कैथल: आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर सरकारी अस्पताल के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई हैं. इस दौरान आशा वर्कर्स ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
आशा वर्कर यूनियन की सचिव सर्वजीत कौर ने कहा कि हमारी जब तक मांगें सरकार नहीं मान लेती तबतक हम धरने पर ही बैठे रहेंगे.
इस संबंध में आशा वर्कर्स ने कहा कि सरकार ने 21 जुलाई 2018 को हमारी कुछ मांगों को मानी थी. लेकिन सरकार ने उसको लागू करना भूल गई है और अब लागू करना नहीं चाहती है. आशा वर्कर्स का कहना है कि उन्होंने कई बार नोडल अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन अधिकारी कई बार मीटिंग का समय लेने के बाद भी हमसे नहीं मिल रहे हैं. इसी के चलते आज जिले के सभी आशा वर्कर्स धरने पर बैठी हैं.
ये हैं आशा वर्कर्स की मांगें-
- एक्टिविटी के काटे गए 50% पैसे सरकार लागू करें.
- सभी आशा वर्करों का परिवार समेत हेल्थ कार्ड बनाना का काम सरकार करे. ताकि आशा वर्कर का बीमार होने पर फ्री में इलाज कराया जा सके.
- केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान हर महीने की 10 तारीख तक एक साथ किया जाना चाहिए. वहीं भुगतान की आशा वॉइस स्लिप दी जानी चाहिए.
- आशा वर्कर से बेगार बंद करवाई जानी चाहिए.
- 21 जुलाई 2018 के पत्र को पूर्ण रूप से लागू किया जाए.
- सभी सेंटरों पर आशा को अलमारी और बैठने के लिए कुर्सी दी जाए.
- आशा फैसिलिटेटर और आशा कोऑर्डिनेटर के खाली पड़े पदों को भर्ती किया जाए. उन भर्ती प्रक्रिया में आशा की योग्यता के अनुसार उनको वह पद दिया जाए.
- आशा वर्क फैसिलिटेटर को विजिट करने का किराया भत्ता दिया जाए.
- आशा वर्कर को गर्भवती महिलाओं या किसी भी पेशेंट के साथ पीएचसी, सीएचसी या जीएच आने जाने का किराया भत्ता शुरू किया जाए.
- हरियाणा सरकार द्वारा एएमसी विजिट पर बढ़ाए गए ₹100 को तीन भागों में ना बांटा जाए.
- आशा वर्करों को सभी पांच कार्यों के रजिस्टर अलग-अलग छपवा कर दिया जाए.
सर्वजीत कौर ने कहा कि हमारा यह आंदोलन अपने अधिकारों के लिए है. आज से हमारा अनिश्चितकालीन धरना तब तक जारी रहेगा जबतक सरकार हमारी बात नहीं मानती. उन्होंने कहा कि सरकार का काम बाधित होता है, तो उसके लिए भी सरकार और अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे.
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