कैथल: हाल ही में हरियाणा सरकार ने जिले के सीवन गांव को नगर पालिका का दर्जा दिया है. गांव के ही लोगों की मांग पर मुख्यमंत्री ने इसे नगर पालिका बनाया. ग्रामीणों को उस समय नहीं मालूम था कि नगरपालिका बनने पर उनके सामने क्या परेशानी आने वाली हैं. अब इस व्यवस्था से ग्रामीण परेशान हो गए हैं, क्योंकि हाउस टैक्स, सीवरेज टैक्स लगने लगा है. अगर कोई व्यक्ति मकान बनाना चाहता है, तो उसे पहले इसका नक्शा पास करवाना पड़ता है. ऐसे नियमों से परेशान ग्रामीणों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करने के लिए संघर्ष समिति गांव सीवन का गठन किया है.
कैथल के सीवन गांव को नगर पालिका बनाने का विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि पहले गांव के बच्चों को ग्रामीण क्षेत्र में होने की वजह से एडमिशन और नौकरियों में 5% का फायदा मिलता था. अब वह भी बंद हो गया है. इस गांव के लोग ज्यादातर मजदूरी करते हैं. यह गांव सब्जी उत्पादन के लिए मशहूर है. अब इस गांव के 4 हजार 500 दिहाड़ी मजदूर और मनरेगा मजदूर नगरपालिका बनने की वजह से बेरोजगार हो गए हैं.
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कैथल के सीवन गांव में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि गांव में ज्यादातर लोगों के पास पशुधन हैं, ग्रामीणों ने दूध की डेयरी खोल रखी है, नगर पालिका बनने से दूध की डेयरी पर भी प्रतिबंध लग सकता है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के बच्चे पहले नवोदय विद्यालय में एडमिशन के लिए जाते थे, तो उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में होने की वजह से आसानी से एडमिशन मिल जाता था. अब इसमें भी दिक्कत आएगी. गांव वालों ने इसके लिए कई बार पहले भी प्रदर्शन किए हैं.
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इसके बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इस पर शुक्रवार को सरकार के इस निर्णय के विरोध में पूरा गांव इकट्ठा हो गया है. ग्रामीणों ने एक संघर्ष समिति का गठन किया है, जिसके जरिए ग्रामीण अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाएंगे. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक नगरपालिका भंग करके पंचायती राज लागू नहीं होता. उनका यह संघर्ष जारी रहेगा. ग्रामीण एक स्वर में शहरीकरण का विरोध कर रहे हैं, उनकी माने तो उनकी पंचायती राज व्यवस्था इससे सही है.