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Ashwin Month 2023: 30 सितंबर से शुरू हो रहा है आश्विन माह, माता दुर्गा और पितरों को समर्पित है ये मास, इस महीने भूलकर भी न करें ये काम

Ashwin Month 2023 हिंदू धर्म में आश्विन महीने में देव और पितृ पूजन का विशेष महात्म्य है. इस मास में पितरों के तर्पण के साथ साथ शारदीय नवरात्रि का त्योहार भी है. आश्विन मास पितृ पक्ष से शुरू होती है. आश्विन मास के मध्य में शारदीय नवरात्रि, दशहरा और इस मास का अंत शरद पूर्णिमा से होता है. वहीं, मान्यता है कि इस महीने में कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं, इस महीने में क्या करें और क्या ना करें... (significance of ashwin maas festival Shardiya Navratri 2023 Date Pitru paksha 2023)

Ashwin Month 2023 ignificance of ashwin maas festival Shardiya Navratri 2023 Date Pitru paksha 2023
30 सितंबर से आश्विन माह की शुरुआत शारदीय नवरात्रि पितृ पक्ष
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 28, 2023, 9:08 AM IST

Updated : Sep 29, 2023, 6:13 AM IST

करनाल: मौजूदा समय में हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महिना चल रहा है जिसका समापन 29 सितंबर को होगा. इसके बाद 30 सितंबर से हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू कैलेंडर का सातवां महीना आश्विन मास शुरू हो जाएगा. हिंदू धर्म में आश्विन महीने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है क्योंकि इस महीने में माता दुर्गा और पितरों की पूजा करने का विशेष महत्व होता है और यह महीना इन दोनों को ही समर्पित होता है हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास का प्रारंभ पितृपक्ष यानी श्राद्ध से होता है जबकि इसका समापन शरद पूर्णिमा के दिन होता है.

आश्विन महीने की शुरुआत और समापन: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से होती है जो 29 सितंबर को पड़ रही है ऐसे में आश्विन महीने की शुरुआत 30 सितंबर से होगी जबकि इसका समापन शरद पूर्णिमा के दिन होगा जो 28 अक्टूबर को है. इसके बाद हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना शुरू हो जाएगा. वहीं अगर बात करें सभी हिंदू वर्ष के महीनो के नाम नक्षत्र के आधार पर रखे जाते हैं अश्विनी नक्षत्र से ही आश्विन महीने का नाम रखा गया था.

आश्विन महीने का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 'सनातन धर्म में आश्विन महीने का विशेष महत्व होता है इस महीने को माता दुर्गा, देव और पितृ पूजा के लिए समर्पित किया जाता है. क्योंकि इस महीने की शुरुआत श्राद्ध पक्ष से होती है जो 16 दिन तक चलते हैं. इन दिनों सभी इंसान अपने पितरों की पूजा अर्चना करते हैं और उनके लिए पिंडदान, अनुष्ठान और तर्पण करते हैं. मान्यता है इन्हीं दिनों के दौरान सभी के पिता देव के रूप में पृथ्वी पर आते हैं.'

आश्विन महीने में पितृ पक्ष, नवरात्रि और दशहरा: महीने के पहले 16 दिन श्राद्ध पक्ष चलता है उसके बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इसमें माता दुर्गा की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. पितृ पक्ष और आश्विन महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष से होती है. कृष्ण पक्ष के दिनों में पितृ पक्ष चलता है, जबकि उसके बाद शुक्ल पक्ष शुरू हो जाता है और शुक्ल पक्ष में ही नवरात्रि की शुरुआत होती है. आश्विन महीने में ही दशहरे का पर्व मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही नवरात्रि शुरू होती है और शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को ही दशहरा मनाया जाता है. ऐसे में सनातन धर्म के लोगों के लिए यह तीनों दशहरा, नवरात्रि और पितृपक्ष बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसके चलते इस महीने का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है.

