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स्पेशल: 1200 किलोमीटर दूर शिरडी से आई गाय को नया जीवन देगा झज्जर का गोकुल धाम!

झज्जर के गोकुलधाम गोशाला की तरफ से इस घायल गाय को लाने के लिए एम्बूलेंस भेजी गई थी. घायल गाय महाराष्ट्र के शिरडी में करीब 35 किलोमीटर दूर गांव माल्या के एक मंदिर में थी. वहीं से ही इस गाय को एम्बुलेंस की तरफ से झज्जर लाया गया है.

स्पेशल: 12 सौ किलोमीटर दूर शिरड़ी से आई गाय को नया जीवन देगा झज्जर का गोकुल धाम!
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Published : Jun 29, 2019, 9:20 PM IST

Updated : Jun 30, 2019, 1:28 AM IST

झज्जर: महाराष्ट्र के शिरडी से उपचार के लिए आई एक गाय को झज्जर नवजीवन देगा. इस गाय के शिरडी के पास के एक गांव से आई है. करीब 1200 किलोमीटर का सफर तय कर एम्बुलेंस से झज्जर की गोकुलधाम गोशाला में उपचार के लिए लाया गया है.

गाय का ईलाज कर रहे डॉक्टर के अनुसार गाय चलने फिरने में असमर्थ है और उसे फिलहाल वेंटीलेटर पर रखा गया है. चिकित्सकों का कहना है कि वेंटीलेटर पर घायल गाय का उपचार किया जा रहा है और यह गाय दस दिनों के भीतर अपने पांव पर खुद चल सकेगी.

देखिए रिपोर्ट

फोन पर मिली थी सूचना, भेज दी एंबुलेंस
प्रबन्धन के अनुसार झज्जर के ही गांव महराना का राजेश नाम का युवक शिरडी में पंजाब-हरियाणा जनता ढाबा के नाम से होटल चलाता है. उसने ही फोन पर झज्जर में गोकुलधाम गोशाला प्रबन्धन को इस गाय के घायल होने की सूचना दी थी. सूचना के बाद ही गोकुलधाम गोशाला से इस घायल गाय को लाने के लिए एम्बूलेंस भेजी गई थी. घायल गाय महाराष्ट्र के शिरडी में करीब 35 किलोमीटर दूर गांव माल्या के एक मंदिर में थी. वहीं से ही इस गाय को एम्बूलेंस की तरफ से झज्जर लाया गया है.

जहां भी घायल गाय की सूचना मिलती है तुरंत उपचार करते हैं!
गोकुलधाम गोशाला का संचालन देख रहे सुनील निमाणा का कहना है कि उनके प्रबन्धन के लिए पूरे देश की गाय उनकी अपनी गाय है. उन्हें जहां कहीं भी किसी भी घायल गाय की सूचना मिलती है तो वह तुरन्त उपचार मुहैया कराने के लिए एम्बूलेंस भेजते हैं और एम्बूलेंस से गाय को अपने यहां लाकर इलाज कराते हैं.

झज्जर: महाराष्ट्र के शिरडी से उपचार के लिए आई एक गाय को झज्जर नवजीवन देगा. इस गाय के शिरडी के पास के एक गांव से आई है. करीब 1200 किलोमीटर का सफर तय कर एम्बुलेंस से झज्जर की गोकुलधाम गोशाला में उपचार के लिए लाया गया है.

गाय का ईलाज कर रहे डॉक्टर के अनुसार गाय चलने फिरने में असमर्थ है और उसे फिलहाल वेंटीलेटर पर रखा गया है. चिकित्सकों का कहना है कि वेंटीलेटर पर घायल गाय का उपचार किया जा रहा है और यह गाय दस दिनों के भीतर अपने पांव पर खुद चल सकेगी.

देखिए रिपोर्ट

फोन पर मिली थी सूचना, भेज दी एंबुलेंस
प्रबन्धन के अनुसार झज्जर के ही गांव महराना का राजेश नाम का युवक शिरडी में पंजाब-हरियाणा जनता ढाबा के नाम से होटल चलाता है. उसने ही फोन पर झज्जर में गोकुलधाम गोशाला प्रबन्धन को इस गाय के घायल होने की सूचना दी थी. सूचना के बाद ही गोकुलधाम गोशाला से इस घायल गाय को लाने के लिए एम्बूलेंस भेजी गई थी. घायल गाय महाराष्ट्र के शिरडी में करीब 35 किलोमीटर दूर गांव माल्या के एक मंदिर में थी. वहीं से ही इस गाय को एम्बूलेंस की तरफ से झज्जर लाया गया है.

