कैथल/करनाल: लंबित चली आ रही अपनी मांगाें को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं आज प्रदेश भर में सड़कों पर उतर आईं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने 18 सूत्रीय मांगाें को लेकर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. इससे पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं ने रैली निकालते हुए विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद डीसी मुख्यालय के सामने नारेबाजी कर विरोध जताया. वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन भी सौंपा.
करनाल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की जिला प्रधान रूपा राणा ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा आंगनबाड़ी वर्कर्स पर आरोप लगाया है कि वर्कर्स अपना काम ईमानदारी से नहीं करती. राशन वितरण से लेकर अन्य कामों की जांच करवाई जाएगी. इस पर रूपा राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री यह बताएं कि उन्होंने गांव वालों के लिए बिजली पानी की कितनी सुविधाएं मुहैया करवाई हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. मुख्यमंत्री ने गांव वालों के बीच आंगनबाड़ी वर्कर्स की छवि खराब करने का काम किया है. मुख्यमंत्री को अपने बयान वापस लेने होंगे, अन्यथा इस मामले को लेकर यूनियन कड़ा फैसला लेगी.
कैथल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: हरियाणा के कैथल में आज भारी संख्या में आंगनबाड़ी वर्कर यूनियन की महिलाएं कैथल लघु सचिवालय में इकट्ठा हुईं. इस दौरान महिलाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने एक जनसभा में लोगों से हाथ उठाकर आंगनबाड़ी बंद करने पर सुझाव मांगा यह आंगनबाड़ी वर्कर का अपमान है.
प्रदर्शन के दौरान अपनी मांगों को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा. इस प्रदर्शन की अध्यक्षता यूनियन की राज्य महासचिव शकुंतला शर्मा ने की. शर्मा ने बताया कि सरकार ने नई शिक्षा पॉलिसी के तहत बाल वाटिका खोलने का फैसला लिया है, लेकिन सभी वर्कर इस फैसले का पुरजोर विरोध करती हैं.
शकुंतला शर्मा ने कहा कि, सरकार ने अब तीन से छह साल तक के बच्चों को बाल वाटिका में भेजने का फैसला लिया है. यह बाल वाटिका प्ले और अन्य स्कूलों में खोली जाएगी. इसके बाद आंगनबाड़ी केंद्रों में केवल दो साल तक ही बच्चे रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल गांव-गांव जाकर कह रहे हैं कि अब आंगनबाड़ी केंद्र की बजाय बाल वाटिका में बच्चों को पढ़ाया जाएगा. वे इसका भी विरोध करती हैं.
दूसरा सरकार ने काफी समय से आंगनबाड़ियों में पकने वाले भोजन के लिए ईंधन उपलब्ध नहीं करवाया है और ना ही उनके पैसे दिए हैं. आंगनबाड़ी वर्कर अपनी पैसों से इंधन मंगा कर खाना पका कर बच्चों को उपलब्ध करवा रही हैं, जबकि हमारा वेतन भी काफी समय के बाद मिलता है. तीसरा मुद्दा यह है कि सरकार ने बाल वाटिका योजना जारी करने का निर्णय लिया है, जिसमें 4 साल के बच्चे का एडमिशन होगा, जिन्हें प्राइमरी शिक्षा दी जाएगी.
आंगनबाड़ी वर्कर का कहना है कि सरकार आंगनबाड़ी बंद करने की योजना पर काम कर रही है. जब बच्चे बाल वाटिका में चले जाएंगे तो आंगनबाड़ी में कौन बच्चा आएगा, इसे सहन नहीं किया जाएगा. इसलिए हम सरकार की इस योजना का पुरजोर विरोध करते हैं, अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो जल्द ही बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
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