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सरपंच पर लाखों के गबन का मामला, 'विकास कार्यों के नाम पर सरकारी बजट हड़पा'

बहादुरगढ़ के खेड़ी जसौर गांव में 50 लाख से ज्यादा के पैसे का गबन का मामले सामने आया है. सरपंच पर आरोप है कि जो काम पंचायत ने नहीं किये उनका पैसा भी पंचायती खाते से निकलवा लिया गया. इस मामले का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र की एक आरटीआई से हुआ है.

खेड़ी जसौर गांव, बहादुरगढ़
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Published : Mar 8, 2019, 2:13 PM IST

झज्जर: बहादुरगढ़ खरखौदा रोड़ पर बसा खेड़ी जसौर गांव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार मामला पंचायत के पैसे को हड़पने का है. पिछली बार की सरपंच रेखा देवी पर आरोप है कि उन्होंने जो काम नही करवाये उनका पैसा भी पंचायती खाते से निकाल लिया. एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तीन काम जिनका भुगतान 50 लाख 58 हजार बनता है, वो काम पंचायत ने नही कराए, लेकिन बीडीपीओ ने आरोपी सरपंच को रिकवरी का नोटिस सिर्फ 28 लाख 39 हजार का ही दिया.

गांव के ही जितेन्द्र जोकि आरटीआई एक्टिविस्ट ने गांव में हुये कार्यों की आरटीआई से सूचना मांगी थी, जिसके जवाब में पंचायती राज विभाग के एसडीओ राजपाल ने गांव में आकर सभी कार्यों का जायजा लिया था.जिसके बाद एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा कि ड्रेन से लोहार हेड़ी पुल तक रास्ता जिसका भुगतान 22 लाख 19 हजार, खोड़ी वाला तालाब में मिट्टी भरत जिसका भुगतान 18 लाख 16 हजार और सामुदायिक केन्द्र में मिट्टी भरत जिसका भगुतान 10 लाख 23 हजार यानि कुल 50 लाख 58 हजार के काम गांव में नही हुये. ये रिपोर्ट 18 सितम्बर 2017 को बीडीपीओ को दी गई.

एसडीओ ने तीन काम नही होने की रिपोर्ट दी, लेकिन बीडीपीओ ने आरोपी सरपंच रेखा को जब रिकवरी नोटिस भेजा तो उसमें सिर्फ दो कामों का ही हवाला दिया गया. यानि 50 लाख 58 हजार की जगह सिर्फ 28 लाख 39 हजार की रिकवरी के लिये ही सरपंच को नोटिस दिया गया.

सरपंच पर लाखों के गबन का मामला

खोड़ी वाला तालाब जिसके सामने रहने वाला ये बुजुर्ग दंपति कहता है कि यहां कभी मिट्टी डाली ही नही गई. गांव में सामुदायिक केन्द्र है ही नही तो मिट्टी कहां डाली गई. साथ ही कहा कि जिस ड्रेन से लोहारहेड़ी पुल तक के रास्ता निर्माण की बात कही गई वो लोहारहेड़ी पुल ड्रेन के ऊपर ही है और कोई रास्ता उस पुल के उपर बनाया ही नही गया. गांव के पंच रमेष ने भी दोशियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पैसे की रिकवरी और सजा देने की मांग की है.
खेड़ी जसौर और जसौर खेड़ी गांव की पंचायती जमीन पर कांग्रेस सरकार के दौरान परमाणु रिसर्च संस्थान की नीव रखी गई थी और पंचायती फंड में भी काफी पैसा खुद पंचायत का ही बकाया है. जिसका सरपंच ने अपने तरीके से गबन किया, लेकिन अब पोल खुल चुकी हैं बावजूद इसके दोषी सरपंच पर कार्रवाई नही हुई.

