करनाल: हरियाणा के करनाल जिले में बड़े स्तर पर धान की खेती की जाती है. यहीं वजह है कि करनाल जिले को हरियाणा का धान का कटोरा कहा जाता है. करनाल जिले को हरियाणा का धान का कटोरा कहने का मुख्य कारण यह है कि पूरे भारत में सबसे अच्छी बासमती धान की खेती करनाल जिले में ही होती है. करनाल का बासमती धान भारत ही नहीं विदेशों में भी काफी मशहूर है. करनाल में धान की खेती एक लाख 72 हजार हेक्टेयर भूमि पर की जाती है. जिसमें 60% मोटी धान की रोपाई की जाती है, जबकि 40% बासमती धान की रोपाई की जाती है.
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बासमती धान की रोपाई: किसान जुलाई में बासमती धान की रोपाई शुरू करते हैं. अब किसानों ने जुलाई के पहले सप्ताह से बासमती धान रोपाई का काम शुरू कर दिया है. किसानों की 90 फीसदी मोटी धान की रोपाई हो चुकी है. इस साल किसानों को अपनी धान से काफी उम्मीदे हैं. क्योंकि, ये किसानों की मुख्य फसल है. अगर इसकी रोपाई अच्छे से ना हो तो उसका उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.
इस साल फसल को लेकर किसान उत्साहित: कुरुक्षेत्र में ज्यादातर किसान धान की खेती करते हैं. पिछले दिनों हुई बरसात से किसान काफी खुश हैं. बरसात से किसानों के खेत भी गीले हो गए हैं. बासमती धान की रोपाई के लिए किसानों ने अपने खेतों में पानी छोड़ दिया है. कुछ किसानों ने अपने खेतों में धान की रोपाई भी शुरू कर दी है. जिले के किसान अपनी फसल को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.
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बासमती धान रोपाई का सही समय: कृषि अधिकारी डॉ. करमचंद का कहना है कि, अभी बासमती धान रोपाई का सही समय है. बारीक चावल का रकबा इस साल पिछले साल की अपेक्षा बढ़ा है, क्योंकि इस बार बासमती धान का भाव अच्छा मिलने के आसार हैं. उन्होंने कहा कि, सबसे पहले किसानों को चाहिए कि खेत को अच्छे से तैयार करके फिर धान के पौधे लगाने चाहिए.
बासमती धान रोपाई का वैज्ञानिक तरीका व सावधानी: कृषि अधिकारी के अनुसार, करीब 15 सेंटीमीटर की दूरी पर धान लगाएं. धान लगाने के 2 दिन बाद उसमें खरपतवार नाशक दवाई डालनी चाहिए. उसके एक सप्ताह बाद धान वाले खेत में दीमक या कीड़े की रोकथाम के लिए उसमें क्लोरोपाइरीफास दवाई एक लीटर एक एकड़ खेत में डाल सकते हैं. एक एकड़ बासमती धान में आधा कट्टा डीएपी और एक कट्टा यूरिया का डालें. यूरिया खाद डालने का काम धान लगने के 45 दिन तक पूरा कर लेना चाहिए. इस तरह से धान की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद रहती है. अंतिम यूरिया खाद खेत में डालने से पहले खेत में जितने भी खरपतवार हैं, उसे निकाल देना चाहिए. ताकि अंतिम यूरिया खाद डालने से जितने भी यूरिया की डोज है, वह धान की खेती को मिल सके. अगर खेत में खरपतवार हैं तो वह यूरिया के ज्यादा पोषण तत्व ले लेते हैं. यूरिया खाद डालने से उसमें ज्यादा बढ़ोतरी होती है, ऐसे में फसल को नुकसान होता है.
जो किसान मोटी धान लगाते हैं, वह अपने धान में 45 दिन के अंदर यूरिया खाद की मात्रा को पूरा कर लें. जिन किसानों ने मोटी धान देरी से लगाई है वे प्रति एकड़ खेत में एक बैग डीएपी खाद और दो से तीन बैग यूरिया खाद डालें. खाद को 10-10 दिन के अंतराल पर डालें. 45 दिन की धान की रोपाई होने तक यह मात्रा पूरी कर लें. ऐसे में वह अच्छी पैदावार ले सकते हैं. धान की रोपाई के 2 दिन बाद खरपतवार के लिए दवाई का छिड़काव खेत में करें. बाद में चेपा और अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए आवश्यकता अनुसार दवा का इस्तेमाल करें. - डॉ. करमचंद, कृषि अधिकारी