ गन्ना संघर्ष समिति के किसान नेता भी मौजूद रहे. किसानों का कहना है कि उन्होंने गन्ने की पेमेंट समय पर देने और रेट बढ़ाने को लेकर गुरुवार को धरना प्रदर्शन किया. उन्होंने जिला उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. हरियाणा में काफी मात्रा में गन्ने की खेती की जाती है. लेकिन किसानों का आरोप है कि पिछले साल की किसानों की गन्ने की पेमेंट का बकाया अभी तक नहीं आया. जिसके चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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भारतीय किसान यूनियन के नेता रामपाल चहल ने बताया कि आज बीकेयू के साथ गन्ना संघर्ष समिति के सदस्य और गन्ने की फसल लगाने वाले किसान इस प्रदर्शन में शामिल हुए. किसानों ने जिला उपायुक्त को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ज्ञापन सौंपा है. मांग पत्र में किसानों ने अपनी मांगों का जिक्र करते हुए जल्द उन्हें पूरा करने की डिमांड की है.
किसानों की मुख्य मांग है कि किसानों को गाने का भाव प्रति क्विंटल 450 रुपया दिया जाए और किसानों के गन्ने की पेमेंट भी 14 दिन के भीतर दी जाए. यदि पेमेंट आने में इससे ज्यादा का समय लगता है तो उसमें ₹1 सैकड़ा के हिसाब से किसानों को ब्याज मिलना चाहिए. किसानों को मिल में गन्ना डालने में काफी परेशानी होती है. क्योंकि सरकार द्वारा गन्ना मिल को काफी देरी से शुरू किया जाता है. इसलिए सरकार से अपील करते हैं कि नवंबर के पहले सप्ताह में प्रदेश की सभी मिलों को शुरू किया जाए. ताकि गन्ने की कटाई होते ही फसल को मिल में डाल दिया जाए.
इसके अलावा, किसानों की आखिरी मांग है कि उनका गन्ने का पैसा भी रुका हुआ है. पिछले सीजन की गन्ने की पेमेंट अंबाला के शुगर मिल में करीब 42 करोड़ रुपये बकाया है. किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द ये पैसा किसानों के खाते में ट्रांसफर करें. किसानों ने बताया कि पेमेंट रुकने से उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. उन्हें मजदूरी भी देनी पड़ती है और दूसरी फसलें भी लगानी होती है.
किसान नेता मनजीत सिंह ने बताया कि गन्ने वाले किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि यह सरकार को अपनी मांग पहुंचाने के लिए एक छोटा सा प्रदर्शन था. अगर सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया तो आने वाले समय में आंदोलन बड़ा होगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. उन्होंने सरकार से अपील की है कि जल्द उनकी मांगों को स्वीकार किया जाए, ताकि किसानों को थोड़ा सा फायदा हो सके.
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