झज्जर: पीटीआई अध्यापकों ने सोमवार को जिले में हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला का पुतला फूंका. इस प्रदर्शन में महिला पीटीआई भी शामिल थी.
इस दौरान बर्खास्त महिला पीटीआई नीलम ने नैना चौटाला पर महिलाओं के इमोशन के साथ खेलने का आरोप लगाया. इन महिला पीटीआई ने कहा किसत्ता में आने से पहले नैना चौटाला ने हरी चुनरी चौपाल के नाम पर महिलाओं के इमोशन से खेला. अब जबकि सत्ता की चाबी उनके बेटे के हाथ लग गई तो वह हरियाणा की महिलाओं को ही भूल बैठीं.
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महिला पीटीआई ने हरियाणा सरकार और नैना चौटाला से कहा कि वो महिलाओं के इमोशन के साथ खेलना बंद करे. क्योंकि अब उनकी पार्टी की समर्थित सरकार ही और दुष्यन्त चौटाला उनके अधिकारों को अनसुना कर रहे हैं.
पीटीआई टीचर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय रहते हरियाणा सरकार ने उन्हें बहाल नहीं किया, तो इसके गंभीर परिणाम सरकार को भुगतने पड़ेंगे.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?
दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की.याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.