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नौकरी बहाली को लेकर PTI टीचर्स ने मंत्री कमलेश ढांडा के घर पर किया प्रदर्शन

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Published : Jul 4, 2020, 9:53 PM IST

कैथल में पीटीआई टीचर राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के आवास पर ज्ञापन देने पहुंचे, लेकिन मंत्री उनको आवास पर नहीं मिलीं. इससे नाराज पीटीआई टीचर वहीं धरने पर बैठ गए. उनका कहना है कि जबतक मंत्री नहीं मिलती वो नहीं जाएंगे.

pti teachers protest in kaithal
कैथल पीटीआई प्रदर्शन

कैथल: नौकरी बहाली की मांग को लेकर प्रदेशभर के 1983 पीटीआई टीचर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन टीचर्स का कहना है कि सरकार जबतक उनकी बहाली नहीं करती, वो इसी तरह प्रदर्शन करते रहेंगे. टीचर्स को अब राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है.

हटाए गए पीटीआई टीचर्स राज्य मंत्री कमलेश डांडा को ज्ञापन देने पहुंचे, लेकिन इन टीचर्स के आने से पहले ही मंत्री कमलेश ढांडा अपने निवास स्थान से कहीं चली गई. इससे पीटीआई टीचर्स काफी नाराज हो गए. मीडिया से बात करते हुए पीटीआई टीचर्स ने कहा कि हम समय-समय पर स्थानीय विधायकों और मंत्रियों को ज्ञापन दे रहे हैं, जिससे कि सरकार तक हमारी आवाज पहुंचे और हमें दोबारा नौकरी पर रखा जाए.

नौकरी बहाली को लेकर PTI टीचर्स ने मंत्री कमलेश ढांडा के घर पर किया प्रदर्शन

अध्यापक संघ के प्रदेश महा सचिव सतबीर गोयत ने कहा कि हमने राज्य मंत्री से ज्ञापन देने का समय भी लिया हुआ था और उनको मालूम भी था कि हम उनको ज्ञापन देने के लिए आएंगे, लेकिन जब हम उनको ज्ञापन देने के लिए उनके घर पहुंचे, तो कुछ ही दूरी पर पुलिस ने हमें रोक लिया और मंत्री के घर नहीं जाने दिया.

ज्ञापन देने पर अड़े पीटीआई टीचर

साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक मंत्री घर पर नहीं आएंगी, हम यहीं गली में बैठकर प्रदर्शन करते रहेंगे और ज्ञापन देकर ही जाएंगे. वहीं पर अध्यापकों ने मंत्री पर आरोप भी लगाया कि सभी क्षेत्रवासियों ने इसलिए वोट दिया था कि वो हमारी बात सुनेंगी, लेकिन वो ऐसा नहीं कर रही.

क्या है पूरा मामला

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

ये भी पढ़ें:-बरोदा विधानसभा के चार गांवों का सीएम मनोहर लाल खट्टर ने किया दौरा

याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

कैथल: नौकरी बहाली की मांग को लेकर प्रदेशभर के 1983 पीटीआई टीचर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन टीचर्स का कहना है कि सरकार जबतक उनकी बहाली नहीं करती, वो इसी तरह प्रदर्शन करते रहेंगे. टीचर्स को अब राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है.

हटाए गए पीटीआई टीचर्स राज्य मंत्री कमलेश डांडा को ज्ञापन देने पहुंचे, लेकिन इन टीचर्स के आने से पहले ही मंत्री कमलेश ढांडा अपने निवास स्थान से कहीं चली गई. इससे पीटीआई टीचर्स काफी नाराज हो गए. मीडिया से बात करते हुए पीटीआई टीचर्स ने कहा कि हम समय-समय पर स्थानीय विधायकों और मंत्रियों को ज्ञापन दे रहे हैं, जिससे कि सरकार तक हमारी आवाज पहुंचे और हमें दोबारा नौकरी पर रखा जाए.

नौकरी बहाली को लेकर PTI टीचर्स ने मंत्री कमलेश ढांडा के घर पर किया प्रदर्शन

अध्यापक संघ के प्रदेश महा सचिव सतबीर गोयत ने कहा कि हमने राज्य मंत्री से ज्ञापन देने का समय भी लिया हुआ था और उनको मालूम भी था कि हम उनको ज्ञापन देने के लिए आएंगे, लेकिन जब हम उनको ज्ञापन देने के लिए उनके घर पहुंचे, तो कुछ ही दूरी पर पुलिस ने हमें रोक लिया और मंत्री के घर नहीं जाने दिया.

ज्ञापन देने पर अड़े पीटीआई टीचर

साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक मंत्री घर पर नहीं आएंगी, हम यहीं गली में बैठकर प्रदर्शन करते रहेंगे और ज्ञापन देकर ही जाएंगे. वहीं पर अध्यापकों ने मंत्री पर आरोप भी लगाया कि सभी क्षेत्रवासियों ने इसलिए वोट दिया था कि वो हमारी बात सुनेंगी, लेकिन वो ऐसा नहीं कर रही.

क्या है पूरा मामला

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

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याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

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