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Ashadha Gupt Navratri: सुख शांति के लिए गुप्त नवरात्रि में करें ये खास उपाय, जानिए घटस्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - माता दुर्गा की पूजा

हिंदू धर्म में वैसे तो सभी नवरात्रि का विशेष महत्व है. लेकिन, गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना का विशेष महत्व है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी सोमवार, 19 जून से शुरू हो रही है. गुप्त नवारात्रि की समाप्ति बुधवार, 28 जून को होगी. (Ashadha Gupt Navratri 2023)

Ashadha Gupt Navratri 2023
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि
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Published : Jun 16, 2023, 8:48 AM IST

Updated : Jun 19, 2023, 6:30 AM IST

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में कैसे करें मां दुर्गा की पूजा.

करनाल: हिंदू धर्म में माता दुर्गा की पूजा अर्चना करने के लिए नवरात्रि का काफी महत्व होता है. कहते हैं नवरात्रि के दिनों में जो भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है, माता दुर्गा उनके ऊपर अपना आशीर्वाद बना कर रखती हैं. साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. वहीं, अगर बात करें हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 4 बार नवरात्रि आती है. इनमें दो बार खुले नवरात्रि या जिसको सार्वजनिक नवरात्रि के रूप से माता दुर्गा की पूजा की जाती है. इसके अलावा साल में दो बार नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है.

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19 जून से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: इस वर्ष साल के पहले गुप्त नवरात्रि आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 18 जून को सुबह 10:06 बजे से शुरू होगी. जबकि, 19 जून को प्रातः 11:00 बजे समाप्त होगी. इसलिए नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है, जो 19 जून से शुरू होकर 28 जून को समापन होगा. शास्त्रों में बताया गया है कि गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से माता की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है और तंत्र विद्या करने वालों साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि सबसे अच्छा माना जाता है.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा विधि और कलश स्थापना शुभ मुहूर्त: 2023 के पहले गुप्त नवरात्रि की शुरुआत आषाढ़ महीने में 19 जून से शुरू हो रही है. शास्त्रों में बताया गया है कि गुप्त नवरात्रि में माता रानी की पूजा अर्चना करने के लिए व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान इत्यादि कर लेना चाहिए, उसके बाद व्यक्ति को अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें. उसके बाद लाल वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर माता दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें और मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें. पूजा के दौरान एक बर्तन में मिट्टी लेकर उसमें जौ डालें और उसके बाद नवरात्रि के दिनों में पूजा करने के लिए मंदिर में कलश की स्थापना करें.

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त के दौरान ही करें. ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं. कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त 19 जून को सुबह 5:30 बजे से लेकर 7:27 बजे तक है. इस दौरान आप अगर कलश की स्थापना करते हैं तो यह सबसे शुभ समय होगा. अगर आप किसी कारणवश इस समय के दौरान कलश की स्थापना नहीं कर सकते तो इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से लेकर दोपहर 12: 50 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में भी आप कलश स्थापना कर सकते हैं. यह समय भी कलश स्थापना करने के लिए शुभ है. नवरात्रि में अखंड ज्योत लगाकर माता रानी की पूजा अर्चना करें.

गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा करने का महत्व: अन्य नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की 9 दिन पूजा की जाती है. लेकिन, गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 दिव्य रूप मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है सिद्धि प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रि में एकांत में जाकर माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो भी भक्त गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से माता की पूजा करते हैं, माता उनकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं.

तंत्र विद्या के लिए गुप्त नवरात्रि सबसे अहम: माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तंत्र विद्या की आराधना जाती है. कोई भी साधक अगर तंत्र मंत्र की काम करता है, उसको सिद्धि पाने के लिए इन दिनों को सबसे अहम दिन माना जाता है. वहीं, साधु-संत भी इन दिनों के दौरान सिद्धि पाने के लिए एकांत में जाकर माता रानी का ध्यान लगाकर सिद्धि पाते हैं.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में कैसे करें मां दुर्गा की पूजा.

करनाल: हिंदू धर्म में माता दुर्गा की पूजा अर्चना करने के लिए नवरात्रि का काफी महत्व होता है. कहते हैं नवरात्रि के दिनों में जो भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है, माता दुर्गा उनके ऊपर अपना आशीर्वाद बना कर रखती हैं. साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. वहीं, अगर बात करें हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 4 बार नवरात्रि आती है. इनमें दो बार खुले नवरात्रि या जिसको सार्वजनिक नवरात्रि के रूप से माता दुर्गा की पूजा की जाती है. इसके अलावा साल में दो बार नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है.

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19 जून से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: इस वर्ष साल के पहले गुप्त नवरात्रि आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 18 जून को सुबह 10:06 बजे से शुरू होगी. जबकि, 19 जून को प्रातः 11:00 बजे समाप्त होगी. इसलिए नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है, जो 19 जून से शुरू होकर 28 जून को समापन होगा. शास्त्रों में बताया गया है कि गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से माता की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है और तंत्र विद्या करने वालों साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि सबसे अच्छा माना जाता है.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा विधि और कलश स्थापना शुभ मुहूर्त: 2023 के पहले गुप्त नवरात्रि की शुरुआत आषाढ़ महीने में 19 जून से शुरू हो रही है. शास्त्रों में बताया गया है कि गुप्त नवरात्रि में माता रानी की पूजा अर्चना करने के लिए व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान इत्यादि कर लेना चाहिए, उसके बाद व्यक्ति को अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें. उसके बाद लाल वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर माता दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें और मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें. पूजा के दौरान एक बर्तन में मिट्टी लेकर उसमें जौ डालें और उसके बाद नवरात्रि के दिनों में पूजा करने के लिए मंदिर में कलश की स्थापना करें.

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त के दौरान ही करें. ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं. कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त 19 जून को सुबह 5:30 बजे से लेकर 7:27 बजे तक है. इस दौरान आप अगर कलश की स्थापना करते हैं तो यह सबसे शुभ समय होगा. अगर आप किसी कारणवश इस समय के दौरान कलश की स्थापना नहीं कर सकते तो इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से लेकर दोपहर 12: 50 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में भी आप कलश स्थापना कर सकते हैं. यह समय भी कलश स्थापना करने के लिए शुभ है. नवरात्रि में अखंड ज्योत लगाकर माता रानी की पूजा अर्चना करें.

गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा करने का महत्व: अन्य नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की 9 दिन पूजा की जाती है. लेकिन, गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 दिव्य रूप मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है सिद्धि प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रि में एकांत में जाकर माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो भी भक्त गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से माता की पूजा करते हैं, माता उनकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं.

तंत्र विद्या के लिए गुप्त नवरात्रि सबसे अहम: माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तंत्र विद्या की आराधना जाती है. कोई भी साधक अगर तंत्र मंत्र की काम करता है, उसको सिद्धि पाने के लिए इन दिनों को सबसे अहम दिन माना जाता है. वहीं, साधु-संत भी इन दिनों के दौरान सिद्धि पाने के लिए एकांत में जाकर माता रानी का ध्यान लगाकर सिद्धि पाते हैं.

Last Updated : Jun 19, 2023, 6:30 AM IST
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