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कैथल: क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में ई-व्याकरण से दिया जा रहा है हिंदी का ज्ञान - government school kaithal

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने भी ई-व्याकरण को खूब सराहा और कहा कि हमें अब हिंदी पढ़ना कठिन नहीं लगता. पहले हिंदी बड़ी कठिन लगती थी और मात्राएं की गलतियां होना तो स्वाभाविक होता था.

government school kaithal
क्योड़क गांव का सरकारी स्कूल
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Published : Jan 22, 2020, 5:22 PM IST

कैथल: डॉ. चावला हिंदी विभाग में एक मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. डॉ. चावला ने ने हिंदी भाषा में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके व्याकरण खेल पिटारा जैसे माध्यम तैयार किए और उन बच्चों के लिए वरदान साबित हुए जो हिंदी विषय को कठिन मानते हैं.

ई-व्याकरण क्या है ?

डॉ. चावला क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में हिंदी के प्राध्यापक हैं और शिक्षा विभाग में आधुनिक शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. उन्होंने छोटे बच्चों के लिए शिक्षा में ऐसे तरीके इजाद किए हैं. जिससे बच्चों का मानसिक विकास तो हो ही रहा है. साथ ही उन्हें आधुनिक तरीके से हिंदी भाषा का ज्ञान भी प्राप्त हो रहा है.

क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में ई-व्याकरण से दिया जा रहा है हिंदी का ज्ञान

डॉक्टर चावला की उपलब्धियां का आलम ये है कि आज 15 राज्यों में उनके द्वारा बनाई गई व्याकरण विभिन्न स्कूलों में अध्यापकों द्वारा पढ़ाई जा रही है. साथ ही उन्हें खेल पिटारा में सांप सीढ़ी लूडो अन्य कई तरीके छोटे बच्चों के लिए शिक्षा में आधुनिकरण के रास्ते खोल दिए हैं.

डॉक्टर चावला की बनाई इ-व्याकरण का खेल आज के समय में हिंदी सीखने में बच्चों की मदद कर रहा है. इसके माध्यम से ही अपने स्कूल में बच्चों को शिक्षा देना शुरू कर दिया है. इसके लिए डॉक्टर चावला को प्रशंसा पत्र भी मिल चुके हैं और प्रदेश में कई बार सम्मानित किया जा चुका है,

इसके अलावा डॉ. विजय चावला द्वारा बनाया गया खेल पिटारा जो सांप सीढ़ी लूडो सहित कई तरह के खेल माध्यमों से छोटे बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया और उनका ये प्रयास इतना सफल रहा कि 7 राज्य के अध्यापक इसका प्रयोग अपने स्कूलों में कर रहे हैं. डॉक्टर विजय चावला ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करना मुझे पसंद है. अपने 24 वर्षों की शैक्षणिक यात्रा में मेरे द्वारा अनेक प्रयोग किए गए हैं, मेरा मकसद नए-नए प्रयोग और खेलों से बच्चों के मन में पढ़ने की रुचि पैदा करना है ताकि उनके मन में रट्टा न लगाकर इन नए तरीकों से ज्ञान की वृद्धि की जा सके.

पढ़ने वाले बच्चों ने भी उनके द्वारा बनाए गए नए नए तरीकों को खूब सराहा और कहा कि हमें अब हिंदी पढ़ना कठिन नहीं लगता. पहले हिंदी बड़ी कठिन लगती थी और मात्राएं की गलतियां होना तो स्वाभाविक होता था. लेकिन अब हिंदी भाषा रुचिकर तो लगती ही है. साथ में एक एक चीज अच्छे से मन में बैठ जाती है तो गलतियां की कोई गुंजाइश नहीं रहती.

ये भी पढ़ें- भिवानी: गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा को लेकर चलाया चेकिंग अभियान

कैथल: डॉ. चावला हिंदी विभाग में एक मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. डॉ. चावला ने ने हिंदी भाषा में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके व्याकरण खेल पिटारा जैसे माध्यम तैयार किए और उन बच्चों के लिए वरदान साबित हुए जो हिंदी विषय को कठिन मानते हैं.

ई-व्याकरण क्या है ?

डॉ. चावला क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में हिंदी के प्राध्यापक हैं और शिक्षा विभाग में आधुनिक शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. उन्होंने छोटे बच्चों के लिए शिक्षा में ऐसे तरीके इजाद किए हैं. जिससे बच्चों का मानसिक विकास तो हो ही रहा है. साथ ही उन्हें आधुनिक तरीके से हिंदी भाषा का ज्ञान भी प्राप्त हो रहा है.

क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में ई-व्याकरण से दिया जा रहा है हिंदी का ज्ञान

डॉक्टर चावला की उपलब्धियां का आलम ये है कि आज 15 राज्यों में उनके द्वारा बनाई गई व्याकरण विभिन्न स्कूलों में अध्यापकों द्वारा पढ़ाई जा रही है. साथ ही उन्हें खेल पिटारा में सांप सीढ़ी लूडो अन्य कई तरीके छोटे बच्चों के लिए शिक्षा में आधुनिकरण के रास्ते खोल दिए हैं.

