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चेहरे पर 23 टांके आने के बाद भी नहीं मानी हार, अमरजीत ने IES सर्विस में देशभर में पाया तीसरा रैंक - अमरजीत ने हासिल की तीसरी रैंक जींद

जींद के रहने वाले अमरजीत ने आईईएस परीक्षा 2019 में देशभर में तीसरा स्थान हासिल किया है, लेकिन अमरजीत की जिंदगी में एक वक्त ऐसा आया जब वो गंभीर रूप से घायल थे, उनके चेहरे पर 23 टांके आए थे.

अमरजीत ने IES सर्विस में देशभर में पाया तीसरा रैंक
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Published : Nov 1, 2019, 11:49 PM IST

जींद: शर्मा नगर के रहने वाले अमरजीत ने प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया है. अमरजीत ने यूपीएससी की इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (आईईएस) परीक्षा में पूरे देश में तीसरा रैंक हासिल किया है.

23 टांकों के बाद भी नहीं मानी हार
अमरजीत ने ये मुकाम यूं ही हासिल नहीं किया. मुकाम हासिल करने के दौरान उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा. एक वक्त तो ऐसा आ गया कि वो गंभीर रूप से घायल थे, उनके चेहरे पर 23 टांके आए थे. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और परीक्षा के लिए दिन-रात एक कर मेहनत की.

बेड पर ही की परीक्षा की तैयारी
जनवरी में ही उसके भाई की शादी थी और साथ में परीक्षा की तैयारी भी चल रही थी. ऐसे में उसने हौसला नहीं खोया और बेड पर ही 14 से 15 घंटे तक तैयारी की. एक तरफ हादसे का दर्द तो दूसरी तरफ परीक्षा को लेकर अमरजीत ने अपना हौसला नहीं खोया और लगातार पढ़ाई की.

अमरजीत ने IES सर्विस में देशभर में पाया तीसरा रैंक

आईईएस की परीक्षा में हासिल की तीसरी रैंक
अमरजीत के देश में तीसरा रैंक हासिल करने पर परिवार में खुशी का माहौल है.अमरजीत के पिता रामकुमार पेशे से किसान हैं और माता संतोष देवी गृहिणी हैं.अमरजीत का बड़ा भाई परमजीत नेवी में कार्यरत है, जबकि बड़ी बहन निजी स्कूल में टीचर हैं.अमरजीत ने परीक्षा दूसरे प्रयास में पास की है.

ये भी पढ़िए: यमुनानगर में नशे में धुत युवकों का 'तांडव', केक नहीं मिलने पर की बेकरी में तोड़फोड़

जींद: शर्मा नगर के रहने वाले अमरजीत ने प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया है. अमरजीत ने यूपीएससी की इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (आईईएस) परीक्षा में पूरे देश में तीसरा रैंक हासिल किया है.

23 टांकों के बाद भी नहीं मानी हार
अमरजीत ने ये मुकाम यूं ही हासिल नहीं किया. मुकाम हासिल करने के दौरान उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा. एक वक्त तो ऐसा आ गया कि वो गंभीर रूप से घायल थे, उनके चेहरे पर 23 टांके आए थे. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और परीक्षा के लिए दिन-रात एक कर मेहनत की.

बेड पर ही की परीक्षा की तैयारी
जनवरी में ही उसके भाई की शादी थी और साथ में परीक्षा की तैयारी भी चल रही थी. ऐसे में उसने हौसला नहीं खोया और बेड पर ही 14 से 15 घंटे तक तैयारी की. एक तरफ हादसे का दर्द तो दूसरी तरफ परीक्षा को लेकर अमरजीत ने अपना हौसला नहीं खोया और लगातार पढ़ाई की.

अमरजीत ने IES सर्विस में देशभर में पाया तीसरा रैंक

आईईएस की परीक्षा में हासिल की तीसरी रैंक
अमरजीत के देश में तीसरा रैंक हासिल करने पर परिवार में खुशी का माहौल है.अमरजीत के पिता रामकुमार पेशे से किसान हैं और माता संतोष देवी गृहिणी हैं.अमरजीत का बड़ा भाई परमजीत नेवी में कार्यरत है, जबकि बड़ी बहन निजी स्कूल में टीचर हैं.अमरजीत ने परीक्षा दूसरे प्रयास में पास की है.

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Intro:कहते हैं होंसले बुलंद हो तो आसमान भी छुआ जा सकता है कुछ ऐसे ही बुलंद हौंसलों के साथ ही जींद के अमरजीत ने यूनियन पब्लिक सर्विसिज कमीशन (यूपीएससी) द्वारा आयोजित इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसिज (आईईएस) की परीक्षा में सिविल इंजीनियरिंग में देश भर में तीसरा रैंक हासिल किया है। अमरजीत ने यह मुकाम ऐसे ही हासिल नहीं किया। मुकाम हासिल करने के दौरान उसे कई मुसीबतों का भी सामना करना पड़ा। जनवरी माह में नगूरां गांव के पास अज्ञात वाहन ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी थी, जिस कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसके चेहरे पर ही 23 टांके आए थे। यही नहीं जनवरी में ही उसके भाई की शादी थी और साथ में परीक्षा की तैयारी भी चल रही थी। ऐसे में उसने हौसला नहीं खोया और बैड पर ही 14 से 15 घंटे तक तैयारी की। एक तरफ हादसे का दर्द तो दूसरी तरफ परीक्षा को लेकर अमरजीत ने अपना हौसला नहीं खोया और लगातार पढ़ाई की। इसका फल अब 9 माह बाद जाकर उसे मिला है। अमरजीत के देश में तीसरा रैंक हासिल करने पर परिवार में खुशी का माहौल है। अमरजीत के पिता रामकुमार पेशे से किसान है और माता संतोष देवी गृहणी है। अमरजीत का बड़ा भाई परमजीत नेवी में कार्यरत है जबकि बड़ी बहन निजी स्कूल में शिक्षिका है। अमरजीत ने परीक्षा दूसरे प्रयास में पास की है। इससे पहले 2018 में भी उसने परीक्षा दी थी। यहां तक की साक्षात्कार भी हो गया था, लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया था।
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अमरजीत ने लगभग 23 दिन पहले ही सूरत में ऑयल गैस कंपनी में नौकरी हासिल की थी। उसे 20 लाख रुपए सालाना पैकेज पर मेटीरियल मैनेजमेंट आफिसर के पद पर नौकरी मिली थी। अब उसकी यह परीक्षा पास हो गई है और उसे रेलवे विभाग मिला है। अमरजीत शुरू से ही पढ़ाई में अच्छा रहा है। उसने नव दुर्गा स्कूल से दसवीं की परीक्षा 93 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी। इसके अलावा 12वीं की परीक्षा मोतीलाल स्कूल से 92 प्रतिशत अंकों से पास की। उसके बाद कुरुक्षेत्र एनआईटी में दाखिला लिया और अपनी ग्रेजुएशन पूरी की।


अमरजीत ने बताया कि 25 अक्टूबर को उसका परिणाम आया था, लेकिन उसे पता नहीं चला। इसके बाद उसके दोस्तों का फोन आया कि उसने देश भर में तीसरा स्थान हासिल किया है, लेकिन उसे यकीन नहीं हुआ और दोस्तों से कहा कि क्यों मजाक करते हो। इसके बाद उसने खुद परिणाम देखा तो पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। मैं इसका श्रेय अपने माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों को देना चाहूंगा है।

बाइट - अमरजीत , आईईएस


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