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हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां सांप के काटने से नहीं मरता कोई भी इंसान - कैथल का सांप वाला गांव

कैथल जिले का एक गांव रोहेड़ा है जहां पिछले करीब 4 सौ सालों में सांप के काटने से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है और इस गांव को लोग सांप को भी नहीं मारते हैं.

kaithal village roheda
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Published : Nov 22, 2019, 3:16 PM IST

Updated : Nov 24, 2019, 11:02 PM IST

कैथल: आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि प्रदेश में ऐसा गांव भी है जहां अगर किसी इंसान को सांप काट ले तो भी इंसान को कुछ नहीं होता है. ये गांव कैथल जिले का रोहेड़ा है. इस गांव में पिछले करीब 4 सौ साल से परंपरा चली आ रही है, अगर यहां सांप किसी को काट ले तो उसकी मौत नहीं होती और साथ ही इस गांव में सांप को मारना भी पाप समझा जाता है.

बच्चे के साथ हुथा था सांप का जन्म

इस अनोखी बात के पीछे गांव के लोग एक कहानी बताते हैं. गांव के लोगों का कहना कि करीब चार सौ साल पहले कुंडू गोत्र के लोग गांव धोधड़िया से आकर यहां बसे गए थे. उसी समय एक महिला ने 1 बच्चे को जन्म दिया. जिसका नाम लख्मी रखा गया. कहा जाता है कि उस महिला की कोख से बच्चे के साथ एक सांप भी जन्मा था. महिला ने उस सांप का पालन पोषण अपने बच्चे की तरह किया था. सांप और बच्चा दोनों साथ पले और बड़े हो रहे थे. दोनों साथ ही खेलते थे.

हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां सांप के काटने से नहीं मरता कोई भी इंसान, देखें वीडियो

सांप के मरते ही बच्चे ने त्याग दिए थे प्राण

भादर मास की चौथ के दिन महिला खेतों में पानी लेने के लिए गई हुई थी. महिला अपने बेटे के पास सांप को सुला गई. महिला के पीछे उसका भाई अचानक गांव आया. उसने देखा उसकी बहन घर पर नहीं और पालने में उसका भांजा सोया हुआ है और उसके पास सांप सो रहा है. उसने अपने भांजे को खतरे में महसूस करते हुए सांप को मार दिया. इधर सांप की मौत हुई और उधर भांजे ने भी अपने प्राण त्याग दिए.

इस दिन मेहमान को नहीं दिया जाता अन्न पानी

जब महिला घर आई तो उसके भाई ने उसको सारी घटना बताई. बहन ने अपनी भाई से कहा कि तूने बहुत बड़ा अनर्थ कर दिया है. महिला ने अपने भाई से गुस्से में कहा कि तू भविष्य में कभी भी इस दिन मेरे घर मत आना. तूझे इस दिन न अन्न दिया जाएगा न ही जल. तब से लेकर आज तक इस दिन गांव में किसी मेहमान को न तो जल दिया जाता है और न ही खाने के लिए कुछ.

गांव का कोई व्यक्ति कभी नहीं मारता सांप

उसी दिन से कुंडू गोत्र में परंपरा बन गई कि कोई भी व्यक्ति सांप को नहीं मारेगा. लोग ऐसा भी बताते हैं कि सांप के काटने से इस गांव कुंडू गोत्र के लोगों की मौत नहीं होती है. इस गांव में जब किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो महिलाएं गीत गा कर उसका इलाज करती हैं. जब वो व्यक्ति ठीक हो जाता है तो गांव में बने नाग देवता के मंदिर ले जाकर माथा टिकाया जाता है.

ये भी पढ़ें:- सिरसा का बदहाल सरकारी स्कूल, अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे छात्र

नाग देवता के मंदिर पर विशाल भंडारा

ग्रामवासी बताते हैं कि करीब 4 सौ साल से इस गाव में सांप के काटने से किसी की मौत नहीं हुई है. नागदेव के मंदिर पर हर 3 साल के बाद भाद्र मास की पंचम को विशाल भंडारा किया जाता है. इस भंडारे में गांव में पैदा हुए सभी बच्चों को शामिल किया जाता है. रीति रिवाज के अनुसार बच्चों को तागड़ी बांधकर सांप की पूजा करते हैं.

