जींदः सेक्टर 9 में एकलव्य स्टेडियम परिसर में तैराकी के खिलाड़ियों के लिए एक इंटरनेशनल लेवल का स्वीमिंग पूल बनाया गया है. ठेकेदार की तरफ से स्विमिंग पूल की बिल्डिंग तो तैयार कर दी गई है लेकिन मशीनें न होने के कारण खेल विभाग को हैंड विभाग को हैंड ओवर नहीं कि गई है. जिसके चलते अब ये बिल्डिंग नशेड़ियों लिए अड्डा बन गई है. यहां नशेड़ी आकर स्मैक, कोकीन, इंजेक्शन आदि से नशा करते हैं. बिल्डिंग में नशे के लिए यूज किए हुए इंजेक्शन और दवाई की खाली बोतलों का ढेर लगा हुआ है.
नशे के साथ-साथ करते हैं तोड़फोड़
इसके अलावा स्वीमिंग पूल में नशेड़ी उतरकर यहां आराम से नशा करते हैं, स्टेडियम में सैर और खेलों के अभ्यास के लिए आने वालों को स्वीमिंग पुल की गहराई अधिक होने के कारण कुछ नजर नहीं आता. निर्माणाधीन स्वीमिंग पूल में शराब और बीयर की खाली बोतलें, नशीली दवाइयों व इंजैक्शन के रैपर आदी बिखरे हुए हैं. इससे साफ है कि निर्माणाधीन स्वीमिंग पूल में शराब और बीयर का नशा करने वालों के अलावा इंजेक्शन और दवाई के जरिए नशा करने वाले भी यहां डेरा जमाकर बैठते हैं.
निर्माण को हुए 4 साल
चार साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद स्वीमिंग पूल शुरू नहीं हो सका है. निर्माण कार्य पूरा हुए डेढ़ साल का समय हो चुका है, लेकिन मशीनरी पंप इंस्टॉल नहीं होने के कारण स्विमिंग पूल शुरू नहीं हो सका है. मशीनरी पंप तो आ चुके हैं, लेकिन हुडा की तरफ से इन्हांसमेंट की मंजूरी नहीं मिलने के कारण इंस्टालेशन का काम अटका हुआ है.
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तीर्थ और तालाबों में खिलाड़ी कर रहे हैं अभ्यास
बता दें कि जिले में एक भी स्वीमिंग पूल नहीं है, जहां उभरते तैराक तैराकी का अभ्यास कर सकें. ऐसे में जिले के उभरते तैराकों को रामराय गांव के रामहृदय तीर्थ में तैराकी का अभ्यास करना पड़ता है. ये पत्थर पर हल चलाने के समान है. कारण ये है कि रामहृदय तीर्थ के भारी पानी में तैराकी का अभ्यास बेहद कठिन है. लेकिन स्वीमिंग पूल में मशीनरी इन्हांसमेंट नहीं होने के चलते युवा गांवों के तालाबों व तीर्थों में तैराकी करने को मजबूर हैं.