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'ऑपरेशन गोदाम': सरकारी मशीनरी की अव्यवस्था से बर्बाद हो रहा लाखों मीट्रिक टन अनाज

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Published : Jul 23, 2019, 4:59 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 7:11 PM IST

ईटीवी भारत की तरफ से शुरू की गई 'ऑपरेशन गोदाम' की इस कड़ी में हमारी टीम कैथल पहुंची और अनाज के रख रखाव का जायजा लिया, तो पता चला कि यहां तो हालात और भी बुरे हैं. किसानों की महीनों की कठोर मेहनत से पैदा हुए अनाज सरकारी मशीनरी की अव्यवस्था से बर्बाद हो रहा है.

ऑपरेशन गोदाम

कैथल: भारत को दुनिया के उन देशों में गिना जाता है जहां आज भी हर साल लाखों टन अनाज मॉनसून की वजह से खराब हो जाता है. वो भी सिर्फ इस वजह से कि क्योंकि यहां अनाज स्टोर करने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. बात करें हरियाणा की तो यहां हर साल मॉनसून किसानों की मेहनत पर इस कदर पानी फेरता है कि लोग भुखमरी के कगार पर आ जाते हैं. यह हालात तब हैं जब देश में अनाज की कोई किल्लत नहीं है, बल्कि इतना अनाज है कि उसे संभालने की जगह ही नहीं है और वो सड़ रहा है.

क्लिक कर देखें वीडियो

ईटीवी भारत की मुहिम 'ऑपरेश गोदाम'
इसलिए ईटीवी भारत की टीम ने एक मुहिम शुरू की है 'ऑपरेशन गोदाम' जिसके तहत ये कोशिश की गई है कि किसी भी अन्नदाता की मेहनत पानी अपने साथ न बहा ले जाए. इसी के तहत जब कैथल में टीम ने गोदामों और खुले में रखे गए अनाज के रखरखाव का जायजा लिया, तो यहां के वेयर हाउस का हाल भी बेहाल दिखा.

90% गेहूं गोदाम के बाहर पड़ा
इस बार सरकार की तरफ से 7 लाख 51 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था उनमें से 90% बाहर ही पड़ा है क्योंकि गोदाम में 2018 का अनाज रखा हुआ है और वहां पर जगह नहीं है.

बारिश में बाहर रखे अनाज का क्या होगा हाल
वहीं अधिकारी कहते हैं कि वेयर हाउस में अनाज को अच्छी तरह पूरे ट्रीटमेंट के साथ खुले में रखा गया है. लेकिन बाहर रखे गेहूं का बारिश में क्या हाल होगा इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है.

सरकारी मशीनरी की अव्यवस्था से बर्बाद हो रहा अनाज
किसानों की महीनों की कठोर मेहनत से पैदा हुआ अनाज सरकारी मशीनरी की अव्यवस्था से बर्बाद हो रहा है. कितनी बड़ी विडंबना है कि सरकार अनाज को सड़ने देती है. हैरानी की बात यह भी है कि उचित भंडारण न हो पाने के कारण अनाज के सड़ने की खबरें पिछले कई साल से आती रही हैं, लेकिन इस दिशा में सरकार को कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस नहीं हुई.

कैथल: भारत को दुनिया के उन देशों में गिना जाता है जहां आज भी हर साल लाखों टन अनाज मॉनसून की वजह से खराब हो जाता है. वो भी सिर्फ इस वजह से कि क्योंकि यहां अनाज स्टोर करने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. बात करें हरियाणा की तो यहां हर साल मॉनसून किसानों की मेहनत पर इस कदर पानी फेरता है कि लोग भुखमरी के कगार पर आ जाते हैं. यह हालात तब हैं जब देश में अनाज की कोई किल्लत नहीं है, बल्कि इतना अनाज है कि उसे संभालने की जगह ही नहीं है और वो सड़ रहा है.

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ईटीवी भारत की मुहिम 'ऑपरेश गोदाम'
इसलिए ईटीवी भारत की टीम ने एक मुहिम शुरू की है 'ऑपरेशन गोदाम' जिसके तहत ये कोशिश की गई है कि किसी भी अन्नदाता की मेहनत पानी अपने साथ न बहा ले जाए. इसी के तहत जब कैथल में टीम ने गोदामों और खुले में रखे गए अनाज के रखरखाव का जायजा लिया, तो यहां के वेयर हाउस का हाल भी बेहाल दिखा.

