हिसार/झज्जर: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1944 में इटली में शहीद हुए हिसार के गांव नंगथला के पालुराम और झज्जर के नौगांव के हरि सिंह की अस्थियां करीब 75 साल बाद इटली से लाई गईं. पालुराम 19 साल की उम्र में 1944 को शहीद हो गए थे. सोमवार को सेना सैनिकों के साथ गांव में पालुराम की अस्थियां लेकर पहुंचे. एक छोटे बॉक्स में अस्थियां लेकर सेना के जवानों ने जिप्सी में गांव में चक्कर लगाया. ग्रामीण सेना की गाड़ियों के आगे बाइक पर हाथों में तिरंगा लेकर चल रहे थे. उसके बाद सेना के जवान शहीद पालुराम के घर पहुंचे और उनके परिवार को अस्थियां सौंपी.
इसी तरह झज्जर के नौगांव में शहीद हरि सिंह की अस्थियां लाई गईं. अस्थियां झज्जर के जिला सैनिक बोर्ड कार्यालय में रखी गईं. हरि सिंह भी ब्रिटिस सेना की फ्रंटियर फोर्स राइफल में सिपाही थे. दोनों सैनिकों के गांव में आज मेले का माहौल है... हर शख्स के जुबां पर इन वीरों का नाम है.
इस दौरान दोनों गांव में माहौल बेहद भावुक हो गया. सेना के अफसर और जवान जब दोनों गांव में पहुंचे तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. भारत माता की जय के नारे हर ओर सुनाई दे रहे थे.
द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद दोनों सैनिकों का कुछ पता नहीं चला. उनके शव भी नहीं मिले थे. दोनों को 13 सितंबर, 1944 को गुमशुदा घोषित कर दिया गया था.1996 में फ्लोरेंस के नजदीक पोगिओं आल्टों में कंकाल मिले थे. कई सबूतों से पता चला कि ये शहीद जवान पालुराम और हरि सिंह थे. इटली सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में उनकी शहादत की पुष्टि की थी. जिसके बाद दोनों के परिजनों की रजामंदी के बाद उनका संस्कार इटली में ही कर दिया गया और अब उनकी मिट्टी भारत लाई गई है.