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कागजों में 2 साल पहले ही कैटल फ्री हो गया बहादुरगढ़ लेकिन आवारा पशुओं का अब भी आतंक - लावारिस पशुओं

दो साल पहले ही प्रशासन ने बहादुरगढ़ को आवारा पशुओं से मुक्त कर दिया था, लेकिन शहर की हालत कुछ और ही है. आज भी शहर की सड़कों और गलियों में आवारा पशु घूम रहे हैं.

सड़कों पर घूमते आवार जानवर
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Published : Jul 20, 2019, 9:12 PM IST

बहादुरगढ़: सरकार ने पूरे प्रदेश को 'कैटल फ्री' यानी लावारिस पशुओं से मुक्त करने की जिद ठान रखी है. सरकार की इसी जिद के चलते बहादुरगढ़ प्रशासन ने 2 साल पहले धरातल पर काम पूरा किए बिना ही शहर को कैटल फ्री घोषित कर दिया. लेकिन प्रशासन की घोषणाओं को ठेंगा दिखाते लावारिस पशु आज भी शहर की गलियों और सड़कों पर बे-धड़क घूम रहे हैं. प्रशासन की इस लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

सड़कों पर घूमते आवार जानवर

इतना ही नहीं अब तक कई लोग इन पशुओं का शिकार बन चुके हैं और अपनी जान भी गंवा चुके हैं. शहर में रोज कहीं ना कहीं लावारिस पशुओं की जद में आने से बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग घायल हो रहे हैं.

लावारिस पशुओं में गोवंश अधिक
लावारिस पशुओं में गोवंश की तादाद सबसे ज्यादा है. गोवंश को लेकर सबके दिल में आदर, सत्कार और भक्ति का भाव होता है, लेकिन लगातार हो रहे हादसों के कारण अब लोग गोवंश की तुलना राक्षस से करने लगे हैं. लोगों का कहना है कि खुलेआम सड़कों पर लावारिस गोवंश के घूमने से हादसे होने की आशंका बनी रहती है. सरकार को इन्हें पकड़ कर गौशालाओं में भेजना चाहिए.

बनेगी नई गौशाला
इस संबंध में बहादुरगढ़ नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी विजयपाल से बात की गई, उन्होंने बताया कि नगर परिषद की बैठक में आवारा पशुओं और बंदरों को पकड़ने का टेंडर जारी करने का प्रस्ताव पास किया गया है. जल्द ही नगर परिषद इस पर अमल करेगा. नगर परिषद के पास अपनी कोई जमीन नहीं है. आस-पास गांव से संपर्क करके नई गौशाला बनाई जाएगी, ताकि शहर से पकड़े हुए गोवंश को वहां पर रखा जा सके.

बहादुरगढ़: सरकार ने पूरे प्रदेश को 'कैटल फ्री' यानी लावारिस पशुओं से मुक्त करने की जिद ठान रखी है. सरकार की इसी जिद के चलते बहादुरगढ़ प्रशासन ने 2 साल पहले धरातल पर काम पूरा किए बिना ही शहर को कैटल फ्री घोषित कर दिया. लेकिन प्रशासन की घोषणाओं को ठेंगा दिखाते लावारिस पशु आज भी शहर की गलियों और सड़कों पर बे-धड़क घूम रहे हैं. प्रशासन की इस लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

सड़कों पर घूमते आवार जानवर

इतना ही नहीं अब तक कई लोग इन पशुओं का शिकार बन चुके हैं और अपनी जान भी गंवा चुके हैं. शहर में रोज कहीं ना कहीं लावारिस पशुओं की जद में आने से बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग घायल हो रहे हैं.

लावारिस पशुओं में गोवंश अधिक
लावारिस पशुओं में गोवंश की तादाद सबसे ज्यादा है. गोवंश को लेकर सबके दिल में आदर, सत्कार और भक्ति का भाव होता है, लेकिन लगातार हो रहे हादसों के कारण अब लोग गोवंश की तुलना राक्षस से करने लगे हैं. लोगों का कहना है कि खुलेआम सड़कों पर लावारिस गोवंश के घूमने से हादसे होने की आशंका बनी रहती है. सरकार को इन्हें पकड़ कर गौशालाओं में भेजना चाहिए.

बनेगी नई गौशाला
इस संबंध में बहादुरगढ़ नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी विजयपाल से बात की गई, उन्होंने बताया कि नगर परिषद की बैठक में आवारा पशुओं और बंदरों को पकड़ने का टेंडर जारी करने का प्रस्ताव पास किया गया है. जल्द ही नगर परिषद इस पर अमल करेगा. नगर परिषद के पास अपनी कोई जमीन नहीं है. आस-पास गांव से संपर्क करके नई गौशाला बनाई जाएगी, ताकि शहर से पकड़े हुए गोवंश को वहां पर रखा जा सके.

