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फसल खरीद को लेकर सुरजेवाला ने सरकार पर निशाना साधते हुए दिया ये सुझाव

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार किसानों की गेहूं-सरसों खरीद को लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं. सरकार को सभी रजिस्टर्ड आढ़तियों को पर्चेज सेंटर मानकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं-सरसों खरीद की इजाजत दे दी जाए.

randeep surjewala
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Published : Apr 5, 2020, 10:52 AM IST

कैथल: कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने फसल खरीद को लेकर हरियाणा सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश व कैथल के किसानों, किसान संगठनों, आढ़तियों, आढ़ती एसोसिएशन के प्रतिनिधियों, मजदूर यूनियनों से व्यापक चर्चा कर व जमीनी हकीकत का जायजा लेने से एक बात साफ है कि खट्टर सरकार गेहूं-सरसों खरीद को लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

रबी फसलों की खरीद के बारे में न कोई सोच है, न कोई तैयारी और न ही मौके पर कोई इंतजाम. ऐसे में गेहूं व अन्य फसलों की खरीद हो पाना नामुमकिन है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा की गठबंधन सरकार पर 5 पहलुओं के तहत हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला किसान-मजदूर-आढ़ती के जले पर यह कहकर नमक छिड़क रहे हैं कि किसान अपनी गेहूं की फसल काटकर घर रख ले व खरीद तीन चरणों में 30 जून तक की जाएगी.

उन्होंने कहा कि 26 मार्च, 2020 को खट्टर सरकार ने किसान-मजदूर-आढ़ती को गेहूं पर 125 रु. क्विंटल बोनस देने का एक झुनझुना थमा दिया पर नौ दिन बीत जाने के बाद अब गेहूं पर दिए जाने वाले इस बोनस की इस मांग पर खट्टर सरकार रहस्यमयी चुप्पी साधे है, क्योंकि बोनस देंगे ही नहीं. भाजपा-जजपा के तुगलकी फरमानों व गेहूं-सरसों खरीद की तैयारी के दीवालियापन का आलम कि यह है कि आज तक फसल खरीद के लिए खरीद एजेंसियों को अनाज मंडी आवंटित नहीं की.

ये भी पढ़ें- प्रवासी मजदूरों को उनके घर ले जाने के लिए तैयार गाड़ियों को पुलिस ने पकड़ा

उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार की संपूर्ण विफलता का आलम यह है कि आज तक आढ़तियों को पिछली धान व खरीफ फसलों की आढ़त तथा मजदूरी का भुगतान तक नहीं किया गया. अकेले कैथल जिले में यह राशि 19 करोड़ रु. से अधिक है व पूरे हरियाणा में 200 करोड़ रु. से अधिक बकाया है. जब पिछली आढ़त व मजदूरी की राशि का ही भुगतान नहीं हुआ, तो मौजूदा सीजन में खरीद कैसे होगी.

रणदीप सुरजेवाला ने गेहूं-सरसों की फसल पर सुझाव देते हुए कहा कि सभी रजिस्टर्ड आढ़तियों को पर्चेज सेंटर मानकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं-सरसों खरीद की इजाजत दे दी जाए. गेहूं खरीद करने, बारदाने व कट्टों की सिलाई का इंतजाम करने तथा सरकार के गोदाम तक पहुंचाई की जिम्मेदारी सीधे रजिस्टर्ड आढ़तियों की हो. इसके एवज में सरकार हर आढ़ती को गेहूं पर मिलने वाली आढ़त के साथ-साथ हर गेहूं के कट्टे के साथ बारदाने की कीमत, गेहूं सफाई, मजदूरी, कट्टे की सिलाई, गेहूं की ढुलाई, भंडारण स्थान तक पहुंचाने के साधन के किराए का भुगतान व 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि दे.

गेहूं व सरसों की खरीद पर 25 प्रतिशत एडवांस राशि आढ़तियों के खाते में सरकार जमा करवा दें. सरकार के गेहूं-सरसों भंडारण स्थान पर फसल पहुंचने के 1 हफ्ते के अंदर बाकी 75 प्रतिशत राशि का भुगतान भी सरकार आढ़तियों को कर दे. किसान, मजदूर, सिलाई करने वाले मजदूर व ट्रांसपोर्टेशन के मालिकों को भुगतान करने की जिम्मेदारी आढ़ती की हो. इस आपातकालीन स्थिति में एक-एक दाना खरीदने का इससे बेहतरीन तरीका नहीं हो सकता.

