करनाल: हरियाणा में 2 मार्च को सरकार का बजट पेश होने वाला है. जिसे लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मियां तेज हो गई है. जहां एक तरफ सत्तापक्ष बजट को लेकर उत्साहित नजर आ रहा है, वहीं विपक्षी दल सत्ता पक्ष को बड़े मुद्दों पर घेरने की कवायद में जुट गए (Haryana budget session) है. ऐसे में असंध से कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है. शमशेर सिंह ने कहा कि विधानसभा सत्र में बड़े मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की जाएगी.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने (Shamsher Singh Gogi interview) कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में किसानों की उपेक्षा कर किसानों के साथ मजाकर करने का काम किया है. साथ ही शमशेर सिंह ने राज्य सरकार से लोगों के हितों को ध्यान में रखकर बजट तैयार करने का आग्रह किया है. वहीं कांग्रेस विधायक ने भाजपा सरकार पर कई मुद्दों को लेकर हमला बोला है. शमशेर सिंह ने कहा कि सरकार बजट सत्र में धर्मांतरण पर रोक लगाने का कानून बनाने जा रही है, जबकि देश का कोई संवैधानिक धर्म नहीं है. संविधान में सभी को अपनी मर्जी से धर्म पालन करने की स्वतंत्रता है.
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साथ ही शमशेर सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार मॉडल संस्कृत स्कूलों के नाम पर मजाक कर रही है. इन स्कूलों में ना तो अंग्रेजी में पढ़ाई होती है और ना ही पर्याप्त शिक्षक हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि बच्चों के लिए दोहरी शिक्षा प्रणाली क्यों? विधायक ने कहा कि इस सरकार की नियत सेहत और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 7 सालों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र करनाल होने के बावजूद सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार यहीं देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि भाजपा काल में सरकारी पैसे का सबसे अधिक दुरुपयोग हो रहा है.
वहीं मीडिया को लेकर विधायक शमशेर सिंह ने कहा कि मीडिया पॉलिसी पर मीडिया कर्मियों के हितों को ध्यान में रखकर काम होना चाहिए. वह मीडिया पॉलिसी को लेकर विधानसभा में सवाल उठाएंगे. साथ ही शमशेर सिंह ने कहा कि जिन आंगनबाड़ी कर्मियों व आशा वर्करों ने कोरोनाकाल में काम किया, उनको ही सरकार अब परेशान कर रही है. साथ ही सरकार के पास स्वतंत्रता सेनानियों की सूची नहीं होना अत्यंत दुखद पहलू है. उन्होंने कहा कि मीडिया कर्मियों को नियंत्रित करने के लिए देश और प्रदेश में काउंसिल होना चाहिए, जिसके पास पत्रकारों का डाटा हो और जो संस्था पत्रकारों को कार्ड या लाइसेंस दे. पत्रकारों के लिए सेवा शर्त और अन्य नियमावली तय होना चाहिए.
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