करनाल: प्रदेश में फसल अवशेषों को जलाने के मामले में करनाल सबसे ऊपर है. कृषि विभाग फसल अवशेषों को आग लगाने के चलते सख्त हो गया है. कृषि विभाग को सेटेलाइट के जरिए 120 जगहों की जनकारी मिली है, जहां फसल अवशेषों को जलाया जा रहा है. जिसमें से कृषि विभाग ने 58 जगहों को चिह्नित कर लिया है. कृषि विभाग ने किसानों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
कृषि विभाग की ओर से शिकायत
जिन खेतों में आग लगाई गई थी, उनके किला नंबर के आधार पर मालिकों के खिलाफ कृषि विभाग की ओर से शिकायत दर्ज करवाई गई है. सेटेलाइट से प्राप्त सूचना में जिले में 58 जगह पर फसल अवशेष जले हैं.
इन सभी जगहों को पटवारी की मदद से तलाश कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. इस कार्रवाई से किसानों में हड़कंप मच गया है. वहीं कृषि विभाग का कहना है कि अवशेष जलाने की प्रक्रिया हरगिज नहीं होने दी जाएगी.
सेटेलाइट सिस्टम से प्राप्त हुई एक्टिव फायर लोकेशन
कृषि विभाग का कहना है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. सेटेलाइट सिस्टम से प्राप्त हुई एक्टिव फायर लोकेशन की सूचना पर कृषि विभाग का ओर से गांव का मुआयना किया गया है. सेटेलाइट से प्राप्त सूचना जिलों से भेजी जा रही है. पिछले चार-पांच दिन के भीतर करनाल जिले में इस तरह की 58 घटनाएं हुई है. जिसकी जानकारी कृषि उपनिदेशक कार्यालय को भेजी गई है.
कृषि उपनिदेशक कार्यालय की टीम पटवारी को मौके पर लेकर पहुंची और जांच की. इसके अलावा खेतों का राजस्व रिकॉर्ड जांचा गया. जिसके बाद विभाग ने पुलिस में रिपोर्ट की है. आग लगाने की घटनाओं की सभी सूचनाओं को लेकर विभागीय टीम जांच में जुटी है.
फसल अवशेष जलाने पर पाबंदी
उपायुक्त विनय प्रताप सिंह द्वारा जिले में फसल अवशेष जलाने पर पाबंदी लगाते हुए धारा 144 लगाई हुई है. यही नहीं कंबाइन हार्वेस्टर पर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम लगाना अनिवार्य किया हुआ है.
इस यंत्र से धान की कटाई करते वक्त फसल अवशेष छोटे टुकड़ों में बिखर जाते हैं और उन्हें आसानी से जुताई के समय मिट्टी में मिलाया जा सकता है. जांच में जिले के तीन कंबाइन में एमएमके नहीं पाए जाने पर उन्हें इंपाउंड कर लिया गया था. बिना एमएसके कंबाइन चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध है.
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करनाल कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य डबास ने कहा कि जिले में लागू धारा 144 वायु प्रदूषण अधिनियम के उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाकर किसान पर्यावरण व जमीन दोनों को नुकसान पहुंचाता है.