ये भी पढ़ें: गुरुग्राम: निजामुद्दीन मरकज से लौटा युवक निकला कोरोना पॉजिटिव

कैथल: कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने फसल खरीद को लेकर हरियाणा सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश व कैथल के किसानों, किसान संगठनों, आढ़तियों, आढ़ती एसोसिएशन के प्रतिनिधियों, मजदूर यूनियनों से व्यापक चर्चा कर व जमीनी हकीकत का जायजा लेने से एक बात साफ है कि खट्टर सरकार गेहूं-सरसों खरीद को लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

रबी फसलों की खरीद के बारे में न कोई सोच है, न कोई तैयारी और न ही मौके पर कोई इंतजाम. ऐसे में गेहूं व अन्य फसलों की खरीद हो पाना नामुमकिन है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा की गठबंधन सरकार पर 5 पहलुओं के तहत हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला किसान-मजदूर-आढ़ती के जले पर यह कहकर नमक छिड़क रहे हैं कि किसान अपनी गेहूं की फसल काटकर घर रख ले व खरीद तीन चरणों में 30 जून तक की जाएगी.

उन्होंने कहा कि 26 मार्च, 2020 को खट्टर सरकार ने किसान-मजदूर-आढ़ती को गेहूं पर 125 रु. क्विंटल बोनस देने का एक झुनझुना थमा दिया पर नौ दिन बीत जाने के बाद अब गेहूं पर दिए जाने वाले इस बोनस की इस मांग पर खट्टर सरकार रहस्यमयी चुप्पी साधे है, क्योंकि बोनस देंगे ही नहीं. भाजपा-जजपा के तुगलकी फरमानों व गेहूं-सरसों खरीद की तैयारी के दीवालियापन का आलम कि यह है कि आज तक फसल खरीद के लिए खरीद एजेंसियों को अनाज मंडी आवंटित नहीं की.

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उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार की संपूर्ण विफलता का आलम यह है कि आज तक आढ़तियों को पिछली धान व खरीफ फसलों की आढ़त तथा मजदूरी का भुगतान तक नहीं किया गया. अकेले कैथल जिले में यह राशि 19 करोड़ रु. से अधिक है व पूरे हरियाणा में 200 करोड़ रु. से अधिक बकाया है. जब पिछली आढ़त व मजदूरी की राशि का ही भुगतान नहीं हुआ, तो मौजूदा सीजन में खरीद कैसे होगी.

रणदीप सुरजेवाला ने गेहूं-सरसों की फसल पर सुझाव देते हुए कहा कि सभी रजिस्टर्ड आढ़तियों को पर्चेज सेंटर मानकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं-सरसों खरीद की इजाजत दे दी जाए. गेहूं खरीद करने, बारदाने व कट्टों की सिलाई का इंतजाम करने तथा सरकार के गोदाम तक पहुंचाई की जिम्मेदारी सीधे रजिस्टर्ड आढ़तियों की हो. इसके एवज में सरकार हर आढ़ती को गेहूं पर मिलने वाली आढ़त के साथ-साथ हर गेहूं के कट्टे के साथ बारदाने की कीमत, गेहूं सफाई, मजदूरी, कट्टे की सिलाई, गेहूं की ढुलाई, भंडारण स्थान तक पहुंचाने के साधन के किराए का भुगतान व 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि दे.

गेहूं व सरसों की खरीद पर 25 प्रतिशत एडवांस राशि आढ़तियों के खाते में सरकार जमा करवा दें. सरकार के गेहूं-सरसों भंडारण स्थान पर फसल पहुंचने के 1 हफ्ते के अंदर बाकी 75 प्रतिशत राशि का भुगतान भी सरकार आढ़तियों को कर दे. किसान, मजदूर, सिलाई करने वाले मजदूर व ट्रांसपोर्टेशन के मालिकों को भुगतान करने की जिम्मेदारी आढ़ती की हो. इस आपातकालीन स्थिति में एक-एक दाना खरीदने का इससे बेहतरीन तरीका नहीं हो सकता.

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