आश्विन महीने में क्या करें और क्या न करें: शास्त्रों के अनुसार आश्विन महीने में कुछ काम ऐसे हैं जो इंसान को नहीं करने चाहिए. मान्यता है कि अगर कोई इन कामों को करता है तो उसके परिवार में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. आश्विन माह में मूली, बैंगन, दही मसूर की दाल इन सभी चीजों का खाने में भूलकर भी प्रयोग नहीं करना चाहिए. आश्विन महीने में लहसुन, प्याज, मांस मदिरा, अंडे आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस महीने में पहले 16 दिन में श्राद्ध पक्ष होता है. उसके बाद माता नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में सनातन धर्म में इस महीने में इन सभी चीजों के सेवन करना वर्जित माना गया है . इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साथ ही किसी को भी इन दिनों के दौरान अपशब्द नहीं बोलने चाहिए. इस महीने में अपने पितरों की पूजा करें और माता दुर्गा के लिए पूजा अर्चना करे, जो बहुत ही ज्यादा फलदायी माना जाता है.

ये भी पढ़ें: Shradha Paksha 2023: जानिए कब से शूरू हो रहा है श्राद्ध पक्ष, भूल कर भी ना करें ये काम वरना हो सकता है नुकसान

आश्विन महीने के प्रमुख त्योहार और व्रत: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने की शुरुआत 30 सितंबर से हो रही है. आइए जानते हैं इस महीने में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार और व्रत आने वाले हैं. 1 अक्टूबर को पितृ पक्ष का तीसरा श्राद्ध मनाया जाएगा. 2 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. 4 अक्टूबर को रोहिणी व्रत, छठा श्राद्ध है. 6 अक्टूबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाएगा. 9 अक्टूबर को एकादशी श्राद्ध है.

14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण: 10 अक्टूबर को मघा श्राद्ध, इंदिरा एकादशी है. 11 अक्टूबर को प्रदोष व्रत है. 12 अक्टूबर को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी. 14 अक्टूबर को श्राद्ध समाप्त, सर्वपितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या, सूर्य ग्रहण है.

15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रविवार 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. 18 अक्टूबर को तुला संक्रांति (सूर्य का तुला राशि में प्रवेश), विनायक चतुर्थी है. 19 अक्टूबर को उपांग ललिता व्रत रखा जाएगा. 20 अक्टूबर को स्कंद षष्ठी है. 21 अक्टूबर को सरस्वती पूजन है. 22 अक्टूबर को सरस्वती विसर्जन, श्री दुर्गाष्टमी है. 23 अक्टूबर को महानवमी, शारदीय नवरात्रि का समापन है. 24 अक्टूबर को विजयदशमी दशहरा है.

25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी: इस साल 25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी है. 26 अक्टूबर को प्रदोष व्रत है. 28 अक्टूबर को शरद या आश्विन पूर्णिमा व्रत, कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाएंगे. आश्विन महीने के समाप्त होने के बाद कार्तिक महीना शुरू हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: Shraddha Paksha 2023: जानिए किसे कहते हैं पितर और क्या है श्राद्ध पक्ष, बस 16 दिन करें ये काम परिवार में बनी रहेगी सुख समृद्धि

करनाल: मौजूदा समय में हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महिना चल रहा है जिसका समापन 29 सितंबर को होगा. इसके बाद 30 सितंबर से हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू कैलेंडर का सातवां महीना आश्विन मास शुरू हो जाएगा. हिंदू धर्म में आश्विन महीने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है क्योंकि इस महीने में माता दुर्गा और पितरों की पूजा करने का विशेष महत्व होता है और यह महीना इन दोनों को ही समर्पित होता है हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास का प्रारंभ पितृपक्ष यानी श्राद्ध से होता है जबकि इसका समापन शरद पूर्णिमा के दिन होता है.

आश्विन महीने की शुरुआत और समापन: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से होती है जो 29 सितंबर को पड़ रही है ऐसे में आश्विन महीने की शुरुआत 30 सितंबर से होगी जबकि इसका समापन शरद पूर्णिमा के दिन होगा जो 28 अक्टूबर को है. इसके बाद हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना शुरू हो जाएगा. वहीं अगर बात करें सभी हिंदू वर्ष के महीनो के नाम नक्षत्र के आधार पर रखे जाते हैं अश्विनी नक्षत्र से ही आश्विन महीने का नाम रखा गया था.

आश्विन महीने का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 'सनातन धर्म में आश्विन महीने का विशेष महत्व होता है इस महीने को माता दुर्गा, देव और पितृ पूजा के लिए समर्पित किया जाता है. क्योंकि इस महीने की शुरुआत श्राद्ध पक्ष से होती है जो 16 दिन तक चलते हैं. इन दिनों सभी इंसान अपने पितरों की पूजा अर्चना करते हैं और उनके लिए पिंडदान, अनुष्ठान और तर्पण करते हैं. मान्यता है इन्हीं दिनों के दौरान सभी के पिता देव के रूप में पृथ्वी पर आते हैं.'