डॉक्टर चावला की बनाई इ-व्याकरण का खेल आज के समय में हिंदी सीखने में बच्चों की मदद कर रहा है. इसके माध्यम से ही अपने स्कूल में बच्चों को शिक्षा देना शुरू कर दिया है. इसके लिए डॉक्टर चावला को प्रशंसा पत्र भी मिल चुके हैं और प्रदेश में कई बार सम्मानित किया जा चुका है,

इसके अलावा डॉ. विजय चावला द्वारा बनाया गया खेल पिटारा जो सांप सीढ़ी लूडो सहित कई तरह के खेल माध्यमों से छोटे बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया और उनका ये प्रयास इतना सफल रहा कि 7 राज्य के अध्यापक इसका प्रयोग अपने स्कूलों में कर रहे हैं. डॉक्टर विजय चावला ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करना मुझे पसंद है. अपने 24 वर्षों की शैक्षणिक यात्रा में मेरे द्वारा अनेक प्रयोग किए गए हैं, मेरा मकसद नए-नए प्रयोग और खेलों से बच्चों के मन में पढ़ने की रुचि पैदा करना है ताकि उनके मन में रट्टा न लगाकर इन नए तरीकों से ज्ञान की वृद्धि की जा सके.

पढ़ने वाले बच्चों ने भी उनके द्वारा बनाए गए नए नए तरीकों को खूब सराहा और कहा कि हमें अब हिंदी पढ़ना कठिन नहीं लगता. पहले हिंदी बड़ी कठिन लगती थी और मात्राएं की गलतियां होना तो स्वाभाविक होता था. लेकिन अब हिंदी भाषा रुचिकर तो लगती ही है. साथ में एक एक चीज अच्छे से मन में बैठ जाती है तो गलतियां की कोई गुंजाइश नहीं रहती.

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Intro:कैथल के क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में इ व्याकरण से दिया जा रहा है हिंदी का ज्ञान।

छोटे बच्चे खेल पिटारा से खेल खेल में सीख रहे हैं मात्राएं ।

डॉ चावला की व्याकरण भारत के 15 राज्य में हिंदी शिक्षा के लिए हो रही मददगार ।।

हिंदी जैसी वैदिक व कठिन भाषा में तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया रुचिकर


Body:innovations motivate the unmotivated इस कहावत को कैथल के क्योड़क विद्यालय में पढ़ाने वाले डॉ विजय चावला ने इस प्रकार सार्थक किया कि हिंदी को रुचिकर विषय बना दिया. डॉ चावला हिंदी विभाग में एक मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. डॉ चावला ने ने हिंदी जैसी वैदिक भाषा में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके व्याकरण खेल पिटारा जैसे माध्यम तैयार किए और उन बच्चों के लिए वरदान साबित हुए जो हिंदी विषय को कठिन व अधिकार मानते हैं.

डॉ चावला क्योड़क गांव के सरकारी स्कूल में हिंदी के प्राध्यापक हैं और शिक्षा विभाग में आधुनिक शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। उन्होंने छोटे बच्चों के लिए शिक्षा के ऐसे ऐसे तरीके इजाद किए हैं जिससे बच्चों का मानसिक विकास तो हो ही रहा है साथ ही उन्हें आधुनिक तरीके से हिंदी भाषा का ज्ञान भी प्राप्त हो रहा है। डॉक्टर चावला की उपलब्धियां का आलम यह है कि आज 15 राज्यों में उनके द्वारा बनाई गई व्याकरण विभिन्न स्कूलों में अध्यापकों द्वारा पढ़ाई जा रही है । साथ ही उन्हें खेल पिटारा में सांप सीढ़ी लूडो अन्य कई तरीके छोटे बच्चों के लिए शिक्षा में आधुनिकरण के रास्ते खोल दिए हैं । डॉक्टर चावला की बनाई इ व्याकरण का खेल पिटारा आज के समय में हिंदी जैसी बच्चों को खेल-खेल में ज्ञान प्रदान करने में काफी मददगार साबित हो रही है देश के 15 राज्यों के अध्यापकों द्वारा प्रयोग की गई। इसके माध्यम से ही अपने स्कूल में बच्चों को शिक्षा देना शुरू कर दिया है पिछले दिनों ई आर टी अजमेर में राष्ट्रीय संगोष्ठी में
नवाचारी प्रयोगों की दी अपनी प्रस्तुति देकर प्रशंसा पत्र प्राप्त कर चुके हैं डॉक्टर चावला को जहां प्रदेश में कई बार सम्मानित किया जा चुका है।


Conclusion:इसके अलावा डॉ विजय चावला द्वारा बनाया गया खेल पिटारा जो सांप सीढ़ी लूडो सहित कई तरह के खेल माध्यमों से छोटे बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया और उनका यह प्रयास इतना सफल रहा कि 7 राज्य के अध्यापक इसका प्रयोग अपने स्कूलों में कर रहे हैं। डॉक्टर विजय चावला ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करना मुझे भेज पसंद है। अपने 24 वर्षों की शैक्षणिक यात्रा में मेरे द्वारा अनेक नवाचारी प्रयोग किए गए हैं। मेरा मकसद नए-नए प्रयोग और खेलों से बच्चों के मन में पढ़ने की रुचि पैदा करना है ताकि उनके मन में रट्टा न लगाकर इन नए तरीकों से ज्ञान की वृद्धि की जा सके।

पढ़ने वाले बच्चों ने भी उनके द्वारा बनाए गए नए नए तरीकों को खूब सराहा और कहा कि हमें अब हिंदी पढ़ना कठिन नहीं लगता। पहले हिंदी बड़ी कठिन लगती थी और मात्राएं की गलतियां होना तो स्वाभाविक होता था लेकिन अब हिंदी भाषा रुचिकर तो लगती ही है साथ में एक एक चीज अच्छे से मन में बैठ जाती है तो गलतियां की कोई गुंजाइश ही नहीं ।
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