करनाल: हरियाणा एक कृषि प्रधान प्रदेश है, जहां पर कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी बड़े स्तर पर किया जाता है. जिसके चलते हरियाणा राज्य पूरे देश में सभी राज्यों में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन में सबसे आगे है. हरियाणा पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं. पशुधन इकाई स्थापना के लिए सरल पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जाता है. पशुपालकों को पशुपालन के लिए 25 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है. पशुपालक इन सभी योजनाओं का लाभ लेकर अपने पशुओं की अच्छी देखभाल कर सकें.
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कौन से पशु पर कितनी मिलती है सब्सिडी: करनाल पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मेंद्र ने बताया कि हरियाणा में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से पशुपालन पर सब्सिडी देने की योजना चलाई हुई है. ताकि हरियाणा में पशुपालन को इसका लाभ देकर उनको पशुपालन में प्रोत्साहन किया जाए . उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ वह व्यक्ति ले सकता है जिसकी सालाना आय ₹180000 से कम है. जो पशुपालक सामान्य जाति से हैं उनको दो गाय और दो भैंसों पर 25% अनुदान दिया जाता है. और अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को दो गाय और दो भैंस पर 50% अनुदान दिया जाता है. भेड़ बकरी पालन करने वाले लोगों के लिए 16 पशुओं पर सामान्य जाति के पशुपालक को 25% तक अनुदान दिया जाता है, जबकि अनुसूचित जाति के लोगों को 90% अनुदान दिया जाता है. जो पशु पालक सूअर पालन करते हैं उनके लिए 11 पशु निर्धारित किए गए हैं 11 पशुओं पर सामान्य वर्ग के पशुपालक को 25% तक अनुदान दिया जाता है वहीं अनुसूचित जाति के पशुपालक को 50% तक अनुदान दिया जाता है.
मुर्गी पालन पर भी सब्सिडी: हालांकि पशुओं के साथ हरियाणा मे मुर्गी पालन के लिए अनुदान निर्धारित किया गया है जो व्यक्ति देसी मुर्गी पालन करना चाहता है उनको इस योजना के तहत 50 चूजों के साथ-साथ दो-दो दाना पानी के कटोरे भी इस योजना के तहत फ्री में दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ हम गांव गांव में शिविर लगाकर देते हैं. वहीं अगर शिविर से अलावा बात करें 20 से लेकर 50 पशुओं के इकाई स्थापना करने के लिए सामान्य जाति के पशुपालक को लोन का ब्याज सब्सिडी के रूप में दिया जाता है.
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दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए पशुपालकों को दिए जाते हैं इनाम के रूप में प्रोत्साहन राशि: पशुपालन एवं डेयरी विभाग करनाल उप निदेशक ने बताया कि पशुपालकों को दुध उत्थान बढ़ाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती हैं. इन प्रतियोगिताओं में पांच से 30 हजार रुपये तक पशुपालकों को इनाम दिया जाता है. पांच से आठ लीटर दूध देने वाली बेलाही गाय को पांच हजार, 8 से दस लीटर के लिए 10 हजार एवं 10 लीटर से ज्यादा दूध देने वाली गाय को 15 हजार रुपये का इनाम दिया जाता है. इसी प्रकार से हरियाणा गाय को 8 से 10 लीटर पर 10 हजार, 10 से 12 लीटर पर 15 हजार व 12 लीटर से ज्यादा दूध देने वाली गाय को 20 हजार रुपये का इनाम दिया जाता है.
ऑनलाइन सरल पोर्टल के माध्यम से कर सकते हैं आवेदन: उन्होंने बताया कि साहीवाल गाय को 10 से 12 लीटर दूध देने पर 10 हजार, 12 से 15 लीटर पर 15 हजार रुपये और 15 लीटर से ज्यादा दूध देने पर 20 हजार रुपये का इनाम दिया जाता है. उन्होंने बताया कि मुर्रा भैंस को 18 से 22 लीटर दूध देने पर 15 हजार रुपये, 22 से 25 लीटर पर 20 हजार रुपये एवं 25 लीटर से ज्यादा दूध देने वाली भैंस को 30 हजार रुपये का इनाम दिया जाता है. उन्होंने बताया कि कमेटी द्वारा चार बार के दूध नापन में तीन बार के दूध उत्पादन की औसत को देखकर ही इनाम दिया जाता है. उन्होंने बताया कि इसके लिए ऑनलाइन सरल पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया जाता है.
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पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए योजनाएं: हरियाणा में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए और पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी करने के सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार की योजनाओं को चलाई जा रही हैं. जिसका हरियाणा के पशुपालक लाभ भी उठा रहे हैं. पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा अनेक ऋण संबंधी योजनाएं चलाई जा रही हैं. दुधारू पशुओं की प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती हैं, जिसमें हजारों रुपये प्रोत्साहन के रूप में दिए जाते हैं. पशुपालन के लिए 25 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है. पशुपालकों को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए. स्वरोजगार के लिए पशुपालन बहुत अच्छा व्यवसाय बन चुका है.