झज्जर: बहादुरगढ़ खरखौदा रोड़ पर बसा खेड़ी जसौर गांव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार मामला पंचायत के पैसे को हड़पने का है. पिछली बार की सरपंच रेखा देवी पर आरोप है कि उन्होंने जो काम नही करवाये उनका पैसा भी पंचायती खाते से निकाल लिया. एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तीन काम जिनका भुगतान 50 लाख 58 हजार बनता है, वो काम पंचायत ने नही कराए, लेकिन बीडीपीओ ने आरोपी सरपंच को रिकवरी का नोटिस सिर्फ 28 लाख 39 हजार का ही दिया.
गांव के ही जितेन्द्र जोकि आरटीआई एक्टिविस्ट ने गांव में हुये कार्यों की आरटीआई से सूचना मांगी थी, जिसके जवाब में पंचायती राज विभाग के एसडीओ राजपाल ने गांव में आकर सभी कार्यों का जायजा लिया था.जिसके बाद एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा कि ड्रेन से लोहार हेड़ी पुल तक रास्ता जिसका भुगतान 22 लाख 19 हजार, खोड़ी वाला तालाब में मिट्टी भरत जिसका भुगतान 18 लाख 16 हजार और सामुदायिक केन्द्र में मिट्टी भरत जिसका भगुतान 10 लाख 23 हजार यानि कुल 50 लाख 58 हजार के काम गांव में नही हुये. ये रिपोर्ट 18 सितम्बर 2017 को बीडीपीओ को दी गई.
एसडीओ ने तीन काम नही होने की रिपोर्ट दी, लेकिन बीडीपीओ ने आरोपी सरपंच रेखा को जब रिकवरी नोटिस भेजा तो उसमें सिर्फ दो कामों का ही हवाला दिया गया. यानि 50 लाख 58 हजार की जगह सिर्फ 28 लाख 39 हजार की रिकवरी के लिये ही सरपंच को नोटिस दिया गया.
खोड़ी वाला तालाब जिसके सामने रहने वाला ये बुजुर्ग दंपति कहता है कि यहां कभी मिट्टी डाली ही नही गई. गांव में सामुदायिक केन्द्र है ही नही तो मिट्टी कहां डाली गई. साथ ही कहा कि जिस ड्रेन से लोहारहेड़ी पुल तक के रास्ता निर्माण की बात कही गई वो लोहारहेड़ी पुल ड्रेन के ऊपर ही है और कोई रास्ता उस पुल के उपर बनाया ही नही गया. गांव के पंच रमेष ने भी दोशियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पैसे की रिकवरी और सजा देने की मांग की है.
खेड़ी जसौर और जसौर खेड़ी गांव की पंचायती जमीन पर कांग्रेस सरकार के दौरान परमाणु रिसर्च संस्थान की नीव रखी गई थी और पंचायती फंड में भी काफी पैसा खुद पंचायत का ही बकाया है. जिसका सरपंच ने अपने तरीके से गबन किया, लेकिन अब पोल खुल चुकी हैं बावजूद इसके दोषी सरपंच पर कार्रवाई नही हुई.