ETV Bharat / state

किसानों के लिए खुशखबरी, 120 दिनों में पककर तैयार होगी गेहूं की ये नई फसल

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान केंद्र ने सालों तक रिसर्च करने के बाद गेहूं की इस किस्म को विकसित किया है. ‘करन वन्दना’ नाम की गेहूं की प्रजाति ज्यादा पैदावार देने के साथ ही ‘ब्लास्ट’ नाम की बीमारी से भी लड़ने में भी सक्षम है.

हरियाणा के किसानों के लिए खुशखबरी, 120 दिनों में पककर तैयार होगी गेहूं की ये नई फसल
author img

By

Published : Aug 23, 2019, 1:13 PM IST

करनाल: हरियाणा सहित उत्तर-पूर्वी भारत के किसानों के लिए खुशखबरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के करनाल स्थित गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान केंद्र ने गेहूं की एक नई किस्म ‘करन वन्दना’ पेश की है. गेहूं की ये नई किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता रखने के साथ-साथ ज्यादा उपज देने वाली भी है.

'ब्लास्ट' नाम की बीमारी से लड़ने में सक्षम
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं की ये किस्म उत्तर-पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के लिए ज्यादा लाभकारी है. गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान केंद्र ने सालों तक रिसर्च करने के बाद गेहूं की इस किस्म को विकसित किया है. ‘करन वन्दना’ ज्यादा पैदावार देने के साथ ही गेहूं ‘ब्लास्ट’ नाम की बीमारी से भी लड़ने में सक्षम है.

कृषि वैज्ञानिकों ने पेश की गेहूं की नई किस्म

9.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ज्यादा होगी पैदावार
संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ‘करन वन्दना’ हरियाणा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे कृषि भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु में खेती के लिए उपयुक्त है. उनके मुताबिक जहां गेहूं की दूसरी किस्मों से औसत उपज 55 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर तक हासिल की जाती है. वहीं ‘करन वन्दना’ से 64.70 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर से भी ज्यादा की पैदावार हासिल की जा सकती है.

120 दिनों में फसल हो जाती है तैयार
डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस नई किस्म के गेहूं की बुवाई के बाद फसल की बालियां 77 दिनों में निकल आती हैं और कुल मिलाकर फसल 120 दिनों में ये पूरी तरह से तैयार हो जाती है.

करनाल: हरियाणा सहित उत्तर-पूर्वी भारत के किसानों के लिए खुशखबरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के करनाल स्थित गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान केंद्र ने गेहूं की एक नई किस्म ‘करन वन्दना’ पेश की है. गेहूं की ये नई किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता रखने के साथ-साथ ज्यादा उपज देने वाली भी है.

'ब्लास्ट' नाम की बीमारी से लड़ने में सक्षम
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं की ये किस्म उत्तर-पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के लिए ज्यादा लाभकारी है. गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान केंद्र ने सालों तक रिसर्च करने के बाद गेहूं की इस किस्म को विकसित किया है. ‘करन वन्दना’ ज्यादा पैदावार देने के साथ ही गेहूं ‘ब्लास्ट’ नाम की बीमारी से भी लड़ने में सक्षम है.

कृषि वैज्ञानिकों ने पेश की गेहूं की नई किस्म

9.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ज्यादा होगी पैदावार
संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ‘करन वन्दना’ हरियाणा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे कृषि भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु में खेती के लिए उपयुक्त है. उनके मुताबिक जहां गेहूं की दूसरी किस्मों से औसत उपज 55 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर तक हासिल की जाती है. वहीं ‘करन वन्दना’ से 64.70 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर से भी ज्यादा की पैदावार हासिल की जा सकती है.

120 दिनों में फसल हो जाती है तैयार
डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस नई किस्म के गेहूं की बुवाई के बाद फसल की बालियां 77 दिनों में निकल आती हैं और कुल मिलाकर फसल 120 दिनों में ये पूरी तरह से तैयार हो जाती है.

Intro:भारतीय गेहूं एवं जों अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा किसानों के लिए गेहूं की खास किस्म की गई तैयार , करण वंदना नाम की एक किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता रखने के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली ,सरकार के मुख्य एजेंडे में 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने में होगी उपयोगी - ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह निदेशक गेहूं एवं जों अनुसंधान संस्थान करनाल


Body:करनाल स्थित गेहूं एवं जों अनुसंधान संस्थान केंद्र ने किसानों के लिए गेहूं की एक खास किस्म तैयार की है । कर्ण वंदना नाम की एक किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता रखने के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली भी है । कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह किस्म उत्तर पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त है । कर्ण बंदना अधिक पैदावार देने के साथ-साथ ब्लास्ट नामक बीमारी से भी लड़ने में सक्षम है । यह पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल असम जैसे राज्यों की कृषि भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु में खेती के लिए सबसे बेहतर है । जहां गेहूं की अन्य किस्मों से औसत उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है वही कर्ण वंदना से 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक पैदावार हासिल की जा सकती है ।




Conclusion:वीओ - संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इसमें रोगों से लड़ने की कहीं अधिक क्षमता है साथ ही प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जस्ता लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं । उन्होंने बताया की सरकार का मुख्य एजेंडा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने में यह करण वंदना नामक गेहूं की किस्म बहुत ही उपयोगी होगी । उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के द्वारा हम इस किस्म को तैयार करने में सफल हो रहे हैं ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.