करनालः आज विश्व शौचालय दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने शौचालय और सफाई की स्थिति को परखने के लिए हरियाणा के सबसे साफ-सुथरे शहर करनाल को चुना. सीएम सिटी करनाल की पहचान स्मार्ट सिटी के तौर पर भी की जाती है. साथ ही करनाल को ओडीएफ प्लस प्लस का दर्जा भी हासिल है. करनाल में सफाई व्यवस्था को लेकर अनेकों योजनाए चलाई जा रही हैं. लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है. हैरानी की बात तो ये है कि सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर शहर में शौचालयों का निर्माण करवाया, जहां आज ताले लटके हुए हैं.
अधिकारियों ने जनता को जिम्मेदार ठहराया
एक तरफ खट्टर सरकार स्वच्छ भारत अभियान और शौचालय की संख्या को लेकर वाहवाही लूटने में लगी हुई है और दूसरी तरफ सीएम सिटी करनाल के शौचालय बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. आलम ये है कि अधिकारियों की लापरवाही का हर्जाना जनता को उठाना पड़ रहा है. शौचालय की देखरेख की व्यवस्था जिन कर्मचारियों और अधिकारी की है, वो जनता पर अपना दोष मढते नजर आ रहे हैं.
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'बनते ही लटका दिए थे ताले'
स्थानीय लोगों की मानें तो जिस दिन से शौचालयों को बनाया गया है, तभी से इनमें ताले लगा दिए गए हैं. आज तक शौचालयों से तालों को नहीं हटाया गया है. लोगों का कहना है कि इतना पैसा खर्च करने के बाद भी लोगों को शौचालयों की सुविधा नहीं मिल पा रही है. जिसके चलते वो बाहर शौच करने को मजबूर है.
करनाल में लाखों रुपये खर्च कर शौचालय और ई -टॉयलेट तो बना दिए गए हैं. लेकिन इसके बावजूद भी लोग बाहर शौच करने को मजबूर है. अब सवाल यही है कि आखिर कैसे स्वच्छ भारत बनाने का सपना पूरा होगा.