कैथल: कोरोना का कहर लगातार जारी है और इससे निपटने के लिए सरकार हर भरपूर प्रयास कर रही है, लेकिन फिर भी कोरोना का संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने विशेष चेतावनी दो वर्गों को दी है, जिसमें बच्चे और बुजुर्ग शामिल किए गए हैं. इन दोनों वर्गों को इस वायरस से ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इसलिए सरकार द्वारा पिछले काफी समय से स्कूलों को बंद किया हुआ है, लेकिन अब सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को सरकार द्वारा स्कूल में आने के लिए बोल दिया गया है. फिलहाल बच्चों को स्कूलों में नहीं बुलाया गया है.
ईटीवी भारत जब अध्यापकों से इस बारे में बात करने के लिए पहुंचा तो अध्यापक राज्यपाल ने कहा कि सरकार के द्वारा जो निर्णय लिया गया है हम उसका विरोध नहीं कर रहे, लेकिन कोरोना काल में एकदम से सभी अध्यापकों को बुलाना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार की नई नीति है कि बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी, अगर अध्यापक सभी स्कूलों में आ जाएंगे तो ऑनलाइन शिक्षा देने में काफी मुश्किल हो सकती है.
बच्चों के पास संसाधनों की कमी
अध्यापक राजपाल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा देना मात्र एक ढकोसला है. जिन बच्चों को क्लास में ही कम समझ में आता है. पढ़ाई में काफी कमजोर है. वो ऑनलाइन शिक्षा कैसे ग्रहण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से हैं गांव से हैं. हमारे स्कूल में ऐसे काफी बच्चे हैं जिनके परिवार वालों के पास सिंपल फोन भी नहीं, ऐसे में ऑनलाइन क्लास के कैसे मुमकिन हो पाएगी.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार को सच में ही ऑनलाइन शिक्षा देनी है तो पहले हर बच्चों के पास स्मार्ट फोन होना चाहिए या कुछ ऐसी व्यवस्था गांव में की जानी चाहिए कि जहां पर 5 या 10 बच्चों का समूह सोशल डिस्टेंस रखकर किसी जरिए से शिक्षा ग्रहण कर सके, क्योंकि सरकार ने जो ऑनलाइन क्लास देने का निर्णय लिया था वो कारगर सिद्ध नहीं हो रहा.
'एक समय पर क्या-क्या करें अध्यापक?'
अध्यापकों ने कहा कि एक समय में एक ही काम किया जा सकता है. अध्यापक स्कूल में आने के बाद अपना कोई अन्य काम करते हैं और ऑनलाइन शिक्षा भी देते हैं. ऐसा करना नामुमकिन है और साथ ही आने जाने में भी आज आपका काफी समय बर्बाद होता है. उन्होंने ये भी कहा कि स्कूल में नेटवर्क की भी काफी समस्या रहती है तो स्कूल से अध्यापक ऑनलाइन शिक्षा सही तरीके से नहीं दे सकते. तो सरकार को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए, बिना बच्चों के अध्यापक स्कूल में क्या करेंगे.
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