कैथल: हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब कक्षा नौवीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तकें देने का फिसला लिया है. वर्तमान में पहली से आठवीं कक्षा तक पुस्तके, स्कूल बैग, स्टेशनरी और वर्दी निशुल्क दी जा रही हैं.
नौवीं से 12वीं कक्षा तक निशुल्क पुस्तकें देने से राज्य सरकार द्वारा करीब 41.47 करोड़ रुपये का भार वहन किया जाएगा. हरियाणा सरकार के द्वारा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019’ में भी निशुल्क शिक्षा के दायरे को आठवीं कक्षा से बढ़ाकर 12वीं कक्षा तक किए जाने की सिफारिश की गई है.
हालांकि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019’ देश में अभी तक लागू नहीं की गई है, लेकिन हरियाणा सरकार ने इस सिफारिश को पहले ही मानने का निर्णय ले लिया है. सरकारी स्कूलों में नौंवी कक्षा से 12वीं तक एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं जिनकी लगभग 650 रुपये से लेकर 700 रूपये तक कक्षा प्रति विद्यार्थी कीमत होती है.
नौवीं कक्षा से 12वीं तक विद्यार्थियों की संख्या 6,19,256 है, जिनकी पुस्तकों का कुल खर्च 41 करोड़ 47 लाख 57 हजार 450 रूपये है. चारों कक्षाओं की पुस्तकों को पुस्तकालयों अथवा बुक-बैंक के माध्यम से विद्यार्थियों को दिया जाएगा, जो विद्यार्थी पास-आऊट करके अगली कक्षा में प्रमोट हो जाएगा तो वो पिछली कक्षा की पुस्तकों को पुस्तकालय में जमा करवा देगा और अगली कक्षा की पुस्तकों को पुस्तकालय से इशू करवा लेगा.
इस प्रकार हरियाणा के स्कूल शिक्षा विभाग को इस व्यवस्था पर एक बार ही ज्यादा खर्च करना पड़ेगा, बाद में प्रतिवर्ष मात्र 10 से 20 प्रतिशत ही खर्च होगा. हरियाणा सरकार के इस निर्णय से जहां विद्यार्थियों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम होगा. वहीं पुस्तकें बार-बार प्रयोग करने से पेड़ों की कटाई कम होगी और पर्यावरण के लिए यह व्यवस्था मददगार साबित होगी.
इस विषय पर जब सरकारी स्कूल की छात्राओं से बात की गई तो उन्होंने बताया की जो मेधावी छात्र हैं और गरीब परिवारों से संबध रखते हैं तो उनके लिए ये वरदान साबित होंगी. क्योंकि सरकारी स्कूलों में उन परिवारों के बच्चे ही पढ़ते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हों.
जब इस विषय पर शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा की सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं और इससे गरीब परिवारों के बच्चो को मदद तो मिलेगी ही और साथ में स्कूल के छात्रों की संख्या में भी इजाफा होगा. इन चारों कक्षाओं की किताबें काफी महंगी होती थी तो अब निश्चित तौर पर परिवारों का आर्थिक बोझ कम होगा.
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