जींद: पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह (Birender Singh) अपने राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने पर जींद के उचाना में आज एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में उन बड़े-बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया है जिनके साथ बीरेंद्र सिंह को 50 साल के राजनीतिक जीवन में काम करने का मौका मिला. बताया जा रहा है कि कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि इस कार्यक्रम रूपी रैली के माध्यम से बीरेंद्र सिंह आप पार्टी में शामिल होने का संकेत भी दे सकते हैं. आप पार्टी के प्रभारी सुशील गुप्ता के आने की भी चर्चाएं हैं. इस कार्यक्रम में बीरेंद्र सिंह, इनेलो विधायक अभय चौटाला, बीजेपी नेता रामबिलास शर्मा पहुंच गए हैं. वहीं अकाली नेता जगदीप बरार भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.
बीरेंद्र सिंह इस कार्यक्रम के जरिए एक तीर से कई निशाने साध सकते हैं. जहां वे कार्यक्रम के जरिए अपनी ताकत दिखाएंगे तो वहीं भाजपा को बड़ा संदेश देते हुए अपने भविष्य के पत्ते भी खोलेंगे. उनके बेटे और हिसार से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह ने कार्यक्रम से पहले कहा कि चौ. बीरेंद्र सिंह ने अपने 50 साल के राजनीति जीवन में कभी द्वेष की राजनीति नहीं की, दूसरे लोगों की तरह जाति विशेष की राजनीति भी नहीं की. वो सत्ता में काफी समय तक रहे, लेकिन कभी किसी के साथ द्वेष नहीं किया. हरियाणा में नई राजनीति का उदय हो चुका है. आने वाले समय में नए बदलाव होते नजर आएंगे. हमें बदलते हुए माहौल के साथ चलना होगा. हम समय के साथ नहीं बदले तो काफी पीछे रह जाएंगे.
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उन्होंने कहा कि 25 मार्च को चौ. बीरेंद्र सिंह के जन्म दिन पर उचाना में होने वाला ये कार्यक्रम पूरी तरह से गैर राजनीतिक कार्यक्रम होगा. यह कोई रैली नहीं है बल्कि एक कार्यक्रम है जिसमें वो लोग आएंगे जिन्होंने बीते 50 साल के दौरान बीरेंद्र सिंह के साथ काम किया है. वो नेता किसी भी दल से हो किसी संस्था में हो. इसको लेकर सभी को निमंत्रण दिया गया है. 50 साल की राजनीति में न मेरे पिता पर और 21 साल की नौकरी में बतौर आईएएस रहते हुए उन पर कोई भी किसी तरह का लांछन नहीं लगा. नौकरी के दौरान बड़े-बड़े प्रलोभन दिए गए, लेकिन वो जिस परिवार से हैं उस परिवार ने हमेशा ईमानदारी से काम किया है.
कौन हैं चौधरी बीरेंद्र सिंह?
हरियाणा में बीरेंद्र सिंह मौजूदा दौर में भी सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं. वे लगभग 50 साल से राजनीति में हैं. आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर एक मजबूत प्रभाव रखने वाले परिवार से बीरेंद्र सिंह ताल्लुक रखते हैं. वे हरियाणा के प्रख्यात किसान नेता सर छोटू राम के पोते हैं और उनके पिता नेकी राम भी हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं. साल 1977 में पहली बार उचाना कलां विधानसभा सीट बनी. चौधरी बीरेंद्र सिंह यहां के पहले विधायक बने. बीरेंद्र सिंह पांच बार 1977, 1982, 1994, 1996 और 2005 में उचाना से विधायक बन चुके हैं और तीन बार हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बीरेंद्र सिंह साल 1984 में हिसार लोकसभा क्षेत्र से पहली दफे सांसद बने. उन्होंने इनेलो के ओमप्रकाश चौटाला को हराकर पहली बार सांसद बने थे.
साल 2010 में कांग्रेस के टिकट से राज्यसभा सदस्य मनोनीत हुए, लेकिन कांग्रेस से 42 साल तक जुड़े रहने के बाद बीरेंद्र सिंह 16 अगस्त 2014 में जींद की एक रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में शामिल हो गए. मोदी सरकार में बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री रहे. जून 2016 में बीजेपी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा भेज दिया. बीरेंद्र सिंह साल 2020 तक राज्यसभा सदस्य रहे. जींद से उनके बेटे और पूर्व आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीता तो उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने के बाद बीरेंद्र सिंह ने भविष्य में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. चौधरी बीरेंद्र सिंह हमेशा अपनी बेबाकी और अलग राजनीतिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं और इस समय में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन क्या रंग लेकर आएगा इस पर पूरे प्रदेश के लोगों की निगाहें टिकी हैं.
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