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VIP के हाथों उद्घाटन के इंतजार में कैथल का रैन बसेरा, खुले में सोने को मजबूर जरूरतमंद

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Published : Jan 1, 2020, 1:11 PM IST

ईटीवी भारत की टीम ने जब कैथल के रैन बसेरे का रियलिटी चेक किया तो वहां की तस्वीर चौंकाने वाली मिली. रैन बसेरे के नाम पर वहां खंडहर इमारत मिली.

shelter home in Kaithal is in bad condition
कैथल में रैन बसेरे पर रिपोर्ट

कैथल: 30 दिसंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने सूबे में रैन बसेरों को लेकर चिंता जताई. ट्वीट में उन्होंने निगम अधिकारियों को हिदायत दी कि कोई भी बेसहारा व्यक्ति बाहर ना सोए. उसे जल्द रैन बसेरों में लाया जाए, लेकिन कैथल के रैन बसेरों को देखकर तो लगता है कि अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे.

  • मुख्यमंत्री श्री @mlkhattar ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शहर में जरूरत अनुसार रैन बसेरों का निर्माण किया जाए। नगर निगम व प्रशासन के अधिकारी इस बात का ध्यान रखें कि यदि कहीं कोई व्यक्ति बाहर सोया मिले, तो उसे रैन बसेरा में लाएं, ताकि वह आराम से रात्रि विश्राम कर सके।

    — CMO Haryana (@cmohry) December 30, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रणदीप सुरजेवाला ने किया था उद्घाटन
कैथल के रैन बसेरे का उद्घाटन साल 2013 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक रणदीप सुरजेवाला ने किया था. अब हालत ये है कि ये रैन बसेरा खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. रैन बसेरे की दीवार से सीमेंट भी उतरने लगी है. जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि रैन बसेरे के निर्माण में सही सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया.

कैथल में रैन बसेरे पर रिपोर्ट, क्लिक कर देखें वीडियो

खंडहर हुआ पुराना रैन बसेरा
ईटीवी भारत की टीम ने जब कैथल के रैन बसेरे का रियलिटी चेक किया तो वहां की तस्वीर चौंकाने वाली मिली. रैन बसेरे के नाम पर वहां खंडहर इमारत मिली. ये रैन बसेरा मेन रोड से 100 मीटर की दूरी पर बनाया गया है, लेकिन रोड पर कहीं भी रैन बसेरे का कोई साइन बोर्ड नहीं लगा हुआ है. जिससे किसी को ये पता ही नहीं चलता कि यहां रैन बसेरा भी है.

वीआईपी के हाथों होना है नए रैन बसेरे का उद्घाटन
इस रैन बसेरे में मात्र तीन ही बेड है और उनपर भी कंबल की व्यवस्था नहीं है. इस रैन बसेरे की खस्ता हालत को देखते हुए प्रशासन ने नए रैन बसेरे का निर्माण किया, लेकिन इसका अभी तक उद्घाटन नहीं हुआ. क्योंकि नए रैन बसेरे का उद्घाटन वीआईपी के हाथों होना है. चाहे बेसहारा लोग ठंड के कारण मर ही क्यों ना जाए.

ये भी पढ़ें- गुरुग्राम में बीच सड़क हुड़दंग कर रही थी 6 विदेशी लड़कियां, हुई गिरफ्तार

अगर लोकेशन की बात करें तो ये रैन बरेसा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से काफी दूर है. ना तो यहां आने के लिए बस की सुविधा है और ना ही ऑटो की. जिसकी वजह से जरूरतमंद लोग रैन बसेरे तक पहुंच ही नहीं पाते.

कैथल: 30 दिसंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने सूबे में रैन बसेरों को लेकर चिंता जताई. ट्वीट में उन्होंने निगम अधिकारियों को हिदायत दी कि कोई भी बेसहारा व्यक्ति बाहर ना सोए. उसे जल्द रैन बसेरों में लाया जाए, लेकिन कैथल के रैन बसेरों को देखकर तो लगता है कि अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे.

  • मुख्यमंत्री श्री @mlkhattar ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शहर में जरूरत अनुसार रैन बसेरों का निर्माण किया जाए। नगर निगम व प्रशासन के अधिकारी इस बात का ध्यान रखें कि यदि कहीं कोई व्यक्ति बाहर सोया मिले, तो उसे रैन बसेरा में लाएं, ताकि वह आराम से रात्रि विश्राम कर सके।

    — CMO Haryana (@cmohry) December 30, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रणदीप सुरजेवाला ने किया था उद्घाटन
कैथल के रैन बसेरे का उद्घाटन साल 2013 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक रणदीप सुरजेवाला ने किया था. अब हालत ये है कि ये रैन बसेरा खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. रैन बसेरे की दीवार से सीमेंट भी उतरने लगी है. जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि रैन बसेरे के निर्माण में सही सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया.

