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हरियाणा के इस किसान ने जैविक खेती कर बनाई अलग पहचान, अब दूसरों को भी कर रहे प्रेरित - जैविक खेती फायदें

कैथल जिले के रसीना गांव में रहने वाले महेंद्र ने अभियान चलाया है. उन्होंने मात्र 10वीं पास होने के बावजूद भी जैविक खेती को नए आयाम दिए हैं. वो लगभग 15 सालों से जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इस वक्त वो करीब 20 एकड़ में जैविक खेती करते हैं.

more than 150 farmers doing organic farming in kaithal district of haryana
कैथल के इस किसान ने जैविक खेती कर बनाई अलग पहचान, अब दूसरों को भी कर रहे हैं प्रेरित
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Published : Sep 3, 2020, 8:11 PM IST

कैथल: देश में हरित क्रांति आने के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ये वो राज्ये थे, जिन्होंने सबसे पहले कृषि के आधुनिक तरीकों का प्रयोग किया था. आधुनिकता के चक्कर में किसानों ने पारंपरिक खेती को अलविदा तो कह दिया, लेकिन इसके दुष्परिणाम आज भी देखे जा सकते हैं.

रसायन का इस्तेमाल है जानलेवा

रसायनों के ज्यादा इस्तेमाल से ना सिर्फ मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि भूमिगत जल स्तर भी कम हो रहा है. इसके अलावा ये रसायन कई तरह की बीमारियों को भी जन्म दे रहे हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अब किसानों को दोबारा से पारंपरिक खेती या फिर जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.

कैथल के इस किसान ने जैविक खेती कर बनाई अलग पहचान, अब दूसरों को भी कर रहे हैं प्रेरित

कैथल के किसान दे रहे जैविक खेती को नए आयाम

खतरनाक रसायनों को कम करने के लिए जैविक खेती पर जोर दिया जाने लगा है, लेकिन ऐसे कई पहलू हैं जिन पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है. जैसे किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए एक मिशन बनाकर हर खेत को जहर मुक्त करना होगा. ये सिर्फ सरकारी स्तर पर संभव नहीं बल्कि इसके लिए देश के प्रगतिशील किसानों को भी आगे आना होगा. जैसे कि हरियाणा के कैथल जिले के रसीना गांव में रहने वाले महेंद्र ने अभियान चलाया है. जिन्होंने मात्र 10 वीं पास होने के बावजूद भी जैविक खेती को नए आयाम दिए हैं. वो लगभग 15 सालों से जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

किसानों के लिए मिसाल बने महेंद्र

महेंद्र से प्रेरित होकर कई दूसरे किसानों ने भी जैविक खेती को अपनाया है. रसिया गांव के कई किसान आज जैविक खेती कर रहे हैं. वो खेती कर अभी सिर्फ अपने परिवार के लिए ही फसल उगा रहे हैं.

जैविक खेती क्यों?

जैविक खेती क्यों जरूरी है? इसे एक उदाहरण से समझिए कि 1950 में भारत में 6 लाख हेक्टेयर भूमि पर 2 हजार टन रसायनों का प्रयोग किया जाता था, जो मौजूदा समय में बेतहाशा बढ़कर 2 करोड़ हेक्टेयर भूमि में 1 लाख टन तक पहुंच गया है. जिसे एक्सपर्ट खतरनाक मानते हैं.

ये भी पढ़िए: अनलॉक-4: यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठा रहे प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स, वसूल रहे दोगुना किराया

देश और प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ाना जरूरी है और ये कैसे हो सकता है इसका उदाहरण कैथल ने पेश किया है. कैथल के कृषि उपनिदेशक डॉ. करमचंद की मानें तो जिले में करीब 150 ऐसे किसान हैं जो जैविक खेती कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि ये संख्या आने वाले वक्त में और भी बढ़ेगी. कैथल में जितनी जैविक खेती अभी हो रही है वो काफी तो नहीं है, लेकिन फिर भी दूसरे जिलों के लिए एक उदाहरण जरूर है कि बिना रसायन का उपयोग करे भी मुनाफा कमाया जा सकता है. जिससे जान और जहान दोनों की सुरक्षा बनी रहेगी.

कैथल: देश में हरित क्रांति आने के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ये वो राज्ये थे, जिन्होंने सबसे पहले कृषि के आधुनिक तरीकों का प्रयोग किया था. आधुनिकता के चक्कर में किसानों ने पारंपरिक खेती को अलविदा तो कह दिया, लेकिन इसके दुष्परिणाम आज भी देखे जा सकते हैं.

रसायन का इस्तेमाल है जानलेवा

रसायनों के ज्यादा इस्तेमाल से ना सिर्फ मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि भूमिगत जल स्तर भी कम हो रहा है. इसके अलावा ये रसायन कई तरह की बीमारियों को भी जन्म दे रहे हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अब किसानों को दोबारा से पारंपरिक खेती या फिर जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.

कैथल के इस किसान ने जैविक खेती कर बनाई अलग पहचान, अब दूसरों को भी कर रहे हैं प्रेरित

कैथल के किसान दे रहे जैविक खेती को नए आयाम

खतरनाक रसायनों को कम करने के लिए जैविक खेती पर जोर दिया जाने लगा है, लेकिन ऐसे कई पहलू हैं जिन पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है. जैसे किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए एक मिशन बनाकर हर खेत को जहर मुक्त करना होगा. ये सिर्फ सरकारी स्तर पर संभव नहीं बल्कि इसके लिए देश के प्रगतिशील किसानों को भी आगे आना होगा. जैसे कि हरियाणा के कैथल जिले के रसीना गांव में रहने वाले महेंद्र ने अभियान चलाया है. जिन्होंने मात्र 10 वीं पास होने के बावजूद भी जैविक खेती को नए आयाम दिए हैं. वो लगभग 15 सालों से जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

किसानों के लिए मिसाल बने महेंद्र

महेंद्र से प्रेरित होकर कई दूसरे किसानों ने भी जैविक खेती को अपनाया है. रसिया गांव के कई किसान आज जैविक खेती कर रहे हैं. वो खेती कर अभी सिर्फ अपने परिवार के लिए ही फसल उगा रहे हैं.

जैविक खेती क्यों?

जैविक खेती क्यों जरूरी है? इसे एक उदाहरण से समझिए कि 1950 में भारत में 6 लाख हेक्टेयर भूमि पर 2 हजार टन रसायनों का प्रयोग किया जाता था, जो मौजूदा समय में बेतहाशा बढ़कर 2 करोड़ हेक्टेयर भूमि में 1 लाख टन तक पहुंच गया है. जिसे एक्सपर्ट खतरनाक मानते हैं.

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देश और प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ाना जरूरी है और ये कैसे हो सकता है इसका उदाहरण कैथल ने पेश किया है. कैथल के कृषि उपनिदेशक डॉ. करमचंद की मानें तो जिले में करीब 150 ऐसे किसान हैं जो जैविक खेती कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि ये संख्या आने वाले वक्त में और भी बढ़ेगी. कैथल में जितनी जैविक खेती अभी हो रही है वो काफी तो नहीं है, लेकिन फिर भी दूसरे जिलों के लिए एक उदाहरण जरूर है कि बिना रसायन का उपयोग करे भी मुनाफा कमाया जा सकता है. जिससे जान और जहान दोनों की सुरक्षा बनी रहेगी.

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