आश्विन महीने में पितृ पक्ष, नवरात्रि और दशहरा: महीने के पहले 16 दिन श्राद्ध पक्ष चलता है उसके बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इसमें माता दुर्गा की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. पितृ पक्ष और आश्विन महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष से होती है. कृष्ण पक्ष के दिनों में पितृ पक्ष चलता है, जबकि उसके बाद शुक्ल पक्ष शुरू हो जाता है और शुक्ल पक्ष में ही नवरात्रि की शुरुआत होती है. आश्विन महीने में ही दशहरे का पर्व मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही नवरात्रि शुरू होती है और शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को ही दशहरा मनाया जाता है. ऐसे में सनातन धर्म के लोगों के लिए यह तीनों दशहरा, नवरात्रि और पितृपक्ष बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसके चलते इस महीने का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है.

आश्विन महीने में क्या करें और क्या न करें: शास्त्रों के अनुसार आश्विन महीने में कुछ काम ऐसे हैं जो इंसान को नहीं करने चाहिए. मान्यता है कि अगर कोई इन कामों को करता है तो उसके परिवार में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. आश्विन माह में मूली, बैंगन, दही मसूर की दाल इन सभी चीजों का खाने में भूलकर भी प्रयोग नहीं करना चाहिए. आश्विन महीने में लहसुन, प्याज, मांस मदिरा, अंडे आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस महीने में पहले 16 दिन में श्राद्ध पक्ष होता है. उसके बाद माता नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में सनातन धर्म में इस महीने में इन सभी चीजों के सेवन करना वर्जित माना गया है . इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साथ ही किसी को भी इन दिनों के दौरान अपशब्द नहीं बोलने चाहिए. इस महीने में अपने पितरों की पूजा करें और माता दुर्गा के लिए पूजा अर्चना करे, जो बहुत ही ज्यादा फलदायी माना जाता है.

ये भी पढ़ें: Shradha Paksha 2023: जानिए कब से शूरू हो रहा है श्राद्ध पक्ष, भूल कर भी ना करें ये काम वरना हो सकता है नुकसान

आश्विन महीने के प्रमुख त्योहार और व्रत: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने की शुरुआत 30 सितंबर से हो रही है. आइए जानते हैं इस महीने में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार और व्रत आने वाले हैं. 1 अक्टूबर को पितृ पक्ष का तीसरा श्राद्ध मनाया जाएगा. 2 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. 4 अक्टूबर को रोहिणी व्रत, छठा श्राद्ध है. 6 अक्टूबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाएगा. 9 अक्टूबर को एकादशी श्राद्ध है.

14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण: 10 अक्टूबर को मघा श्राद्ध, इंदिरा एकादशी है. 11 अक्टूबर को प्रदोष व्रत है. 12 अक्टूबर को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी. 14 अक्टूबर को श्राद्ध समाप्त, सर्वपितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या, सूर्य ग्रहण है.

15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रविवार 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. 18 अक्टूबर को तुला संक्रांति (सूर्य का तुला राशि में प्रवेश), विनायक चतुर्थी है. 19 अक्टूबर को उपांग ललिता व्रत रखा जाएगा. 20 अक्टूबर को स्कंद षष्ठी है. 21 अक्टूबर को सरस्वती पूजन है. 22 अक्टूबर को सरस्वती विसर्जन, श्री दुर्गाष्टमी है. 23 अक्टूबर को महानवमी, शारदीय नवरात्रि का समापन है. 24 अक्टूबर को विजयदशमी दशहरा है.

25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी: इस साल 25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी है. 26 अक्टूबर को प्रदोष व्रत है. 28 अक्टूबर को शरद या आश्विन पूर्णिमा व्रत, कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाएंगे. आश्विन महीने के समाप्त होने के बाद कार्तिक महीना शुरू हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: Shraddha Paksha 2023: जानिए किसे कहते हैं पितर और क्या है श्राद्ध पक्ष, बस 16 दिन करें ये काम परिवार में बनी रहेगी सुख समृद्धि

Last Updated : Sep 29, 2023, 6:13 AM IST
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