कैथल: गुहला चीका के टटियाना गांव के मंदिर में श्रीमद भागवत कथा के आयोजन में महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि गीता का प्रचार प्रसार करना ही उनके जीवन का मुख्य उद्वेश्य है. राजनीति पर बोलते हुए स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि राजनीति अगर धर्म में आती है तो उसका शुद्धिकरण होता है.
समय समय पर गीता का प्रचार करने विदेशों में जाते हैं स्वामी ज्ञानानंद
मंदिर ठाकुर जी धर्मार्थ ट्रस्ट की ओर से हो रहे दिव्य गीता भागवत कथा में गीता ज्ञान से अवगत कराने के लिए वीरवार को महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद पहुंचे. इस दौरान लोगों ने महामंडलेश्वर पर पुष्पों की वर्षा कर स्वागत किया. ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि गीता का प्रचार प्रसार करना उनके जीवन का मुख्य उद्वेश्य है.
इसके लिए वह भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी समय समय पर गीता ग्रंथ का प्रचार प्रसार करने के लिए जाते हैं. धर्म पर हो रही राजनीति पर स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि धर्म की राजनीति नहीं होती है. वह कभी भी राजनीति समागम में नहीं जाते. उन्होंने कहा कि अगर राजनीति धर्म में आती है तो उसका शुद्धिकरण हो जाता है.
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त्याग किए बिना भगवान से प्रीति नहीं होती: स्वामी ज्ञानानंद
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि संसार की आसक्ति का त्याग किए बिना भगवान से प्रीति नहीं होती. उन्होंने कहा कि भगवान प्राप्ति का सरल उपाय क्रिया नहीं बल्कि प्रयुक्त लगन है.
वहीं कथावाचक छविराम दास ने कहा कि कभी भी साधु, ब्राह्मण एवं घर आने वाले अतिथि का अपमान नहीं करना चाहिए. परीक्षित मोक्ष कथा का वर्णन करते हुए स्वामी छविराम दास ने कहा कि भागवत कथा का जो मन से स्मरण करता है उसका कल्याण अवश्य ही होता है.