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हरियाणा के इस गांव में की जाती है खास टमाटर की खेती, किसान कमा रहे शानदार मुनाफा

हरियाणा के करनाल जिले के पधाना गांव में केवल टमाटर की खेती (tomato farming in karnal) की जाती है. यहां पर 90% किसान टमाटर की खेती करते हैं. इसलिए गांव में ही टमाटर के लिए सब्जी मंडी भी बनाई गई है.

tomato farming in karnal
tomato farming in karnal
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Published : Mar 14, 2022, 9:53 PM IST

Updated : Mar 15, 2022, 6:20 PM IST

करनाल: हरियाणा में काफी मात्रा में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती अपना रहे हैं और अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. वहीं करनाल में एक ऐसा गांव है जहां किसान ज्यादा मात्रा में टमाटर की खेती करते (tomato farming in karnal) हैं. यहां पर 90% किसान टमाटर की खेती करते हैं. इसलिए गांव में ही टमाटर के लिए सब्जी मंडी भी बनाई गई है. ताकि टमाटर बेचने के लिए दिल्ली या कहीं और बड़े शहर में न जाना पड़े और किसान का जो समय जाने आने में लगता था उस समय को वो अपने खेत में लगाए और मेहनत करके अपनी अच्छी खेती तैयार करे. इस गांव का नाम है पधाना.

गांव के किसान भीम सिंह ने कहा कि उन्होंने जब से होश संभाला है तब से उनके गांव में टमाटर की खेती करते आ रहे हैं. पहले टमाटर की बिजाई बेड बना कर उनपर की जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला तो समय के साथ तकनीक बदलती गयी. अब हमारे गांव में ज्यादातर टमाटर की खेती बांस पर की जाती है और पॉलीहाउस में भी अब टमाटर की खेती होने लगी है. बांस पर टमाटर की खेती करने पर 60% अनुदान बागवानी विभाग की तरफ से मिलता है.

हरियाणा के इस गांव में की जाती है टमाटर की खेती, किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा

वहीं गांव के एक अन्य किसान कृष्ण कुमार ने कहा कि हमारा गांव शुरू से ही टमाटर की खेती करता आया है और हमारे गांव में ऐसा कोई घर नहीं जो टमाटर की खेती नहीं करता हो क्योंकि हमारी मिट्टी पर टमाटर की खेती अच्छी होती है. एक सीजन में अगर अच्छा भाव मिल जाए तो डेढ़ लाख से 2 लाख के बीच में 1 एकड़ से टमाटर निकल जाता है और एक बार इसकी खेती करने के बाद दोबारा फिर कोई दूसरी खेती भी किसान कर सकता है इसलिए हमारे पूरे गांव का रुझान शुरू से ही टमाटर की खेती करने में है. उन्होंने दावा किया है कि हरियाणा का ये एकमात्र ऐसा गांव है जो इतनी ज्यादा मात्रा में टमाटर की खेती कर रहा है.

tomato farming in karnal
पधाना गांव के 90 प्रतिशत किसान टमाटर की खेती करते हैं

किस तरह होती है टमाटर की खेती

वहीं टमाटर की खेती को लेकर बागवानी विभाग के कृषि अधिकारी डॉ. अंशुल शर्मा ने बताया कि आज हर राज्य में अलग-अलग पद्धति के सहारे अलग-अलग खेती को नये आयाम दिए जा रहे हैं. उसी कड़ी में हरियाणा में टमाटर की हाइटेक स्टेकिंग फार्मिंग की जा रही है. खास बात तो यह है कि इस पद्धति में टमाटर की उन्नत बेलदार किस्म को ही उगाने का कार्य ज्यादा किया जा रहा है. डॉ. अंशुल ने कहा कि टमाटर की फसल पाला नहीं सहन कर सकती. इसकी खेती के लिए तापमान 18. से 27 डिग्री सही है. 21-24 डिग्री तापमान पर टमाटर में लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है. इन्हीं सब कारणों से सर्दियों में फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते हैं. तापमान 38 डिग्री से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते हैं.

tomato farming in karnal
खेत में काम करते हुआ किसान

टमाटर की ये किस्में देती हैं ज्यादा पैदावर

टमाटर की जो ज्यादातर किस्में उगाई जा रही हैं वे हैं- देसी किस्म-पूसा रूबी, पूसा-120, पूसा शीतल, पूसा गौरव, अर्का सौरभ, अर्का विकास, सोनाली. संकर किस्म-पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस.440 आदि. उन्होंने बताया कि वर्षा ऋतु के लिये जून-जुलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी, फसल पाले रहित क्षेत्रों में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिए. बुवाई पूर्व थाइरम/मेटालाक्सिल से बीजोपचार करें ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके.

क्या है टमाटर की हाइटेक स्टेकिंग फार्मिंग

उन्होंने बताया कि सर्दियों में 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहें. अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इर्रीगेशन द्वारा करनी चाहिए. टमाटर में फूल आने के समय पौधों में मिट्‌टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है. टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है. पौधों को सहारा देने से फल मिट्‌टी एवं पानी के सम्पर्क में नहीं आ पाते जिससे फल सड़ने की समस्या नहीं होती है. सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊंचाईयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधों को तारों से सुतली बांधते हैं. इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है.

tomato farming in karnal
खेत में लगे टमाटर

ये भी पढ़ें- जीरो बजट खेती के 'राजकुमार' हैं हरियाणा का ये किसान, कमा रहा अच्छा मुनाफा

कृषि अधिकारी ने बताया कि जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था में फलों की तुड़ाई करें तथा फलों की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलों दागी फलों छोटे आकार के फलों को छाटकर अलग करें. ग्रेडिंग किये फलों को केरैटे में भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी में अच्छा टमाटर का भाव हो वहां ले जाकर बेचें. टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700-800 क्विंटल तक हो सकती है. ऐसा करने से कोई भी किसान भाई इस गांव की तरह टमाटर की अच्छी खेती कर सकता है.

