कैथल: कोरोना महामारी रौद्र रूप लेती जा रही है. सुरसा राक्षस के मुंह की तरह कोराना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. फिलहाल कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा फ्रंट लाइन में खड़े कोरोना वॉरियर्स को है. स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी के अलावा कुछ ऐसे विभाग भी हैं जिनमें कर्मचारी इस मुश्किल वक्त में दिन-रात काम कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं बैंक कर्मचारियों की. गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बैंक कर्मचारी इस मुश्किल दौर में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. आमजन भी बैंक कर्मचारियों के कामकाज से संतुष्ट नजर आ रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान यातायात के साधन पूरी तरह से बंद थे. जिसके कारण बैंक कर्मचारियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. क्योंकि ज्यादातर बैंक में काम करने वाले कर्मचारी दूसरे जिलों से कैथल में पहुंचते हैं. फिर भी जैसे-तैसे करके वो अपने ड्यूटी पर समय से पहुंचे और लोगों को सेवाएं दी. स्थानीय लोग भी बैंक कर्मियों के कामकाज से संतुष्ट दिखे.
नियमानुसार बैंक में 50 प्रतिशत कर्मचारी ही काम कर रहे हैं ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके. बैंक कर्मचारियों का ज्यादातर काम कैश का लेन-देन का होता है. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा इनपर ज्यादा रहता है. बैंक यूनियन के जिला सचिव कुलदीप कुमार ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि उन्हें कोरोना संक्रमण का डर रहता है, लेकिन देश हित में काम करना भी जरूरी है. क्योंकि ये मुश्किल घड़ी है. अगर इस समय भी हम अपना काम छोड़कर घर पर बैठ जाते, तो ये कतई अच्छा नहीं होता.
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कोरोना संक्रमण की वजह से बैंक कर्मचारियों ने लोगों से डिजिटल पेमेंट की अपील की. लेकिन कैथल जिले का ग्रामीण एरिया ज्यादा होने के कारण लोग डिजिटल की तरफ कम जाते हैं. इसलिए वो कैश का सीधा लेनदेन करते हैं. जिससे उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा रहता है. बैंक एसोसिएशन के नेता प्रदीप कुमार ने भी अपना अनुभव ईटीवी भारत हरियाणा के साथ साझा किया.
बैंक कर्मचारी को भारत की अर्थव्यवस्था की नींव भी कहा जाता है क्योंकि अर्थव्यवस्था की सभी मुद्राएं बैंक कर्मचारियों के हाथ से होकर निकलती है और भारत की अर्थव्यवस्था के पहियों के रूप में बैंक कर्मचारी काम करते हैं. फिलहाल तो बैंक कर्मचारी सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आर्थिक पैकेज में उन्हें भी कोई राहत दी जाए.