90% गेहूं गोदाम के बाहर पड़ा
इस बार सरकार की तरफ से 7 लाख 51 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था उनमें से 90% बाहर ही पड़ा है क्योंकि गोदाम में 2018 का अनाज रखा हुआ है और वहां पर जगह नहीं है.

बारिश में बाहर रखे अनाज का क्या होगा हाल
वहीं अधिकारी कहते हैं कि वेयर हाउस में अनाज को अच्छी तरह पूरे ट्रीटमेंट के साथ खुले में रखा गया है. लेकिन बाहर रखे गेहूं का बारिश में क्या हाल होगा इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है.

सरकारी मशीनरी की अव्यवस्था से बर्बाद हो रहा अनाज
किसानों की महीनों की कठोर मेहनत से पैदा हुआ अनाज सरकारी मशीनरी की अव्यवस्था से बर्बाद हो रहा है. कितनी बड़ी विडंबना है कि सरकार अनाज को सड़ने देती है. हैरानी की बात यह भी है कि उचित भंडारण न हो पाने के कारण अनाज के सड़ने की खबरें पिछले कई साल से आती रही हैं, लेकिन इस दिशा में सरकार को कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस नहीं हुई.

Intro:ऑपरेशन गोदाम मैं हमने जाना कैथल शहर में क्या है गोदामों की स्थिति और सरकार द्वारा खरीदे हुए अनाज को रखने का हालBody:हम ऑपरेशन गोदाम के लिए पहुंचे तो हमने खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी विरेंद्र सिंह से बात की और वह हमें गोदामों का मुआयना करने के लिए ले गए जितने भी गोदामों में सरकार द्वारा खरीदी हुई थी गई थी उनकी स्थिति तो अच्छी है पूरे ट्रीटमेंट के साथ वहां पर आनाज रखा जाता है.
अगर बात करें हम पिछले वर्ष सरकार द्वारा कैथल में 715000 मेट्रिक टन गेहू खरीदा गया था और अब की बारी है बढ़कर सात लाख 51 हजार मैट्रिक टन हो गया था।
लेकिन वहीं पर हमको बीएफ एस ई के अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने बताया। अबकी बार जितना गेहूं सरकार द्वारा खरीदा गया था उसमें से लगभग 90% बाहर ही रखा है क्योंकि जो गोदामों में है उनमें 2018 19 का अनाज रखा है तो इस वर्ष का अनाज उन्हें केवल 10% ही रखा गया है बाकी सब खुले में रखा गया है।
जब हमने खुले अनाज का हाल जानने के लिए गए तो देखो वहां पर वैसे तो हर अनाज का ढेर पूरी तरह से पॉलिथीन से कवर किया गया था।


लेकिन सोचने की बात यह है कि वैसे तो सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है क्या सरकार के पास इतना पैसा नहीं कि वह गुलाम बना सके और यह अनाज गोदामों में रख सके क्योंकि कुछ समय के बाद बाहर रखा हुआ अनाज खराब होने लग जाता है और यहां से आना आज डिपो में जाता है जहां से पूरे देश में अनाज मिलता है तो क्या हमारा भारतवर्ष एक अस्वस्थ अनाज खा रहा है क्योंकि कुछ समय के बाद अगर उसमें पानी लग जाए या वह अनाज गिला हो तो वह काला पड़ जाता है.Conclusion:जैसे कि 90% अनाज खुले में रखा है तो इसका जिम्मेवार विभाग नहीं हरियाणा सरकार है क्योंकि अधिकारी ने खुद माना है कि विभाग के पास इतनी गोदाम नहीं है कि सारा दिन या अनाज गोदाम के अंदर रखा जाए क्योंकि 2016-17 18-19 तब का अनाज अभी गोदामों में रखा है तो नया जो अनाज सरकार खरीदती है वह बाहर ही रखा जाता है
Last Updated : Jul 23, 2019, 7:11 PM IST
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