कैथल: प्रदेश में 1983 पीटीआई अध्यापकों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. प्रदेश भर में जगह-जगह धरने प्रदर्शन किए जा रहे हैं और सभी विधायकों को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं. इसी कड़ी में कैथल में पीटीआई अध्यापकों ने विधायक निवास के बाहर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया.
इस दौरान विधायक के समर्थकों और पीटीआई वर्कर्स के बीच कहासुनी भी हो गई. मौके पर बीजेपी विधायक लीलाराम ने आकर बीच बचाव किया. विधायक लीलाराम गुर्जर ने पीटीआई अध्यापकों को उनकी बात प्रमुखता से मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने रखने का आश्वासन दिया.
विधायक ने कहा कि मेरे साथ अध्यापकों का प्रतिनिधिमंडल चले. मैं उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात करवा दूंगा. बीजेपी विधायक ने कहा कि वो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. पीटीआई टीचर्स की बात को प्रमुखता से मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने रखा जाएगा.
वहीं अध्यापकों के समर्थन में आए सर्व कर्मचारी संघ के नेता सतबीर गोयत ने कहा कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है और अध्यापकों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इस पूरे मामले में राजनीति की जा रही है. बदले की भावना से काम हो रहा है. खाली आश्वासन देने से मामला हल नहीं होगा.
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.
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याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी हैं. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हरियाणा सरकार ने 1983 पीटीआई टीचर्स को बर्खास्त कर दिया.