कैथल में रैन बसेरे पर रिपोर्ट, क्लिक कर देखें वीडियो

खंडहर हुआ पुराना रैन बसेरा
ईटीवी भारत की टीम ने जब कैथल के रैन बसेरे का रियलिटी चेक किया तो वहां की तस्वीर चौंकाने वाली मिली. रैन बसेरे के नाम पर वहां खंडहर इमारत मिली. ये रैन बसेरा मेन रोड से 100 मीटर की दूरी पर बनाया गया है, लेकिन रोड पर कहीं भी रैन बसेरे का कोई साइन बोर्ड नहीं लगा हुआ है. जिससे किसी को ये पता ही नहीं चलता कि यहां रैन बसेरा भी है.

वीआईपी के हाथों होना है नए रैन बसेरे का उद्घाटन
इस रैन बसेरे में मात्र तीन ही बेड है और उनपर भी कंबल की व्यवस्था नहीं है. इस रैन बसेरे की खस्ता हालत को देखते हुए प्रशासन ने नए रैन बसेरे का निर्माण किया, लेकिन इसका अभी तक उद्घाटन नहीं हुआ. क्योंकि नए रैन बसेरे का उद्घाटन वीआईपी के हाथों होना है. चाहे बेसहारा लोग ठंड के कारण मर ही क्यों ना जाए.

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अगर लोकेशन की बात करें तो ये रैन बरेसा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से काफी दूर है. ना तो यहां आने के लिए बस की सुविधा है और ना ही ऑटो की. जिसकी वजह से जरूरतमंद लोग रैन बसेरे तक पहुंच ही नहीं पाते.

Intro:किसी वीआईपी के हाथों उद्घाटन के इंतजार में कैथल का रहन बसेरा, पुराने रैन बसेरे की हालत हुई खस्ता


Body:ईटीवी भारत की टीम आम आदमी से जुड़े हर मुद्दे के ऊपर के ऊपर ग्राउंड जीरो पर रिपोर्टिंग करती है और आमजन के मुद्दों को प्रशासन व सरकार तक पहुंचाती है।
ईटीवी भारत ने कैथल के रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया तो वहां पर पुराना रेन बसेरा बिल्कुल खस्ता हालत में है दीवारों से सीमेंट उतर चुकी है हालांकि 2013 में उसका उद्घाटन किया गया था जो कैथल के उस समय के मौजूदा विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने किया था 6 साल में ही उसकी हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसकी दीवारों से सीमेंट अपने आप उतरने लगा है कहीं ना कहीं ये भ्रष्टाचार को भी दर्शाता है कि उस समय में किस तरह का भ्रष्टाचार रैन बसेरे को बनाने में किया गया।

वहीं पर जब ईटीवी भारत की टीम ने देखा यह रैन बसेरे रोड से 100 मीटर की दूरी पर पीछे हट कर बनाए गए हैं ना ही रोड पर कोई रैन बसेरे का बोर्ड लगाया गया है कहीं ना कहीं प्रशासन और सरकार की कमी के कारण कि कोई भी बेचारा लोग उसका फायदा नहीं उठा पा रहा।

ईटीवी भारत की टीम ने दिखाया कि किस तरह के हालात पुराने रैन बसेरा की हो चुकी है वहां पर अगर कोई बेसहारा व्यक्ति रात को सोने के लिए आ जाए तो मात्र 3 बेड ही वहां पर लगाए गए हैं अगर 3 से ज्यादा व्यक्ति सोने के लिए आ जाएं तो प्रशासन उसको कहां परसों लाएंगे यह एक विचार करने वाली बात है।


Conclusion:हालांकि नया रैन बसेरा भी बनके तैयार है और पूरी ठंड अपने स्वाब पर है। मात्र 5% ही रैन बसेरे का काम करने को बचा हुआ है । इतनी ठंड को देखते हुए प्रशासन उसको शुरू कर सकता है लेकिन प्रशासन भी मजबूर है क्योंकि इस नये रेन बसेरे का किसी वी आई पी व्यक्ति के हाथों उद्घाटन होना है। चाहे बेसहारा लोग ठंड के कारण मर ही क्यों ना जाए।

वैसे भी अगर इसकी लोकेशन की बात करें यह बस स्टैंड हुआ है रेलवे स्टेशन से बहुत ज्यादा दूरी पर बनाया हुआ है वहां पर कोई व्हीकल जाता है। हालांकि प्रशासन द्वारा रैन बसेरे ऐसे लोकेशन पर बनाने चाहिए जहां पर बेसहारा लोग ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें यह नए रैन बसेरा 75 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ है।

लगातार गिरते पारे को देखते हुए आज सुबह के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी एक ट्वीट के जरिए से कहा है कि जहां भी हमें रेन बसेरे की जरूरत महसूस होती है वहां पर और ज्यादा रैन बसेरे बनाए जाएंगे अगर कोई व्यक्ति रात को बिना छत के ठंड में सो रहा है तो कर्मचारियों अधिकारियों का फर्ज बनता है कि उनको रेन बसेरा तक पहुंचाएं लेकिन अगर सरकार व प्रशासन की यही नीति रही तो लाखों रुपए से बनने वाले रैन बसेरों का फायदा आमजन कैसे उठा पाएगा। यह एक गंभीर सोचने वाली बात है।
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