Intro:सरकार की वाहवाही लूटने के लिए बहादुरगढ़ प्रशासन ने शहर को फर्जी तरीके से स्ट्री कैटल फ्री घोषित कर रखा है। लेकिन बहादुरगढ़ की सड़कों पर दर्जनों की संख्या में आवारा पशु घूमते और आराम फरमाते दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा आए दिन लोगों को भुगतना पड़ता है। रोजाना कोई न कोई आवारा पशुओं की टक्कर से अस्पताल पहुंच रहा है। आज भी बहादुरगढ़ नगर परिषद की बैठक में बहादुरगढ़ शहर को स्ट्रे केटल फ्री बनाने के लिए आवारा पशुओं को पकड़ने हेतु टेंडर जारी करने के लिए प्रस्ताव पास किया है। अब सवाल ये कि जब पूरा शहर स्ट्रे कैटल फ्री है तो इस टेंडर की जरूरत क्या।Body:हरियाणा सरकार में पूरे प्रदेश को स्ट्रे केटल फ्री यानी लावारिस पशुओं से मुक्त करने की जिद ठान रखी है। और सरकार की इसी जिद के चलते बहादुरगढ़ प्रशासन ने 2 साल पहले धरातल पर काम पूरा किए बगैर ही शहर को जबरदस्ती फर्जी तरीके से स्ट्रे कैटल फ्री घोषित कर दिया था। प्रशासन की घोषणाओं को ठेंगा दिखाते यह लावारिस पशु आज भी शहर की गलियों और सड़कों पर बेधड़क घूम रहे हैं। प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इतना ही नहीं कई बार तो आवारा पशुओं की चपेट में आने से जान तक गंवा चुके हैं।

शहर में रोज कहीं ना कहीं लावारिस पशुओं की चपेट में आने से बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग घायल हो रहे हैं। काफी संख्या में लोग घायल होकर बिस्तर पकड़ चुके हैं। नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन रवि खत्री का कहना है कि लावारिस पशुओं की शिकायत है उन्होंने कई बार खुद नगर परिषद और प्रशासनिक अधिकारियों को की है। लेकिन जो भी शिकायत करते हैं तो अधिकारी उल्टा उन पर ही इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगा देते हैं और कोई समाधान नहीं किया जाता।

लावारिस पशुओं में गोवंश की तादाद सबसे ज्यादा है। गोवंश को लेकर सबके दिल में आदर, सत्कार और भक्ति का भाव होता है। लेकिन लगातार हो रहे हादसों के कारण अब लोग गोवंश की तुलना राक्षस से करने लगे हैं। लोगों का कहना है कि खुलेआम सड़कों पर लावारिस गोवंश के घूमने से हादसे होने की आशंका बनी रहती है। इन्हें पकड़ कर गौशालाओं में भेजना चाहिए।

बहादुरगढ़ शहर के लोगों की माने तो शहर की मुख्य सड़कों, कालोनियों और गलियों में 500 से ज्यादा गाय व गोवंश आवारा घूम रहे हैं। जिनकी वजह से हर दिन हादसे हो रहे हैं। लेकिन ना तो इनके लिए प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है और ना ही गौशाला खोलकर बैठे कथित गौ भक्त ही कुछ कर रहे हैं। दरअसल झज्जर जिले में एक दर्जन से ज्यादा बड़ी गौशाला खुली हुई है। जिनमें दान के रूप में हर साल करोड़ों रुपए आते हैं। लेकिन यह गौशाला भी आवारा घूम रहे गोवंश को लेने से मना कर देती है।

हैरानी की बात तो यह है कि जिन गोवंशों को नगर परिषद द्वारा पकड़ कर आसपास की गौशालाओं में भेज दिया गया था। वह गोवंश भी अब सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। इस संबंध में बहादुरगढ़ नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी विजयपाल से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि आज नगर परिषद की बैठक में आवारा पशुओं और बंदरों को पकड़ने की टेंडर जारी करने का प्रस्ताव पास किया गया है। जल्द ही नगर परिषद इस पर अमल भी करेगी। उनका कहना है कि नगर परिषद के पास अपनी कोई जमीन नहीं है। लेकिन आसपास की गौशालाओं से बात करके इन गोवंश को वहां छोड़ा जाएगा या फिर आस-पास गांव से संपर्क करके वहां नई गौशाला बनाई जाएगी। ताकि शहर से पकड़े हुए गोवंश को वहां पर रखा जा सके। लेकिन इसमें थोड़ा समय लगने की बात उनकी ओर से कही गई है।

तस्वीरें खुद-ब-खुद बयां कर रही हैं की बहादुरगढ़ शहर में किस कदर जगह-जगह आवारा पशु और गोवंश बैठे हुए हैं। लेकिन इनकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। ना तो सरकारी अधिकारी इस मुद्दे को लेकर संजीदा है और ना ही खुद को गौ भक्त कहने वाले गौशाला खोल कर बैठे मठाधीश।

बाइट:- रवि खत्री पूर्व चेयरमैन नगर परिषद, दीपक स्थानीय निवासी, विजयपाल कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद।
प्रदीप धनखड़
बहादुरगढ़।Conclusion:तस्वीरें खुद-ब-खुद बयां कर रही हैं की बहादुरगढ़ शहर में किस कदर जगह-जगह आवारा पशु और गोवंश बैठे हुए हैं। लेकिन इनकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। ना तो सरकारी अधिकारी इस मुद्दे को लेकर संजीदा है और ना ही खुद को गौ भक्त कहने वाले गौशाला खोल कर बैठे मठाधीश।
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