जींद: पराली जलाने से हो रहे पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जींद जिले में जागरुकता के अनेक प्रमाण सामने आए हैं. जिसमें जिले के कुल 307 गांवों में से 203 गावों के किसानों ने जागरुकता के चलते अपनी पराली नहीं जलाई है. जबकि जींद जिले के ही नरवाना उपमंडल में 16 गावों में पराली जलाने के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं.
पराली जलाने के मामलों में आई 32 प्रतिशत की गिरावट
जींद के उपायुक्त डॉक्टर आदित्य दहिया ने बताया कि हम ऐसे किसान भाईयों के शुक्रगुजार हैं जिन्होने पराली नहीं जलाई. उन्होने कहा कि बीते साल की अपेक्षा इस साल पराली जलाने के मामलें में 32 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
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'किसानों को मिलेगा एक हजार रुपये प्रति एकड़'
उपायुक्त ने बताया कि अब तक जिले में 452 मामले पराली जलाने के सामने आए हैं. जिन पर नियमानुसार कार्रवाई जारी है. उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने पराली नहीं जला कर इसका सही ढंग से प्रबंधन किया है, ऐसे किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ दिया जाएगा और 100 रुपए प्रति एकड़ अनाज मंडी में मिलेगा. उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों की तस्दिक करने के लिए पटवारियों को निर्देश दे दिए गए हैं.
पराली बनेगी कमाई का जरिया
गौरतलब है कि पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा सरकार हरकत में आ गई है. हरियाणा के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कृषि विभाग और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई. हरियाणा सरकार ने छोटे किसानों और गैर बासमती चावल उगाने वाले किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल का लाभ देने का फैसला किया है. 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसान इस नियम के तहत लाभ पा सकेंगे.