कैथल: आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि प्रदेश में ऐसा गांव भी है जहां अगर किसी इंसान को सांप काट ले तो भी इंसान को कुछ नहीं होता है. ये गांव कैथल जिले का रोहेड़ा है. इस गांव में पिछले करीब 4 सौ साल से परंपरा चली आ रही है, अगर यहां सांप किसी को काट ले तो उसकी मौत नहीं होती और साथ ही इस गांव में सांप को मारना भी पाप समझा जाता है.

बच्चे के साथ हुथा था सांप का जन्म

इस अनोखी बात के पीछे गांव के लोग एक कहानी बताते हैं. गांव के लोगों का कहना कि करीब चार सौ साल पहले कुंडू गोत्र के लोग गांव धोधड़िया से आकर यहां बसे गए थे. उसी समय एक महिला ने 1 बच्चे को जन्म दिया. जिसका नाम लख्मी रखा गया. कहा जाता है कि उस महिला की कोख से बच्चे के साथ एक सांप भी जन्मा था. महिला ने उस सांप का पालन पोषण अपने बच्चे की तरह किया था. सांप और बच्चा दोनों साथ पले और बड़े हो रहे थे. दोनों साथ ही खेलते थे.

हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां सांप के काटने से नहीं मरता कोई भी इंसान, देखें वीडियो

सांप के मरते ही बच्चे ने त्याग दिए थे प्राण

भादर मास की चौथ के दिन महिला खेतों में पानी लेने के लिए गई हुई थी. महिला अपने बेटे के पास सांप को सुला गई. महिला के पीछे उसका भाई अचानक गांव आया. उसने देखा उसकी बहन घर पर नहीं और पालने में उसका भांजा सोया हुआ है और उसके पास सांप सो रहा है. उसने अपने भांजे को खतरे में महसूस करते हुए सांप को मार दिया. इधर सांप की मौत हुई और उधर भांजे ने भी अपने प्राण त्याग दिए.

इस दिन मेहमान को नहीं दिया जाता अन्न पानी

जब महिला घर आई तो उसके भाई ने उसको सारी घटना बताई. बहन ने अपनी भाई से कहा कि तूने बहुत बड़ा अनर्थ कर दिया है. महिला ने अपने भाई से गुस्से में कहा कि तू भविष्य में कभी भी इस दिन मेरे घर मत आना. तूझे इस दिन न अन्न दिया जाएगा न ही जल. तब से लेकर आज तक इस दिन गांव में किसी मेहमान को न तो जल दिया जाता है और न ही खाने के लिए कुछ.

गांव का कोई व्यक्ति कभी नहीं मारता सांप

उसी दिन से कुंडू गोत्र में परंपरा बन गई कि कोई भी व्यक्ति सांप को नहीं मारेगा. लोग ऐसा भी बताते हैं कि सांप के काटने से इस गांव कुंडू गोत्र के लोगों की मौत नहीं होती है. इस गांव में जब किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो महिलाएं गीत गा कर उसका इलाज करती हैं. जब वो व्यक्ति ठीक हो जाता है तो गांव में बने नाग देवता के मंदिर ले जाकर माथा टिकाया जाता है.

ये भी पढ़ें:- सिरसा का बदहाल सरकारी स्कूल, अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे छात्र

नाग देवता के मंदिर पर विशाल भंडारा

ग्रामवासी बताते हैं कि करीब 4 सौ साल से इस गाव में सांप के काटने से किसी की मौत नहीं हुई है. नागदेव के मंदिर पर हर 3 साल के बाद भाद्र मास की पंचम को विशाल भंडारा किया जाता है. इस भंडारे में गांव में पैदा हुए सभी बच्चों को शामिल किया जाता है. रीति रिवाज के अनुसार बच्चों को तागड़ी बांधकर सांप की पूजा करते हैं.

