कैथल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ने मंगलवार को कैथल में लघु सचिवालय पर धरना दे रहे निकाले गए पीटीआई शिक्षकों से मुलाकात की. जयप्रकाश ने अपना समर्थन पीटीआई शिक्षकों को दिया.
इस दौरान जयप्रकाश ने कहा कि सरकार नई नौकरी देने के बजाय जो रोजगार पर लगे हैं उनको हटाने पर तुली हुई है. सरकार ने पीटीआई शिक्षक हटाए हैं हम उसका विरोध करते हैं. क्योंकि अगर इस भर्ती को पूरा करने में कोई कमी है तो सरकार उसको दुरुस्त कर सकती है और उनको दोबारा नौकरी पर रख सकती है लेकिन सरकार ने इनको तुरंत प्रभाव से हटा दिया.
उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कांग्रेस सरकार और एसएससी का कसूर हो तो हम सजा भुगतने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से पीटीआई शिक्षकों की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी न करने इनके कागजों में बेइमानी करके इनको नौकरी से निकाला है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस भर्ती को ओम प्रकाश चौटाला के समय की गई जेबीटी भर्ती से जोड़कर देख रही है. जबकि उसमें तो सीबीआई जांच होने के बाद ही कुछ हुआ था. लेकिन इसमें तो कोर्ट ने जांच के आदेश दिए ही नहीं. उन्होंने कहा कि जैसे एससी-एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदला गया वैसा इस मामले में भी हो. उन्होंने कहा विधानसाभा का विशेष सत्र बुलाया जाए.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?
दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की.याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.
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