झज्जर: बहादुरगढ़ खरखौदा रोड़ पर बसा खेड़ी जसौर गांव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार मामला पंचायत के पैसे को हड़पने का है. पिछली बार की सरपंच रेखा देवी पर आरोप है कि उन्होंने जो काम नही करवाये उनका पैसा भी पंचायती खाते से निकाल लिया. एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तीन काम जिनका भुगतान 50 लाख 58 हजार बनता है, वो काम पंचायत ने नही कराए, लेकिन बीडीपीओ ने आरोपी सरपंच को रिकवरी का नोटिस सिर्फ 28 लाख 39 हजार का ही दिया.

गांव के ही जितेन्द्र जोकि आरटीआई एक्टिविस्ट ने गांव में हुये कार्यों की आरटीआई से सूचना मांगी थी, जिसके जवाब में पंचायती राज विभाग के एसडीओ राजपाल ने गांव में आकर सभी कार्यों का जायजा लिया था.जिसके बाद एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा कि ड्रेन से लोहार हेड़ी पुल तक रास्ता जिसका भुगतान 22 लाख 19 हजार, खोड़ी वाला तालाब में मिट्टी भरत जिसका भुगतान 18 लाख 16 हजार और सामुदायिक केन्द्र में मिट्टी भरत जिसका भगुतान 10 लाख 23 हजार यानि कुल 50 लाख 58 हजार के काम गांव में नही हुये. ये रिपोर्ट 18 सितम्बर 2017 को बीडीपीओ को दी गई.

एसडीओ ने तीन काम नही होने की रिपोर्ट दी, लेकिन बीडीपीओ ने आरोपी सरपंच रेखा को जब रिकवरी नोटिस भेजा तो उसमें सिर्फ दो कामों का ही हवाला दिया गया. यानि 50 लाख 58 हजार की जगह सिर्फ 28 लाख 39 हजार की रिकवरी के लिये ही सरपंच को नोटिस दिया गया.

सरपंच पर लाखों के गबन का मामला

खोड़ी वाला तालाब जिसके सामने रहने वाला ये बुजुर्ग दंपति कहता है कि यहां कभी मिट्टी डाली ही नही गई. गांव में सामुदायिक केन्द्र है ही नही तो मिट्टी कहां डाली गई. साथ ही कहा कि जिस ड्रेन से लोहारहेड़ी पुल तक के रास्ता निर्माण की बात कही गई वो लोहारहेड़ी पुल ड्रेन के ऊपर ही है और कोई रास्ता उस पुल के उपर बनाया ही नही गया. गांव के पंच रमेष ने भी दोशियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पैसे की रिकवरी और सजा देने की मांग की है.
खेड़ी जसौर और जसौर खेड़ी गांव की पंचायती जमीन पर कांग्रेस सरकार के दौरान परमाणु रिसर्च संस्थान की नीव रखी गई थी और पंचायती फंड में भी काफी पैसा खुद पंचायत का ही बकाया है. जिसका सरपंच ने अपने तरीके से गबन किया, लेकिन अब पोल खुल चुकी हैं बावजूद इसके दोषी सरपंच पर कार्रवाई नही हुई.

बहादुरगढ़ के खेड़ी जसौर गांव में 50 लाख से ज्यादा के पैसे का गबन किया गया है। पंचायत ने जो काम नही किये उनका पैसा भी पंचायती खाते से निकलवा लिया गया। गबन का खुलासा आरटीआई से हुआ है। एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तीन काम जिनका भुगतान 50 लाख 58 हजार बनता है , वो काम पंचायत ने नही कराये। लेकिन बीडीपीओ ने दोशी सरपंच को रिकवरी का नोटिस सिर्फ 28 लाख 39 हजार का ही दिया। आरटीआई एक्टिविस्ट ने बीडीपीओ, एसडीओ, ग्राम सचिव और सरपंच पर मिलकर गबन करने का आरोप लगाया है। और दोशियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की है।पूरा मामला पिछली बार की सरपंच रेखा से जुड़ा हुआ है।

