ETV Bharat / state

किसान आंदोलन की भेंट चढ़ा कैथल का किसान, दिमाग की नस फटने से हुई मौत

दिल्ली टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में कैथल के रहने वाले एक किसान की दिमाग की नस फटने से मौत हो गई. मृतक किसान की उम्र 56 साल थी. किसानों ने सरकार से मृतक के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की.

tikri border kaithal farmer died
टिकरी बॉर्डर कैथल किसान मौत
author img

By

Published : Dec 31, 2020, 8:36 PM IST

कैथल: जिले के उपमंडल पूंडरी के गांव भाणा के किसान राम कुमार का दिल्ली में टिकरी बॉर्डर पर किसान का आंदोलन में भाग लेते हुए दिमाग की नस फटने से निधन हो गया. रामकुमार लगभग 17-18 दिनों से किसान आंदोलन में शिरकत कर रहे थे और किसानों की सेवा कर रहे थे. रामकुमार के निधन पर पूरे गांव में शोक की लहर है और आक्रोश है. गांव वालों का कहना है कि कृषि कानून कितने और लोगों की जान लेगा?

गौरतलब है कि 6 दिन पहले भी साथ लगते गांव से सेरधा का एक युवक भी किसान आंदोलन की भेंट चढ़ गया था. गांव वालों ने कहा है कि जब तक तीन कृषि कानून सरकार वापस नहीं लेती, तब तक चाहे कितनी भी कुर्बानी देनी पड़ेगी, वो देंगे. किसानों का संघर्ष ऐसे ही चलता रहेगा.

किसान रामकुमार के पार्थिव शरीर को पहले कैथल के नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया उसके बाद उसके शरीर को जय जवान-जय किसान के झंडे में लपेटकर सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव भाणा में लाया गया. जहां पर हजारों की संख्या में गांव व गांव के आसपास से आए लोगों व कांग्रेस की तरफ से सुदीप सुरजेवाला ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी.

ये भी पढ़ें: भिवानी: कितलाना टोल पर धरने पर बैठे किसानों को किसान समिति बांट रही रसगुल्ले

जय जवान-जय किसान के नारे लगते हुए ग्रामीणों ने कहा कि सरकार जल्द ही इन कृषि कानूनों को वापस ले और रामकुमार को शहीद का दर्जा दे. किसानों ने रामकुमार के परिजनों को मुआवजा देने की भी मांग की. किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों की वजह से ही राम कुमार की मौत हुई है. किसानों ने कहा कि राम कुमार की शहादत बेकार नहीं जाएगी. चाहे इसके लिए कितनी भी लड़ाई क्यों ना लड़नी पड़े.

कैथल: जिले के उपमंडल पूंडरी के गांव भाणा के किसान राम कुमार का दिल्ली में टिकरी बॉर्डर पर किसान का आंदोलन में भाग लेते हुए दिमाग की नस फटने से निधन हो गया. रामकुमार लगभग 17-18 दिनों से किसान आंदोलन में शिरकत कर रहे थे और किसानों की सेवा कर रहे थे. रामकुमार के निधन पर पूरे गांव में शोक की लहर है और आक्रोश है. गांव वालों का कहना है कि कृषि कानून कितने और लोगों की जान लेगा?

गौरतलब है कि 6 दिन पहले भी साथ लगते गांव से सेरधा का एक युवक भी किसान आंदोलन की भेंट चढ़ गया था. गांव वालों ने कहा है कि जब तक तीन कृषि कानून सरकार वापस नहीं लेती, तब तक चाहे कितनी भी कुर्बानी देनी पड़ेगी, वो देंगे. किसानों का संघर्ष ऐसे ही चलता रहेगा.

किसान रामकुमार के पार्थिव शरीर को पहले कैथल के नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया उसके बाद उसके शरीर को जय जवान-जय किसान के झंडे में लपेटकर सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव भाणा में लाया गया. जहां पर हजारों की संख्या में गांव व गांव के आसपास से आए लोगों व कांग्रेस की तरफ से सुदीप सुरजेवाला ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी.

ये भी पढ़ें: भिवानी: कितलाना टोल पर धरने पर बैठे किसानों को किसान समिति बांट रही रसगुल्ले

जय जवान-जय किसान के नारे लगते हुए ग्रामीणों ने कहा कि सरकार जल्द ही इन कृषि कानूनों को वापस ले और रामकुमार को शहीद का दर्जा दे. किसानों ने रामकुमार के परिजनों को मुआवजा देने की भी मांग की. किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों की वजह से ही राम कुमार की मौत हुई है. किसानों ने कहा कि राम कुमार की शहादत बेकार नहीं जाएगी. चाहे इसके लिए कितनी भी लड़ाई क्यों ना लड़नी पड़े.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.