झज्जर: कृषि कानून को रद्द करवाने की मांग को लेकर किसान दिल्ली से लगती सीमाओं पर डटे हैं. किसानों के आंदोलन को दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. इस बीच किसानों की सरसों की फसल भी तैयार होने को है. जिसको लेकर किसान अब ट्रैक्टर-ट्रॉली को लेकर वापस लौट रहे हैं.
टिकरी बॉर्डर पर करीब ढाई से तीन हजार ट्रैक्टर-ट्रॉलियां मौजूद थी. लेकिन अब किसानों की फसल पकने लगी है. लिहाजा किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को लेकर आंदोलन स्थल से वापस अपने गांव जाना शुरू हो गए हैं. ट्रैक्टर-ट्रॉली के स्थान पर अब किसानों ने पक्के आशियाने बनाने शुरू कर दिए हैं.
पहले किसान ट्रॉलियों में टैंट लगाकर रह रहे थे. अब इन ट्रॉलियों की जगह ईंटों, लोहे के एंगल और पाइप के सहारे तंबू बना रहे हैं. उस पर पराली, ज्वार, बाजरा आदि की पुलियों से छान बनाकर ये पक्के आशियाने बनाए जा रहे हैं. गेहूं और सरसों का सीजन जल्द ही शुरू होने के चलते किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को दिल्ली बॉर्डर से अपने गांव भेजना शुरू कर दिया है.
सरसों और गेहूं की फसल पकना शुरू हुई
किसानों का कहना है कि वो आंदोलन के साथ अब खेतों में भी काम करेंगे. कोई सरसों की कटाई करेगा तो कोई कढ़ाई करेगा. गेहूं की कटाई और कढ़ाई का वक्त भी नजदीक आ रहा है. किसानों ने कहा कि हम अपनी फसल के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर घर जा रहे हैं. इसका मतलब ये नहीं कि आंदोलन कमजोर होगा. किसानों की ओर से आंदोलन को और मजबूती दी जाएगी. अब जितनी संख्या में किसान पंजाब जा रहे हैं, उतनी संख्या में आंदोलन में भी वापस आ रहे हैं.
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जिला संगरूर के संगतपुरा गांव से आए किसान नजफगढ़ फ्लाईओवर के ऊपर लोहे के एंगल और पाइप के सहारे पक्का आशियाना बना रहे हैं. इन लोहे के एंगल और पाइपों को सीसी के कंक्रीट में खड़ा किया गया है. सड़क पर 70 से ज्यादा लोगों के रहने के लिए 30 बाई 70 फीट का आशियाना बनाया जा रहा है. इस आशियाने को छत देने के लिए पराली, ज्वार और बाजरे की पुलियों की छान लगाई जा रही है. पिड से विशेष तौर पर बुलाए गए गुरदीप खान मिस्त्री ने वेल्डिंग के अलावा पक्का शौचालय बनाने का काम किया है.
किसान सूबे सिंह, सतगुरु सिंह ने बताया कि उनके साथ आठ-10 महिलाएं व 35 किसान यहां पर रहते हैं. वो 16 ट्रॉली और 10 ट्रैक्टर लेकर आए थे. मगर उनमें से आधे ट्रैक्टर और 10 से ज्यादा ट्रॉलियां वापस भेज दी हैं. तीन-चार ट्रॉलियां और ट्रैक्टर अभी और भी वापस जाएंगे. किसानों ने बताया कि अब उनके गांव में सरसों और गेहूं का सीजन शुरू होने वाला है. इस वजह से वो ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर गांव जा रहे हैं. पहले 15-20 दिन में गांव से एक जत्था आता था और दूसरा जाता था, अब एक-एक सप्ताह में जत्थों की फेरबदल होगी. बता दें कि सेक्टर-9 बाइपास के दोनों ओर जहां पर गंदगी होती थी, उसकी सफाई करके किसानों ने पार्क और ग्रीन फार्म हाउस बनाए हैं. अब किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों की बजाय इन फार्म हाउसों और पार्काें में तंबू लगाकर रहन-सहन करने लगे हैं.