बहादुरगढ़ खरखौदा रोड़ पर बसा खेड़ी जसौर गांव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला पंचायत के पैसे को हड़प करने का है। पिछली बार की सरपंच रेखा देवी पर आरोप है कि उन्होनंे जो काम नही करवाये उनका पैसा भी पंचायती खाते से निकाल लिया। गांव के ही जितेन्द्र ने गांव में हुये कामों की आरटीआई से सूचना मांगी थी। जिसके जवाब में पंचायती राज विभाग के एसडीओ राजपाल ने गांव में आकर सभी कामों का मौका मुआयना किया। जिसके बाद एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ साफ लिखा कि ड्रेन से लोहार हेड़ी पुल तक रास्ता जिसका भुगतान 22 लाख 19 हजार, खोड़ी वाला तालाब में मिट्टी भरत जिसका भुगतान 18 लाख 16 हजार और सामुदायिक केन्द्र में मिट्टी भरत जिसका भगुतान 10 लाख 23 हजार यानि कुल 50 लाख 58 हजार के काम गांव में नही हुये। ये रिपोर्ट 18 सितम्बर 2017 को बीडीपीओ को दी गई। 
बाईट जितेन्द्र आरटीआई एक्टिविस्ट।

एसडीओ ने तीन काम नही होने की रिपोर्ट दी लेकिन बीडीपीओ ने दोशी सरपंच रेखा को जब रिकवरी नोटिस भेजा तो उसमें सिर्फ दो कामों का ही हवाला दिया गया। यानि 50 लाख 58 हजार की जगह सिर्फ 28 लाख 39 हजार की रिकवरी के लिये ही सरपंच को  5 जुलाई 2018 में लिखा गया।एसडीओ की रिपोर्ट के लगभग 10 महीने बाद। इन 10 महीनों में सरकारी खातों में 22 लाख 19 हजार रूप्ये का गबन एक बार फिर से हो गया था। हालांकि अब एसडीओ राजपाल का कहना है कि दो काम नही हुये थे लेकिन षायद वो ये भूल गये कि उन्होंने ही लिखित में तीन काम नही होने का पत्र जारी किया था। फिलहाल कार्यवाही करने की गेंद एसडीओ अपने पाले से बीडीपीओ के पाले में डाल रहे हैं।
बाईट राजपाल एसडीओ पंचायती राज।

अब हम आपको वो काम भी दिखाते हैं जो हुये नही और पैसा हजम भी कर लिया। खोड़ी वाला तालाब जिसके सामने रहने वाला ये बुजुर्ग दंपति कहता है कि यहां कभी मिट्टी डाली ही नही गई। गांव में सामुदायिक केन्द्र है ही नही तो मिट्टी कहां डाली गई। और जिस ड्रेन से लोहारहेड़ी पुल तक के रास्ता निर्माण की बात कही गई वो लोहारहेड़ी पुल ड्रेन के उपर ही है और कोई रास्ता उस पुल के उपर बनाया ही नही गया। गांव के पंच रमेष ने भी दोशियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पैसे की रिकवरी और सजा देने की मांग की है।
बाईट आजाद ग्रामीण और रमेष पंच।

खेड़ी जसौर और जसौर खेड़ी गांव की पंचायती जमीन पर कांग्रेस सरकार के दौरान परमाणु रिसर्च संस्थान ही नींव रखी गई थी । पंचायती फंड में भी काफी पैसा खुद पंचायत का ही बकाया है। जिसका सरपंच ने अपने तरीके से गबन किया लेकिन अब पोल खुल चुकी हैं बावजूद इसके दोशी सरपंच पर कार्यवाही नही हुई। जिससे साफ है कि इस पूरे मामले में अधिकारी भी षामिल है। डीसी , एसपी और एसएचओ तक लिखित में षिकायत भेजी गई थी। तो क्या इस तरह मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर रोक पायंेगे प्रदेष में भ्रश्टाचार।
प्रदीप धनखड़
बहादुरगढ़।

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Pradeep Dhankhar
Journalist
Bahadurgarh
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