Intro:हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां अगर साँप किसी को काट ले तो नहीं होती उसकी मौतBody:आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है कि प्रदेश में ऐसा गांव भी है जहां अगर किसी को सांप काट ले तो वह मरता नहीं।
चौक गए ना आप हम बात कर रहे हैं हरियाणा के कैथल जिले के गांव रोहेड़ा की। इस गांव में पिछले 300 से 400 साल सेक बहुत पुरानी परंपरा चली आ रही है अगर यहां सांप किसी को काट ले तो उसकी मौत नहीं होती और साथ ही इस गांव में सांप को मारना भी पाप समझा जाता है हालांकि अक्सर आप कई बार देखते हो कि सांप के काटने से किसी की भी मौत हो जाती है लेकिन इस गांव में इसका बिलकुल ही विपरीत है।

इस अनोखी बात के पीछे की कहानी बताते हुए ग्राम वासियों ने कहा कि करीब 300 से 400 साल पहले कुंडू गोत्र के बुजुर्ग गांव धोधडिया से आकर यहां बसे थे। उसी समय एक महिला ने 1 बच्चों को जन्म दिया जिसका नाम लख्मी रखा गया और कहा जाता है कि उसी महिला की कोख से बच्चे के साथ एक सांप का भी जन्म हुआ और उस महिला ने उस शाम का पालन पोषण भी अपनी औलाद की तरह ही किया।
भादर मास की चौथ के दिन वह महिला खेतों में पानी लेने के लिए गई हुई थी इसी दौरान वह अपने बेटे और सांप को एक ही पालने में सासा सुला कर चली गई इसी बीच उस महिला का भाई अचानक गांव आया और अपनी बहन को घर पर ना पाकर देखा कि पालने में उसका बच्चा सो रहा है और साथ ही एक साथ भी उसके साथ लेटा हुआ है तभी उसने सांप से अपने भांजे को खतरा महसूस होते ही उसने सांप को मार दिया और सांप भरने के तुरंत बाद ही उस बच्चे की भी मौत हो गई।

जब महिला घर आई तो उसके भाई ने उसको सारी घटना बताई तो उसने कहा कि तूने यह बहुत बड़ा अनर्थ कर दिया और उस महिला ने अपने भाई को गुस्से में कहा कि तू भविष्य में कभी भी इस दिन मेरे घर मत आना क्योंकि इस दिन तुझे मेरे घर पर ना ही अन्न दिया जाएगा ना ही जल दिया जाएगा तब से लेकर आज तक जिस दिन सांप किसी को काट लेता है तो उस दिन कुंडू गोत्र के लोग किसी मेहमान भिखारी या इस गांव में बिहाता महिला के भाई को अन्न पानी आदि नहीं दिया जाता।

उसी दिन से कुंडू गोत्र में परंपरा बनी कि कोई भी व्यक्ति साँप को नहीं मारेगा। ऐसी मान्यता है कि सांप के काटने से यहां कुंडू गोत्र के लोगों की मौत नहीं होती। यदि कोई साँप किसी व्यक्ति को काट लेता है तो उसे उसके ही घर में ही जमीन पर लेटा कर महिलाओं द्वारा गीत गाकर उसका उपचार किया जाता है उसके बाद वह व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है ठीक होने पर उसे नाग देवता के मंदिर पर ले जाकर माथा टकवाया जाता है।
ग्रामवासी बताते हैं कि 300 साल का इतिहास गोवा है कि सांप के काटने से यहां किसी की मृत्यु नहीं हुई है नागदेव के मंदिर पर हर 3 साल के बाद भाद्र मास की पंचम को भंडारा लगाया जाता है जिसमें उस दौरान पैदा हुए बच्चे को शामिल किया जाता है अब तो यहां सांप की पूजा करते हैं और अपने रीति रिवाज के साथ नए जन्मे बच्चे को तागड़ी बांधकर अपनी रीति-रिवाजों को निभा रहे हैं।

Conclusion:इस गांव में इसकी भी मान्यता है कि अगर कुंडू गोत्र से अलग किसी अन्य को भी सांप काट जाए चाहे वह किसी दूसरे गांव का ही क्यों ना हो अगर यहां नागदेव के मंदिर में आकर माथा रख लें और प्रसाद बांट दें तो वह भी स्वस्थ हो जाता है
Last Updated : Nov 24, 2019, 11:02 PM IST
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