कैथल: पक्की सड़क, साफ सुथरी और टाइल्स लगी गलियां, हर मोड़, हर नुक्कड़ में लगे सीसीटीवी कैमरे, बड़े-बड़े शहरों के गार्डन्स को मात देता ये पार्क-कम-व्यायामशाला ये तस्वीरें हैं हरियाणा के एक गांव की. जी हां, यकीन मानिए ये हरियाणा के कैथल जिले का एक गांव है. जो शहरों से भी ज्यादा व्यवस्थित और सुविधाओं से परिपूर्ण है.
यही वजह है कि ये गांव बाबू जगजीवन अवॉर्ड के तहत पूरे देश के गांवों को पछाड़ कर नंबर वन बना. वहीं हरियाणा सरकार ने भी इस गांव को विकास कार्यों के लिए फाइव स्टार गांव घोषित किया है. इस गांव का कायाकल्प करने का श्रेय सरपंच और उनकी टीम को जाता है.
धरेडू गांव है सभी सुविधाओं से परिपूर्ण
गांव धरेडू में लगभग तीन हजार की आबादी है. जिसमें 297 घर हैं. गांव की सीमा में घुसते ही पता चलता है कि गांव में सभी आधुनिक सुविधाएं हैं. गांव की सीमा के सभी रास्ते और गांव को जोड़ने वाली सड़कों को पक्का किया गया है. गांव में साफ-सफाई की व्यवस्था की गई है, आधुनिक ग्राम सचिवालय का निर्माण भी किया हुआ है और लोगों के ऑनलाइन कार्य किए जाते हैं.
गांव में 36 बिरादरी के लोग रहते हैं जो आपसी भाईचारे से रहते हैं. सरपंच के मुताबिक गांव में विवाद बहुत कम होते हैं और जो होते हैं, उनको आपसी भाईचारे में बैठकर सुलझा लिया जाता है. जिस वजह से ग्रामीण सरपंच के कार्यों से संतुष्ट हैं.
सिंचाई के लिए बिछाई गई अंडर ग्राउंड पाइपलाइन
सरपंच देवी लाल ने नहर विभाग के सहयोग अंडरग्राउंड पाइपलाइन से से खेतों के लिए पानी पहुंचाया है. जो 7 किलोमीटर तक खेतों की सिंचाई करता है. गांव में अंडर ग्राउंड पानी के लिए पाइप बिछाई हुई है. गांव में पानी की समस्या ना हो इसलिए 5 तालाब भी बनाए गए हैं. जिससे गांव के किसान भी खुश हैं.
गांव में बना है शानदार पार्क-कम-व्यायामशाला
धरेडू गांव की पंचायत ने चार एकड़ में एक विशाल पार्क-कम-व्यायामशाला का निर्माण किया गया है. इस पार्क में रेसिंग ट्रैक के साथ सुबह योगा और सैर-सपाटे के लिए काफी खुला स्थान छोड़ा गया है. वहीं इस पार्क के पेड़ों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि अपनाई गई है.
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इसलिए धरेडू को कहा जाती है मिनी इटली
गांव धरेडू के बारे में एक रोचक बात ये भी है कि इस गांव को मिनी इटली के नाम से जाना जाता है. इस अनोखे नामकरण के पीछे वजह ये है कि यहां के हर घर से कम से कम एक सदस्य विदेश में रहता है. साल 2000 में इस गांव धरेडू के काफी युवा कमाने के लिए इटली गए. जिस वजह से इस गांव को मिनी इटली कहा जाता है.
सरपंच की दूरदृष्टि और प्रगतिशील सोच ने आज इस गांव को देश भर के गावों के लिए नजीर बना दिया है. सरपंच देवीलाल के प्रयास यही नहीं थमे, वो अपने गांव को और बेहतर बनाना चाहते हैं. सरपंच के विकासशील प्रयाशों को देखकर दुष्यंत कुमार की कविता याद आती है-
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों!