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कैथल: अनशन पर बैठे बर्खास्त पीटीआई अध्यापक

कैथल जिले में अपनी मांगों को लेकर बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापक अब आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. अध्यापकों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को माने, नहीं तो वो ऐसे ही अनशन पर बैठे रहेंगे.

अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे पीटीआई अध्यापक
अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे पीटीआई अध्यापक
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Published : Jun 18, 2020, 4:29 PM IST

कैथल: जिले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापक अनशन पर बैठ गए हैं और अन्न जल त्याग दिया है. पीटीआई अध्यापकों ने कहा कि जबतक सरकार उनकी नौकरी नहीं लौटाती तबतक ऐसे ही वो हड़ताल करते रहेंगे.

अनशन पर बैठी हुई पीटीआई अध्यापक गुरमीत कौर ने कहा कि सरकार ने उनको हटाने का जो निर्णय लिया है. उसका पीटीआई विरोध करते हैं, क्योंकि कोर्ट ने उनको हटाने का निर्णय 6 महीने का दिया था लेकिन हरियाणा सरकार ने तुरंत प्रभाव से उनको 2 दिन के अंदर ही रिलीव कर दिया. जिससे उनके परिवार वालों को खाने के लाले पड़ गए और भूख से मरने की कगार पर है. उन्होंने कहा कि कुछ टीचर ऐसे भी हैं जो 50 वर्ष के हो चुके हैं. अब वह दूसरी नौकरी भी प्राप्त नहीं कर सकते तो सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.

अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे पीटीआई अध्यापक

ये भी पढ़ें: बल्लभगढ़ के SDM ने किया बाजार का औचक निरीक्षण, दिए जरूरी दिशा-निर्देश

'भूखे मरने के कगार पर हैं बच्चे'

पीटीआई टीचरों ने कहा कि हम प्रदेश के हर विधायक और मंत्री से मिलेंगे. अगर वह ना मिले तो हम उनका घेराव भी करेंगे लेकिन अपनी बात उन तक पहुंचाएंगे और अपनी नौकरी लेकर रहेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर टीचर भर्ती में कोई घोटाला हुआ है या कुछ टीचर सिफारिश लगाकर लगे हैं. तो उसमें इन लोगों का क्या कसूर. इन्होंने तो अपनी कड़ी मेहनत और पढ़ाई के बलबूते पर नौकरी ली थी. कुछ लोगों की कालाबाजारी से इनको अपनी नौकरी क्यों गवानी पड़े. इसलिए वो सरकार से अपील करते हैं कि हमें नौकरी पर दोबारा रखे जाएं क्योंकि हमारे छोटे-छोटे बच्चे भूखे मरने की कगार पर हैं.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

कैथल: जिले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापक अनशन पर बैठ गए हैं और अन्न जल त्याग दिया है. पीटीआई अध्यापकों ने कहा कि जबतक सरकार उनकी नौकरी नहीं लौटाती तबतक ऐसे ही वो हड़ताल करते रहेंगे.

अनशन पर बैठी हुई पीटीआई अध्यापक गुरमीत कौर ने कहा कि सरकार ने उनको हटाने का जो निर्णय लिया है. उसका पीटीआई विरोध करते हैं, क्योंकि कोर्ट ने उनको हटाने का निर्णय 6 महीने का दिया था लेकिन हरियाणा सरकार ने तुरंत प्रभाव से उनको 2 दिन के अंदर ही रिलीव कर दिया. जिससे उनके परिवार वालों को खाने के लाले पड़ गए और भूख से मरने की कगार पर है. उन्होंने कहा कि कुछ टीचर ऐसे भी हैं जो 50 वर्ष के हो चुके हैं. अब वह दूसरी नौकरी भी प्राप्त नहीं कर सकते तो सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.

अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे पीटीआई अध्यापक

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'भूखे मरने के कगार पर हैं बच्चे'

पीटीआई टीचरों ने कहा कि हम प्रदेश के हर विधायक और मंत्री से मिलेंगे. अगर वह ना मिले तो हम उनका घेराव भी करेंगे लेकिन अपनी बात उन तक पहुंचाएंगे और अपनी नौकरी लेकर रहेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर टीचर भर्ती में कोई घोटाला हुआ है या कुछ टीचर सिफारिश लगाकर लगे हैं. तो उसमें इन लोगों का क्या कसूर. इन्होंने तो अपनी कड़ी मेहनत और पढ़ाई के बलबूते पर नौकरी ली थी. कुछ लोगों की कालाबाजारी से इनको अपनी नौकरी क्यों गवानी पड़े. इसलिए वो सरकार से अपील करते हैं कि हमें नौकरी पर दोबारा रखे जाएं क्योंकि हमारे छोटे-छोटे बच्चे भूखे मरने की कगार पर हैं.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

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