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फिर से आंदोलन की राह पर हरियाणा के किसान! चढूनी बोले- मांगें नहीं मानी तो करेंगे रोड जाम

करनाल पहुंचे किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा अब रेलवे ट्रैक को जाम नहीं किया जाएगा बल्कि नेशनल हाइवे को जाम किया (farmer movement in karnal) जाएगा. उन्होंने कहा कि मोहड़ा अनाजमंडी अम्बाला में वो रोड जाम करेंगे. किसान नेता ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगें मान लेती है तो वह जाम नहीं लगाएंगे.

farmer movement in karnal
farmer movement in karnal
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Published : Nov 18, 2022, 8:11 PM IST

करनाल: 24 नवंबर को रेलवे ट्रैक की बजाय अब नेशनल हाइवे को जाम करने की तैयारी किसान नेताओं ने कर ली है. किसान नेता भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि अगर इस दौरान उनकी मांगे मान ली जाती हैं तो नेशनल हाइवे जाम नहीं किया जाएगा बल्कि सम्बधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंप दिया जाएगा. वहीं किसानों के रोड जाम करने के ऐलान (Farmers road jam in Karnal) से शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.

किसान नेता चढूनी का कहना है कि सरकार जानबूझकर किसानों को सताने का प्रयास कर रही है. अभी तक किसानों के ऊपर दर्ज मामले रद्द नहीं किए गए जबकि उन्हें अनट्रेस दिखाया जा रहा है, जो गलत है. उन्होंने कहा कि इसे सहन नहीं किया जाएगा. किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने पर अम्बाला के मोहड़ा अनाजमंडी के पास नेशनल हाइवे को जाम किया (national highway jam in haryana) जाएगा.

गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam chaduni farmer leader) ने कहा कि किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने पर अम्बाला के मोहड़ा अनाजमंडी के पास नेशनल हाइवे को जाम किया जाएगा. 24 नवंबर के दिन किसान मोर्चा तोड़ता हुआ दिल्ली कूच कर गए थे. उन्होंने कहा कि इस दिन सर छोटू राम जयंती भी है. उन्होंने कहा कि जनसभा के बाद किसान रेलवे ट्रैक की बजाय रोड जाम (national highway jam in karnal) करेंगे.

किसान नेता चढूनी ने कहा कि अधिकारियों ने किसान आंदोलन के दौरान 294 केस दर्ज किए थे, इनमें 32 केस किसान आंदोलन के पहले दर्ज किए गए थे. इनमें से 163 केस को या तो अनट्रेस दिखाकर या अन्य वजहों से निपटारा दिखाया जा रहा है बाकी पेंडिंग पड़े हैं. उन्होंने कहा कि अनट्रेस मामले दिखाने के पीछे मकसद है कि इन केसों को सरकार कभी भी खोल सकती है.

यह भी पढ़ें-कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया हरियाणा में एकीकृत पैक हाउस का उद्घाटन

उन्होंने कहा कि इन केसों में किसानों के नाम दर्ज हैं फिर अनट्रेस क्यों दिखाए जा रहे हैं. सरकार को चाहिए कि जिन अधिकारियों ने ऐसा किया है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि ये आंदोलन किसान संयुक्त मोर्चा के बैनर तले न करके भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप (Bhartiya Kisan Union) के बैनर तले किया जाएगा. उनका कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. ये दिल्ली में चल रहे तीन कृषि कानूनों के खत्म होने के लिए बनाया गया था. अब जबकि तीन कृषि कानून खत्म हो चुके (three agricultural laws) हैं तो संयुक्त किसान मोर्चा भी लगभग खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि अगर कोई यूनियन इस आंदोलन से जुड़ना चाहती है तो उसका स्वागत है.

करनाल: 24 नवंबर को रेलवे ट्रैक की बजाय अब नेशनल हाइवे को जाम करने की तैयारी किसान नेताओं ने कर ली है. किसान नेता भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि अगर इस दौरान उनकी मांगे मान ली जाती हैं तो नेशनल हाइवे जाम नहीं किया जाएगा बल्कि सम्बधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंप दिया जाएगा. वहीं किसानों के रोड जाम करने के ऐलान (Farmers road jam in Karnal) से शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.

किसान नेता चढूनी का कहना है कि सरकार जानबूझकर किसानों को सताने का प्रयास कर रही है. अभी तक किसानों के ऊपर दर्ज मामले रद्द नहीं किए गए जबकि उन्हें अनट्रेस दिखाया जा रहा है, जो गलत है. उन्होंने कहा कि इसे सहन नहीं किया जाएगा. किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने पर अम्बाला के मोहड़ा अनाजमंडी के पास नेशनल हाइवे को जाम किया (national highway jam in haryana) जाएगा.

गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam chaduni farmer leader) ने कहा कि किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने पर अम्बाला के मोहड़ा अनाजमंडी के पास नेशनल हाइवे को जाम किया जाएगा. 24 नवंबर के दिन किसान मोर्चा तोड़ता हुआ दिल्ली कूच कर गए थे. उन्होंने कहा कि इस दिन सर छोटू राम जयंती भी है. उन्होंने कहा कि जनसभा के बाद किसान रेलवे ट्रैक की बजाय रोड जाम (national highway jam in karnal) करेंगे.

किसान नेता चढूनी ने कहा कि अधिकारियों ने किसान आंदोलन के दौरान 294 केस दर्ज किए थे, इनमें 32 केस किसान आंदोलन के पहले दर्ज किए गए थे. इनमें से 163 केस को या तो अनट्रेस दिखाकर या अन्य वजहों से निपटारा दिखाया जा रहा है बाकी पेंडिंग पड़े हैं. उन्होंने कहा कि अनट्रेस मामले दिखाने के पीछे मकसद है कि इन केसों को सरकार कभी भी खोल सकती है.

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उन्होंने कहा कि इन केसों में किसानों के नाम दर्ज हैं फिर अनट्रेस क्यों दिखाए जा रहे हैं. सरकार को चाहिए कि जिन अधिकारियों ने ऐसा किया है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि ये आंदोलन किसान संयुक्त मोर्चा के बैनर तले न करके भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप (Bhartiya Kisan Union) के बैनर तले किया जाएगा. उनका कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. ये दिल्ली में चल रहे तीन कृषि कानूनों के खत्म होने के लिए बनाया गया था. अब जबकि तीन कृषि कानून खत्म हो चुके (three agricultural laws) हैं तो संयुक्त किसान मोर्चा भी लगभग खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि अगर कोई यूनियन इस आंदोलन से जुड़ना चाहती है तो उसका स्वागत है.

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