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SYL पर बोले जेपी दलाल- कहा सुप्रीम कोर्ट कोई न कोई एजेंसी जरूर नियुक्त करेगा - Haryana SVL update

एसवाईएल को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल ने हरियाणा को बड़ा भाई बताया है और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हमारे हक में फैसला आ चुका है. हमें उम्मीद है कि नहर के लिए सुप्रीम कोर्ट कोई न कोई एजेंसी जरूर नियुक्त करेगी.

agriculture minister jp dalal statement on syl issue in karnal
agriculture minister jp dalal statement on syl issue in karnal
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Published : Aug 18, 2020, 8:08 PM IST

करनाल: एसवाईएल मामले को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने एसवाईएल पर कहा कि हरियाणा के हक में पानी को लेकर फैसला हो चुका है. उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला हमारे हक में दिया है.

एसवाईएल पर बोले जेपी दलाल

जेपी दलाल ने कहा बात तो सिर्फ ये है कि इस नहर को किस ऐजेंसी के द्वारा बनवाया जाए. उन्होंने पड़ोसी राज्य पंजाब को बड़ा भाई बताया और कहा कि पंजाब की तरफ से भी कहा गया है कि उनके राज्य में पानी की कमी है और ये तो हम सभी जानते है कि किसानों का देखभाल करना राज्य की सरकार का काम है.

एसवाईएल मामले को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बड़ा बयान दिया है, देखें वीडियो

लेकिन जब हमारे हक में फैसला हो चुका है और हमारे दक्षिण हरियाणा में खेती की पानी की तो दूर की बात पीने का पानी भी नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा कि हमारे हक का पानी हमें मिलना चाहिए और हमें उम्मीद है कि इस फैसले को पड़ोसी राज्य भी मानेगा.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि दोनों राज्य की सरकारें आपस में बैठकर इस पर फैसला करें. उन्होंने कहा कि यदि दोनों राज्य किसी नतीजे पर आ जाते हैं और फैसला हो जाता है तो अच्छी बात है. अगर फैसला नहीं हो पाता तो हमें सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है वो कोई न कोई एजेंसी जरूर नियुक्त करेगी.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

ये भी पढ़ें- सीएम के सलाहकार रहे डॉ. योगेंद्र ने एनसीसी कैडेट्स को सिखाया राष्ट्रीय एकता का पाठ

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

करनाल: एसवाईएल मामले को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने एसवाईएल पर कहा कि हरियाणा के हक में पानी को लेकर फैसला हो चुका है. उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला हमारे हक में दिया है.

एसवाईएल पर बोले जेपी दलाल

जेपी दलाल ने कहा बात तो सिर्फ ये है कि इस नहर को किस ऐजेंसी के द्वारा बनवाया जाए. उन्होंने पड़ोसी राज्य पंजाब को बड़ा भाई बताया और कहा कि पंजाब की तरफ से भी कहा गया है कि उनके राज्य में पानी की कमी है और ये तो हम सभी जानते है कि किसानों का देखभाल करना राज्य की सरकार का काम है.

एसवाईएल मामले को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बड़ा बयान दिया है, देखें वीडियो

लेकिन जब हमारे हक में फैसला हो चुका है और हमारे दक्षिण हरियाणा में खेती की पानी की तो दूर की बात पीने का पानी भी नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा कि हमारे हक का पानी हमें मिलना चाहिए और हमें उम्मीद है कि इस फैसले को पड़ोसी राज्य भी मानेगा.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि दोनों राज्य की सरकारें आपस में बैठकर इस पर फैसला करें. उन्होंने कहा कि यदि दोनों राज्य किसी नतीजे पर आ जाते हैं और फैसला हो जाता है तो अच्छी बात है. अगर फैसला नहीं हो पाता तो हमें सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है वो कोई न कोई एजेंसी जरूर नियुक्त करेगी.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

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इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

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