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करनाल: हरियाणा में काफी मात्रा में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती अपना रहे हैं और अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. वहीं करनाल में एक ऐसा गांव है जहां किसान ज्यादा मात्रा में टमाटर की खेती करते (tomato farming in karnal) हैं. यहां पर 90% किसान टमाटर की खेती करते हैं. इसलिए गांव में ही टमाटर के लिए सब्जी मंडी भी बनाई गई है. ताकि टमाटर बेचने के लिए दिल्ली या कहीं और बड़े शहर में न जाना पड़े और किसान का जो समय जाने आने में लगता था उस समय को वो अपने खेत में लगाए और मेहनत करके अपनी अच्छी खेती तैयार करे. इस गांव का नाम है पधाना.

गांव के किसान भीम सिंह ने कहा कि उन्होंने जब से होश संभाला है तब से उनके गांव में टमाटर की खेती करते आ रहे हैं. पहले टमाटर की बिजाई बेड बना कर उनपर की जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला तो समय के साथ तकनीक बदलती गयी. अब हमारे गांव में ज्यादातर टमाटर की खेती बांस पर की जाती है और पॉलीहाउस में भी अब टमाटर की खेती होने लगी है. बांस पर टमाटर की खेती करने पर 60% अनुदान बागवानी विभाग की तरफ से मिलता है.

हरियाणा के इस गांव में की जाती है टमाटर की खेती, किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा

वहीं गांव के एक अन्य किसान कृष्ण कुमार ने कहा कि हमारा गांव शुरू से ही टमाटर की खेती करता आया है और हमारे गांव में ऐसा कोई घर नहीं जो टमाटर की खेती नहीं करता हो क्योंकि हमारी मिट्टी पर टमाटर की खेती अच्छी होती है. एक सीजन में अगर अच्छा भाव मिल जाए तो डेढ़ लाख से 2 लाख के बीच में 1 एकड़ से टमाटर निकल जाता है और एक बार इसकी खेती करने के बाद दोबारा फिर कोई दूसरी खेती भी किसान कर सकता है इसलिए हमारे पूरे गांव का रुझान शुरू से ही टमाटर की खेती करने में है. उन्होंने दावा किया है कि हरियाणा का ये एकमात्र ऐसा गांव है जो इतनी ज्यादा मात्रा में टमाटर की खेती कर रहा है.

tomato farming in karnal
पधाना गांव के 90 प्रतिशत किसान टमाटर की खेती करते हैं

किस तरह होती है टमाटर की खेती

वहीं टमाटर की खेती को लेकर बागवानी विभाग के कृषि अधिकारी डॉ. अंशुल शर्मा ने बताया कि आज हर राज्य में अलग-अलग पद्धति के सहारे अलग-अलग खेती को नये आयाम दिए जा रहे हैं. उसी कड़ी में हरियाणा में टमाटर की हाइटेक स्टेकिंग फार्मिंग की जा रही है. खास बात तो यह है कि इस पद्धति में टमाटर की उन्नत बेलदार किस्म को ही उगाने का कार्य ज्यादा किया जा रहा है. डॉ. अंशुल ने कहा कि टमाटर की फसल पाला नहीं सहन कर सकती. इसकी खेती के लिए तापमान 18. से 27 डिग्री सही है. 21-24 डिग्री तापमान पर टमाटर में लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है. इन्हीं सब कारणों से सर्दियों में फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते हैं. तापमान 38 डिग्री से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते हैं.

tomato farming in karnal
खेत में काम करते हुआ किसान

टमाटर की ये किस्में देती हैं ज्यादा पैदावर

टमाटर की जो ज्यादातर किस्में उगाई जा रही हैं वे हैं- देसी किस्म-पूसा रूबी, पूसा-120, पूसा शीतल, पूसा गौरव, अर्का सौरभ, अर्का विकास, सोनाली. संकर किस्म-पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस.440 आदि. उन्होंने बताया कि वर्षा ऋतु के लिये जून-जुलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी, फसल पाले रहित क्षेत्रों में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिए. बुवाई पूर्व थाइरम/मेटालाक्सिल से बीजोपचार करें ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके.

क्या है टमाटर की हाइटेक स्टेकिंग फार्मिंग

उन्होंने बताया कि सर्दियों में 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहें. अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इर्रीगेशन द्वारा करनी चाहिए. टमाटर में फूल आने के समय पौधों में मिट्‌टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है. टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है. पौधों को सहारा देने से फल मिट्‌टी एवं पानी के सम्पर्क में नहीं आ पाते जिससे फल सड़ने की समस्या नहीं होती है. सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊंचाईयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधों को तारों से सुतली बांधते हैं. इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है.

tomato farming in karnal
खेत में लगे टमाटर

ये भी पढ़ें- जीरो बजट खेती के 'राजकुमार' हैं हरियाणा का ये किसान, कमा रहा अच्छा मुनाफा

कृषि अधिकारी ने बताया कि जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था में फलों की तुड़ाई करें तथा फलों की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलों दागी फलों छोटे आकार के फलों को छाटकर अलग करें. ग्रेडिंग किये फलों को केरैटे में भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी में अच्छा टमाटर का भाव हो वहां ले जाकर बेचें. टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700-800 क्विंटल तक हो सकती है. ऐसा करने से कोई भी किसान भाई इस गांव की तरह टमाटर की अच्छी खेती कर सकता है.

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Last Updated : Mar 15, 2022, 6:20 PM IST
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