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कैथल में धरने पर बैठे PTI शिक्षकों को मिला खाप का साथ - protest in kaithal

प्रदेश भर में प्रदर्शन कर रहे बर्खास्त पीटीआई शिक्षकों को खाप का समर्थन भी मिल गया है. खाप नेता ने पीटीआई शिक्षकों के मामले को लेकर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इनको नौकरी पर नहीं रखा गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

khap supported PTI teachers
khap supported PTI teachers
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Published : Jul 8, 2020, 3:03 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 3:10 PM IST

कैथल: हरियाणा सरकार ने कोर्ट के आदेश के अनुसार तत्काल कार्रवाई करते हुए 1983 पीटीआई अध्यापकों को हटा दिया था जिसके बाद से ही ये पीटीआई अध्यापक जिला स्तर पर धरने पर बैठे हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन पीटीआई अध्यापकों का दूसरे विभाग के कर्मचारी भी समर्थन कर चुके हैं. वहीं अब खाप भी हटाए गए पीटीआई अध्यापकों के समर्थन में आ चुकी है.

पीटीआई शिक्षकों के समर्थन में उतरी खाप

खाप नेता करतार सिंह ने धरना स्थल पर पहुंचकर पीटीआई अध्यापकों का समर्थन किया और उनका साथ देने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार ने 10 साल की नौकरी के बाद इन लोगों को ऐसे वक्त में हटाया है जब ये किसी और नौकरी के लिए भी मेहनत नहीं कर सकते क्योंकि लगभग सभी अध्यापकों की नौकरी लगने की उम्र पूरी हो चुकी है. सरकार ने एकदम से जो यह निर्णय लिया है वह गलत है क्योंकि कुछ एक दो लोगों की वजह से हजारों घर बेरोजगार हो गए हैं जिसके लिए हम इन लोगों का साथ देने के लिए आए हैं.

कैथल में धरने पर बैठे PTI शिक्षकों को मिला खाप का साथ.

सरकार को चेतावनी देते हुए खाप नेता करतार सिंह ने कहा कि अगर सरकार इनको दोबारा नौकरी पर नहीं रखेगी तो हर वर्ग इन लोगों के साथ खड़ा होगा और हम लोग इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन करेंगे. फिलहाल हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इन सभी अध्यापकों को दोबारा नौकरियों पर रखें. अगर सरकार ने इनकी कोई सुध नहीं ली तो हम आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे. हरियाणा की लगभग सभी खाप पंचायतें इन पीटीआई अध्यापकों के समर्थन में खड़ी है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?

दरअसल, साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया.

इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने पीटीआई शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया था. तभी से ये पीटीआई शिक्षक नौकरी बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- होटल से पहले फरीदाबाद के इस घर में रुका था गैंगस्टर विकास दुबे- सूत्र

कैथल: हरियाणा सरकार ने कोर्ट के आदेश के अनुसार तत्काल कार्रवाई करते हुए 1983 पीटीआई अध्यापकों को हटा दिया था जिसके बाद से ही ये पीटीआई अध्यापक जिला स्तर पर धरने पर बैठे हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन पीटीआई अध्यापकों का दूसरे विभाग के कर्मचारी भी समर्थन कर चुके हैं. वहीं अब खाप भी हटाए गए पीटीआई अध्यापकों के समर्थन में आ चुकी है.

पीटीआई शिक्षकों के समर्थन में उतरी खाप

खाप नेता करतार सिंह ने धरना स्थल पर पहुंचकर पीटीआई अध्यापकों का समर्थन किया और उनका साथ देने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार ने 10 साल की नौकरी के बाद इन लोगों को ऐसे वक्त में हटाया है जब ये किसी और नौकरी के लिए भी मेहनत नहीं कर सकते क्योंकि लगभग सभी अध्यापकों की नौकरी लगने की उम्र पूरी हो चुकी है. सरकार ने एकदम से जो यह निर्णय लिया है वह गलत है क्योंकि कुछ एक दो लोगों की वजह से हजारों घर बेरोजगार हो गए हैं जिसके लिए हम इन लोगों का साथ देने के लिए आए हैं.

कैथल में धरने पर बैठे PTI शिक्षकों को मिला खाप का साथ.

सरकार को चेतावनी देते हुए खाप नेता करतार सिंह ने कहा कि अगर सरकार इनको दोबारा नौकरी पर नहीं रखेगी तो हर वर्ग इन लोगों के साथ खड़ा होगा और हम लोग इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन करेंगे. फिलहाल हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इन सभी अध्यापकों को दोबारा नौकरियों पर रखें. अगर सरकार ने इनकी कोई सुध नहीं ली तो हम आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे. हरियाणा की लगभग सभी खाप पंचायतें इन पीटीआई अध्यापकों के समर्थन में खड़ी है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?

दरअसल, साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया.

इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने पीटीआई शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया था. तभी से ये पीटीआई शिक्षक नौकरी बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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Last Updated : Jul 8, 2020, 3:10 PM IST
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