जींद: नरवाना के गुरथली रोड पर एक तीन मंजिला लाल इमारत दिखाई देती है जिसे सरकार ने नागरिक अस्पताल का नाम दिया है, लेकिन डॉक्टरों के अभाव में नागरिक हस्पताल सफेद हाथी बन कर रह गया है. यहां पर मरीजों को आने से पहले ही बाहर रेफर कर दिया जाता है. जिस कारण आधे से ज्यादा मरीज रास्ते में ही दम तोड़ जाते हैं. नरवाना के नागरिक अस्पताल को रेफर करने का अस्पताल कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
बदहाली पर आंसू बहा रहा नागरिक अस्पताल
नरवाना में 100 बेड के नागरिक अस्पताल का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने 19 जुलाई 1975 को किया था, लेकिन आज डॉक्टरों के अभाव में स्वास्थ्य विभाग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. नरवाना के अस्पताल में ईएनटी, सर्जन, बच्चों का स्पेशलिस्ट, ऑर्थो सर्जन, अल्ट्रासाउंड मशीन और अन्य किसी भी प्रकार का स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है.
36 पोस्ट खाली सिर्फ 6 डॉक्टर काम पर
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज लोगों का मुफ्त इलाज करने का दावा तो करते हैं, लेकिन लाखों की आबादी वाले नरवाना के नागरिक अस्पताल में ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं. अस्पताल में 42 डॉक्टरों की जरूरत है जिसमें से 36 पोस्ट खाली है मात्र 6 डॉक्टर ही कार्यरत हैं.
एसएमओ डॉ. देवेंद्र बिदंलिश ने माना कि नागरिक अस्पताल में 42 पोस्ट मेडिकल ऑफिसर की सैंक्शन है, लेकिन यहां पर 6 डाक्टर ही कार्यरत हैं. 36 पोस्ट अभी खाली है. डॉक्टर का कहना है कि मरीज बहुत ज्यादा होने की वजह से हमें बहुत परेशानी आती है. हमारे पास स्पेशलिस्ट ऑर्थो सर्जन, ईएनटी कोई भी डॉक्टर नहीं है. इस बारे में विभाग को कई बार लिख चुके हैं.
ये भी पढ़ें- जींद के सरकारी अस्पताल का ICU बना पार्किंग, जगह-जगह खड़े वाहन