जहां भी घायल गाय की सूचना मिलती है तुरंत उपचार करते हैं!
गोकुलधाम गोशाला का संचालन देख रहे सुनील निमाणा का कहना है कि उनके प्रबन्धन के लिए पूरे देश की गाय उनकी अपनी गाय है. उन्हें जहां कहीं भी किसी भी घायल गाय की सूचना मिलती है तो वह तुरन्त उपचार मुहैया कराने के लिए एम्बूलेंस भेजते हैं और एम्बूलेंस से गाय को अपने यहां लाकर इलाज कराते हैं.

Intro:शिरड़ी से आई घायल गाय को झज्जर देगा नवजीवन
: 12 सौ किलोमीटर का सफर तय कर उपचार के लिए झज्जर पहुंची गाय
: चलने-फिरने में असमर्थ गाय को रखा गया वैंटीलेटर पर
: चिकित्सकों का दावा दस दिनों के भीतर खुद पैरों पर चल सकेगी गाय
: ढाबा संचालक की सूचना पर गाय को लाने शिरड़ी पहुंची एंबूलैंसBody:एंकर

महाराष्ट्र के शिरड़ी से उपचार के लिए आई एक गाय को झज्जर नवजीवन देगा। इस गाय के शिरड़ी के पास के ही एक गांव से करीब 12 सौ किलोमीटर का सफर तय कर एम्बूलैंस से झज्जर की गोकुलधाम गोशाला में उपचार
के लिए लाया गया है। गोशाला प्रबन्धन के अनुसार गाय चलने फिरने में असमर्थ है और उसे फिलहाल वेंटीलेटर पर रखा गया है। चिकित्सकों का दावा है कि वेंटीलेटर पर घायल गाय का उपचार किया जा रहा है और यह गाय दस दिनोंं के भीतर अपने पांव पर स्वयं चल सकेगी। प्रबन्धन के अनुसार झज्जर के ही गांव महराना का राजेश नामक युवक शिरड़ी में पंजाब-हरियाणा जनता ढाबा के नाम से होटल चलाता है। उसने ही फोन पर झज्जर में गोकुलधाम गोशाला प्रबन्धन को इस गाय के घायल होने की सूचना दी थी। सूचना के बाद ही गोकुलधाम गोशाला से इस घायल गाय को लाने के लिए एम्बूलैंस भेजी गई थी। घायल गाय महाराष्ट्री के शिरड़ी से करीब पैतीस किलोमीटर दूर गांव माल्या के एक मंदिर में थी। वहीं से ही इस गाय को एम्बूलैंस द्वारा झज्जर लाया गया है।
यह बोले चिकित्सक:
झज्जर गोकुलधाम गोशाल में पिछले काफी लंबे समय से कार्यरत चिकित्सक डा.मनीष पारीख के अनुसार शिरड़ी के पास के गांव माल्या से लाई गई यह घायल गाय चलने-फिरने में असमर्थ है। फिलहाल इसे वेंटीलेंटर पर रखकर इलाज किया जा रहा है। उम्मीद यहीं है कि जिस प्रकार से इलाज मुहैया कराया जा रहा है उससे लगता ऐसा ही है कि यह घायल गाय अगले दस दिनों के भीतर अपने खुद के पैरों पर चल सकेगी।
बाइट- चिकित्सक
डा.मनीष पारीख
यह बोले संचालक:
पिछले काफी लंबे समय से झज्जर-गुरूग्राम मार्ग पर स्थित गोकुलधाम गोशाल का संचालन देख रहे सुनील निमाणा का कहना है कि उनके प्रबन्धन के लिए पूरे देश की गाय उनकी अपनी गाय है। उन्हें जहां कहीं भी किसी भी घायल गाय की सूचना मिलती है तो वह तुरन्त उपचार मुहैया कराने के लिए एम्बूलैँस भेजते है और एम्बूलैंस से गाय को अपने यहां लाकर इलाज कराते है।Conclusion: शिरड़ी के गांव माल्या से भी झज्जर के गांव महराना निवासी ढाबा संचालक राजेश ने प्रबन्धन को इस गाय के घायल होने की सूचना दी थी। उसी सूचना के बाद ही झज्जर गोशाला से एम्बूलैंस भेजी गई। भेजी गई एम्बूलैंस ने करीब 24 सौ किलोमीटर का पांच दिनों में सफर तय किया। उन्हेें खुशी है कि वेंटीलेटर पर रखी गई यह गाय उपचार के बाद दस दिनों के भीतर अपने पैरों पर चल सकेगी।
बाइट- सुनील निमाणा संचालन
प्रदीप धनखड़
झज्जर
Last Updated : Jun 30, 2019, 1:28 AM IST
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