कैथल: जिले के किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. किसानों का आरोप है कि सरकार वैसे तो कहती है कि कैथल में दो ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं. ऊपर से जो नहर का पानी किसानों को फसल उगाने के लिए मिलता है. सरकार उसको भी बंद कर रही है. साथ ही किसानों का कहना है कि जब पानी यहां कमी है तो पानी दूसरे राज्यों में क्यों भेजा जा रहा ह? ये भी एक सोचने वाली बात है. क्या सरकारी दूसरे राज्यों को पानी बेच तो नहीं रही. जब हमारे प्रदेश में ही सूखे की समस्या है, तो पानी बाहर क्यों भेजा जा रहा है?
साथ ही किसानों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की जो नई प्रणाली आई है. उस हिसाब से 50 प्रतिशत बरसाती मोगे (राइस सूट) इस साल बंद कर दिए गए और 50% बचे हुए अगले साल बंद कर दिए जाएंगे. अगर ऐसे बंद कर दिए जाएंगे, तो किसान अपनी खेती कैसे करेंगे? जो अपने पूर्वजों के समय से ही नहरों के पानी से खेती करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि हमारे एरिया का पानी खारा है. जिससे खेती नहीं की जा सकती. हालांकि भूमि उपजाऊ है, लेकिन खारा पानी होने के कारण पैदावार बुरी तरह से प्रभावित होती है.
वहीं जब इसके बारे में इरिगेशन विभाग के अधिकारी राकेश सूद से बात की गई तो उन्होंने अपनी नीतियों का गणित समझाना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार की जो नई नीति है, उसमें 75% प्रतिशत भूमि पर धान की फसल कर सकते हैं और 25% अपनी भूमि पर कोई अन्य फसल लगानी पड़ेगी. इस दौरान किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने अपने फैसला वापस नहीं लिया तो वो बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे.
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