कैथल: सम्राट मिहिर भोज की जाति पर गुर्जर और राजपूत समुदायों के बीच विवाद लगातार तूल पकड़ रहा है. एक तरफ गुर्जर समुदाय सम्राट मिहिर को अपना वंशज बता रहा है तो दूसरी तरफ राजपूत समुदाय उन्हें अपना वंशज बता रहा है. इस बात को लेकर दोनों समुदाय आमने-सामने खड़े हैं. फिलहाल ये मामला हाई कोर्ट पहुंच चुका है. दोनों समुदायों का मानना है कि हाई कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा.
शुक्रवार को अखिल भारतीय क्षत्रिय सभा कैथल के जिला अध्यक्ष एडवोकेट रणबीर राणा ने बताया कि गुर्जर समाज ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के लिए प्रशासनिक अनुमति लेकर शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर को जो आवेदन किया था. उस आवेदन में कहीं पर भी मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर शब्द नहीं लिखा हुआ था. जिसके बाद जिला प्रशासन ने सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति को स्थापित करने की अनुमति दी थी.
वकील रणवीर राणा ने कहा कि प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद उनके नाम के आगे गुर्जर शब्द लिखवाया गया है. उन्होंने प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि जो अनुमति उन्होंने सम्राट मिहिर भोज के नाम से दी है. उसी अनुसार चौक को बनाया जाए, यदि प्रशासन इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं करेगा, तो फिर वो मजबूरन कोर्ट का सहारा लेंगे. रणवीर राणा ने कहा कि वो इस विषय को लेकर जल्द ही कैथल डीसी को ज्ञापन देंगे.
उन्होंने कहा कि इस बात के दस्तावेज वो चंडीगढ़ हाई कोर्ट में 3 अगस्त को होने वाली सुनवाई में रखेंगे. बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर राजपूत समाज ने चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में केस दायर किया हुआ है. जिसकी सुनवाई आगामी 3 अगस्त को होनी है.